Surguja News: जोगीमारा गुफा छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है. ये गुफा (Jogimara Cave) सरगुजा जिला मुख्यालय अम्बिकापुर (Ambikapur) से 50 किलोमीटर की दूरी पर रामगढ़ नामक स्थान में स्थित है. यहीं पर सीताबेंगरा, लक्ष्मण झूला के चिह्न भी हैं. इन गुफाओं की भित्तियों पर कई तरह के चित्र अंकित हैं.


क्या है इतिहास
यहां से प्राप्त एक अभिलेख के आधार पर निश्चित किया गया है कि सम्राट अशोक के समय में जोगीमारा गुफा का निर्माण हुआ था. ऐसा माना जाता है कि जोगीमारा के भित्तिचित्र भारत के प्राचीनतम भित्तिचित्रों में से हैं. मान्यता है कि देवदासी सुतनुका ने इन भित्तिचित्रों का निर्माण करवाया था. चित्रों में भवनों, पशुओं और मनुष्यों की आकृतियों का आलेखन किया गया है. एक चित्र में नृत्यांगना बैठी हुई स्थिति में चित्रित है और गायकों तथा नर्तकों का झुंड के घेरे में है. यहां के चित्रों में झांकती रेखाएं लय और गति से भरी हैं.




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प्राचीन नाट्यशाला है
जोगीमारा गुफा के समीप ही सीताबेंगरा गुफा है. इस गुफा का महत्त्व इसके नाट्यशाला होने से है. कहा जाता है कि यह एशिया की अतिप्राचीन नाट्यशाला है. भास के नाटकों के समय निर्धारण में यह पुराता देवदीन पर प्रेमासक्तत्त्विक खोज महत्त्वपूर्ण हो सकती है. क्योंकि नाटक प्रविधि को 'भास' ने लिखा था और उसके नाटकों में चित्रशालाओं के भी सन्दर्भ दिये गए हैं.


प्रेम प्रसंग कराया गया अंकित
कहा जाता है कि गुफा का संचालन किसी सुतनुका देवदासी के हाथ में था. यह देवदासी रंगशाला की रूपदक्ष थी. देवदीन की चेष्टाओं में उलझी नारी सुलभ हृदया सुतनुका को नाट्यशाला के अधिकारियों का 'कोपभाजन' बनना पड़ा और वियोग में अपना जीवन बिताना पड़ा. रूपदक्ष देवदीन ने इस प्रेम प्रसंग को सीताबेंगरा की भित्ति पर अभिलेख के रूप में सदैव के लिए अंकित करा दिया.


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