Chhattisgarh: किसी विषय पर सोचकर झट से गीत बना लेते हैं रामलाल शांडिल्य, फिर लोगों की भलाई के लिए करते हैं ये काम
Chhattisgarh News: सूरजपुर जिले के प्रतापपुर ब्लॉक के परमेश्वरपुर के रहने वाले रामलाल शांडिल्य अपने गीतों से लोगों को जागरूक करते हैं. वे किसी विषय पर सोचते हैं और झट से उसपर गीत बना लेते हैं.
Chhattisgarh News: आप सबको पता है कि गीत लिखना कितना मुश्किल होता है. लेकिन, अगर कोई ऐसा कहे कि वो किसी पर विषय पर सोचकर उसपर ऐसा गीत बना सकता है कि सुनने वाला सुनता रह जाए. आप कहेंगे ऐसा करना तो बड़ा मुश्किल है, लेकिन ऐसा ही किया कुछ करते हैं रामलाल शांडिल्य. वे खुद को माता राजमोहिनी देवी का भक्त बताते हैं. वे शिक्षा स्वास्थ्य सहित विभिन्न मुद्दों पर घूम-घूम कर बिना किसी मेहनताने के लोगों को जागरूक करते हैं. जनजागरण के लिए इनके गीत और आवाज इतनी सरल होती है कि तुरंत सुनने वाले पर असर डालती हैं.
45 वर्षीय रामलाल शांडिल्य आदिवासी परिवार से आते हैं. इनके पास आजीविका के लिए थोड़ी-बहुत खेती बाड़ी है. मूलतः सूरजपुर जिले के प्रतापपुर ब्लॉक के परमेश्वरपुर के रहने वाले रामलाल कई वर्षों से अब भैयाथान के रैसरा में रहने लगे हैं. शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, सुरक्षा, नशामुक्ति सहित विभिन्न विषयों पर सड़कों पर गांवो में लोगों को जागरूक करते हुए उन्हें देखा जा सकता है. यह जनजागरण वे अपने स्वरचित गीतों के माध्यम से करते हैं और गाते भी खुद हैं. वे माता राजमोहिनी के भक्त हैं और माता के जीवन परिचय के साथ उनके बताए रास्तों को अपनाने लोगों को प्रेरित भी बेहतर ढंग से करते हैं.
मात्र चौथी कक्षा तक पढ़े हैं रामलाल
मात्र चौथी कक्षा तक की पढ़ाई करने वाले रामलाल चर्चा के दौरान बताते हैं कि जनजागरुकता का काम वे लगातार कई वर्षों से कर रहे हैं. जिस विषय पर उन्हें गीत बनाना होता है पहले वे उसके बारे में समझते हैं और फिर गीत तैयार करते हैं. वे ज्यादा नहीं पढ़े हैं, इसलिए ज्यादा लिखना नहीं आता और उनके बनाए गीतों का कागजों में कोई रिकॉर्ड नहीं है. उन्हें सारे गीत वर्षों बाद भी याद हैं. वे बताते हैं कि प्रायः वे बिना किसी वाद्ययंत्र के अपने गीतों को गाते हैं. लेकिन कहीं अपने एक दो साथियों को ढोल मजीरा बजाने ले जाते हैं.
रामलाल में गीत बनाने और गाने की गजब की कला
रामलाल शांडिल्य का कहना है कि उन्होंने माता राजमोहिनी के जीवन से बहुत कुछ सीखा है. इसलिए वे अपने गीतों के माध्यम से उनकी जीवनी लोगों के सामने रखते हैं तथा उनके बताए रास्तों पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं. रामलाल के अंदर गीत बनाने और गाने की गजब की कला है, गीत प्रस्तुत करने का उनका अपना अंदाज है और यही कारण है कि वे बड़ी आसानी से लोगों को अपनी बात समझाने में कामयाब हो जाते हैं. शिक्षा, स्वास्थ्य, नशा, सड़क सुरक्षा, वन बचाओ सहित विभिन्न विषयों पर वे लोगों को बिना किसी मेहनताना के जागरूक करने का काम कर रहे हैं, इसका फायदा देखने को मिलता है और आने वाले दिनों में उनका यह प्रयास और कारगर होगा, बस जरूरत है तो उन्हें सहयोग और प्रोत्साहित करने की.
शासन-प्रशासन जन जागरुकता के लिए ले सकता है मदद
रामलाल के अंदर जो कला है और जिस तरह बड़ी आसानी से वे अपनी बातों को लोगों तक पहुंचाने में कामयाब होते हैं. शासन-प्रशासन विभिन्न योजनाओं के प्रचार-प्रसार और जनजागरुक्ता के लिए इनका मदद ले सकते है. वैसे भी कई संस्थाओं को भारी भरकम राशि देकर योजनाओं का प्रचार प्रसार कराया जाता है और परिणाम भी नहीं के बराबर सामने आते हैं. हालांकि कुछ साल पहले स्वच्छ भारत मिशन के लिए उन्होंने प्रचार-प्रसार का काम किया था. करीब दो महीने तक वे कई गांवों में गए थे और मात्र दो सौ रुपए रोज के हिसाब से अधिकारी उन्हें देते थे.
पेड़-पौधों, नदी-नालों ने सिखाया
गीत बनाना और गाना कहां से सीखे के जवाब में रामलाल बताते हैं कि छोटी सी उम्र में वे जंगल में घर की गाय बकरी चराने जाते थे. वहां वे पेड़-पौधों, नदी- नालों और प्राकृतिक सुंदरता के देख कुछ कुछ बोलते रहते थे. फिर वे इन शब्दों को गीत का रूप देने लगे. गाने को कोशिश की और धीरे धीरे वे गीत लिखने और गाने के अभ्यस्त हो गए. वे बचपन में जंगलों में न जाते तो शायद इस तरह गीत बनाना और गाना कभी नहीं कर पाते. उनका कहना है कि पहले तो बस यूं ही गीत बनाना और गाना चलता था लेकिन बाद में उन्हें एहसास हुआ कि अपनी इस कला का प्रयोग वे लोगों की भलाई के लिए कर सकते हैं.