Chhattisgarh: सूरजपुर के वनांचल इलाके में आतंक का पर्याय बना बहरादेव हाथी, दहशत में ग्रामीण रतजगा करने को मजबूर
Chhattisgarh Elephant News: सूरजपुर ग्रामीणों के मुताबिक, हाथियों का झुंड रात में रिहायशी इलाकों में घुस कर खूब उत्पात मचाते हैं. बीते साल हाथियों ने 26 घरों को तोड़कर कई लोगों को बेघर कर दिया था.
Surajpur Elephant Terror: सूरजपुर जिले के दूरस्थ पहाड़ी व वनांचल क्षेत्र चांदनी-बिहारपुर क्षेत्र में जंगली हाथियों का उत्पात थमने का नाम नहीं ले रहा है. आए दिन हाथी रिहायशी क्षेत्रों में पहुंच जा रहे हैं. जंगली हाथी ग्रामीणों के घरों को तहस-नहस कर दे रहे हैं, साथ ही वे घरों में रखे अनाज को चट कर जा रहे हैं. यही नहीं जंगली हाथियों का झुंड किसाों के खड़ी फसलों को भी भारी नुक्सान पहुंचा रहे हैं. पिछले एक माह से बहरादेव क्षेत्र में लगातार हाथी विचरण करते नजर आ रहे हैं, जहां वे निजी संपत्तियों में घुस कर उत्पात मचा रहे हैं. इससे जिससे ग्रामीणों में दहशत और भय फैल गई है. बरसात के मौसम में ग्रामीण जंगली हाथियों के कारण रतजगा करने को मजबूर हो रहे हैं.
गौरतलब है कि बहरादेव हाथी क्षेत्र के मोहरसोप, कछिया, नवडीहा सहित बसनारा में एक माह से जमा हुआ है. शाम होते ही जंगली हाथी बस्ती का रूख करते हैं. यहां वे मकानों को तोड़ वहां पर रखे अनाज को देखते ही देखते चट कर जाते हैं. इसके अलावा हाथियों का झुंड बाड़ी और खेतों में लगे मक्का, धान सहित अन्य फसलों को न सिर्फ खा जाते हैं, बल्कि बाकी बची फसलों को कुचल कर बुरी तरह बर्बाद कर देते हैं. इस वजह से किसानों को आर्थिक रूप से नुकसान उठाना पड़ रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि हाथी प्रभावित क्षेत्र ग्राम मोहरसोप, बसनारा, कछिया, नवाडीह वन क्षेत्र से लगा हुआ गांव है. जहां पिछले 3 वर्षों से लगातार हाथियों का आना-जाना लगा हुआ है. हाथी यहां कभी भी आ धमकते हैं और उनके घरों को तोड़ने के साथ फसलों को भी क्षति पहुंचाते हैं. जिससे उन्हें आए दिन जान और माल का खतरा बना रहता है.
'शिकायत के बावजूद अधिकारी उदासीन'
गौरतलब है कि बीते वर्ष हाथियों ने 26 पंडो जनजाति के ग्रामीणों के घर को तोड़कर उन्हें बेघर कर दिया था. यह वही बहरादेव हाथी है जो दो बार पुलिस चौकी में भी धावा बोलकर पुलिस की नींद हराम कर चुका है. शाम होते ही हाथी गांव की ओर पहुंच कर उत्पात मचाना शुरू कर देते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि वनपरिक्षेत्र में वन विभाग का मैदानी अमला पूरी तरह से उदासीन है, वे हाथियों को रिहायशी क्षेत्र से दूर भगाने के लिए कोई कदन नहीं उठा रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि इसकी सूचना तत्काल वन विभाग को देने के बावजूद वे मैदानी अमले को देते हैं, लेकिन फिर भी वह कोई कारगर पहल नहीं करते हैं. ग्रामीणों ने आतंक का पर्याय बने बहरादेव हाथी को पकड़कर रेस्क्यू सेंटर भेजने की गुहार लगाई है.
हाथियों के दल में दो शावक भी
वन विभाग के वनपाल राम गुर्जर ने जानकारी देते हुए बताया कि बहरादेव हाथी एक दिन पूर्व क्षेत्र से जा चुका है. अभी हाल में 3 हाथियों के साथ उसके 2 शावक कछिया और मोहरसोप के जंगल में मौजूद हैं. जो रात होते खेतों की तरफ रुख करते हैं, जहां वे फसल चट कर वापस जंगल लौट जाते हैं. उन्होंने ग्रामीणों से हाथियों को न छेड़ने की सलाह देते हुए उनसे दूरी बनाने की अपील की है.
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