Surajpur News: सूरजपुर में बेमौसम बरसात से किसान चिंतित, फसलें बर्बाद होने से सताने लगा कर्ज का डर
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के सूरजपुर में बेमौसम बारिश की वजह से किसान परेशान हैं और उनकी फसलें बर्बादी की कगार पर पहुंच गई हैं.
Surajpur News: सूरजपुर (Surajpur) ज़िले का सिलफिली (Silphili) इलाक़ा प्रदेश का सबसे अधिक सब्ज़ी उत्पादक इलाक़ा माना जाता है. यहाँ के 10 गांव में 5 हज़ार से अधिक किसान हज़ारों एकड़ में सब्ज़ी की खेती करते हैं लेकिन बेमौसम बारिश की वजह से किसानों के माथे में चिंता की लकीर खिंच गई है और उनकी फसल बर्बादी की कगार पर पहुंच गई है. आलम यह है कि इल्ली कीट की वजह से खड़ी सब्ज़ी की फसल बर्बाद हो रही है और किसान उसे फेंकने को मजबूर हो गया है.
फल छेदक और तना छेदक इल्ली ने बढ़ाई मुश्किल
सरगुजा संभाग में इस बार बारिश के मौसम में कम और बेमौसम बारिश का क़हर किसानों पर भारी पड़ रहा है. जिसकी वजह से सिलफिली इलाक़े के 10 गांव के 5 हज़ार सब्ज़ी उत्पादक किसान अपनी फसल की बर्बादी अपनी आंखो से देखने को मजबूर है. दरअसल, इस मौसम में फल छेदक और तना छेदक कीट (इल्ली) का प्रकोप खूब रहता है. जिससे निपटने के लिए किसान दवाईयो का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन परेशानी ये है कि बेमौसम बारिश की वजह से कीट मार्क दवाई बारिश के पानी में धुल जा रही है और दवाओं का असर सब्जी के पौधे और फल पर नहीं हो रहा है. आलम यह है कि ख़ासकर हज़ारों एकड़ में लगे बैंगन, मिर्च और टमाटर की फसल में तना छेदक और फल छेदक इल्ली का प्रकोप सबसे अधिक है. इसके अलावा इन दिनों इलाक़े में लगे खीरा, बरबट्टी, सेम, फूलगोभी, परवल जैसी सब्ज़ियों का हाल भी बेहाल है.
क़र्ज़ बन सकता है किसानों की मुसीबत
सिलफिली इलाक़े में सब्ज़ी उत्पादन उन्नत और नई-नई तकनीक से सब्ज़ी की खेती करते हैं. जिससे उनको अच्छा मुनाफ़ा हो जाता था. इसी कारण अब किसान बैंकों से क़र्ज़ लेकर और किराए की ज़मीन लेकर भी सब्ज़ी की खेती कर रहे हैं. लेकिन सब्ज़ियों के लिए इस जानलेवा कीट और बेमौसम बारिश की वजह से किसान ना तो क़र्ज़ पटा पाने की स्थिति में नज़र आ रहे हैं और ना ही खेत का किराया देने की हालत में नज़र आ रहे हैं.
सिलफिली इलाक़े के गणेशपुर के किसान कृष्णा विश्वास बताते हैं कि ऐसे कीट से निपटने के लिए उनके पास दवाइयों की जानकारी तो है. लेकिन बेमौसम बारिश दवाओं को धो दें रही है और इल्ली कीट का प्रकोप कम नहीं हो रहा है. युवा कृषक कृष्णा के मुताबिक़ उन्होंने 10 एकड़ में बैंगन और टमाटर की खेती ड्रिप एरिगेशन के माध्यम से की है. जिसकी लागत 10 लाख से ज़्यादा है. जिससे 40 लाख कमाने का अनुमान था पर अब तो लागत निकालने की भी दिक़्क़त है. सिलफिली के किसान बाबूलाल यादव का कहना है कि फल छेदक और तना छेदक कीट की वजह से सब्ज़ियों का सही दाम नहीं मिल पा रहा है. जिससे सब्ज़ियों को या तो खेत में छोड़ना पड़ रहा है या फिर फेंकना पड़ रहा है.
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