Surguja News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के सरगुजा (Surguja) जिले में स्थित मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक बार फिर प्रबंधन की लापरवाही उजागर हुई है. अस्पताल में प्रसव के दौरान विशेष संरक्षित जनजाति पंडो महिला के बच्चे की मौत हो गई. वहीं ब्रेन हेमरेज की मरीज महिला ने भी इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. दोनों ही मामलों में परिजनों ने लापरवाही का आरोप लगाया है. समय पर इलाज सुविधा नहीं मिलने के कारण महिला और नवजात की मौत की बात कही जा रही है. मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा मचाया.
वहीं घटना की जानकारी मिलने के बाद देर शाम भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) ने मेडिकल कॉलेज अस्पताल के बाहर बैठकर अस्पताल प्रबंधन और प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव (TS Singh Deo) के खिलाफ भी नारेबाजी की. जानकारी के अनुसार, बलरामपुर (Balrampur) जिले के रमकोला दुलदुला निवासी 21 वर्षीया इंद्रावती पंडो गर्भवती थी और शनिवार को प्रसव पीड़ा होने पर उसे रमकोला स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया. जहां उसकी गंभीर स्थिति को देखते हुए उसको मेडिकल कॉलेज अस्पताल अम्बिकापुर (Medical College Hospital Ambikapur) रेफर किया गया था. शनिवार की रात लगभग आठ बजे महिला को मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
परिजनों ने लगया ये आरोप
परिजनों का आरोप है कि रात को अस्पताल में भर्ती होने के बाद भी समय पर उसे इलाज सुविधा नहीं दी गई. रात भर पंडो महिला प्रसव पीड़ा से तड़पती रही और रविवार की दोपहर दो बजे जब उसका ऑपरेशन कर प्रसव कराया गया तो मृत बच्चा पैदा हुआ. बच्चे के मौत की जानकारी मिलते ही पति और परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा मचाया. परिजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के कारण यह घटना हुई है. यदि अस्पताल में समय पर पंडो महिला को इलाज की सुविधा मिल जाती तो बच्चे को बचाया जा सकता था. परिजनों ने मामले में दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है.
नॉर्मल डिलीवरी चाहते थे परिजन
इस पूरे मामले में पंडो महिला का प्रसव कराने वाले डॉ. मरकाम का कहना है कि महिला को शनिवार की रात आठ बजे अस्पताल में लाया गया था. महिला की हालत गंभीर थी और परिजन उसकी नॉर्मल डिलीवरी कराना चाहते थे, लेकिन नॉर्मल डिलीवरी के दौरान महिला की बच्चेदानी के फटने और हालत बिगड़ने का खतरा था. परिजनों को इस बात की जानकारी देने के साथ ही ऑपरेशन कराने की सलाह दी गई, लेकिन वो अपनी जिद पर अड़े रहे. रविवार सुबह दोबारा परिजनों को समझाया गया, जिसके बाद परिजन ऑपरेशन के लिए राजी हुए. इस दौरान दोपहर में महिला का प्रसव कराया गया, लेकिन बच्चे को नहीं बचाया जा सका.
मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दूसरी घटना ब्रेन हेमरेज की शिकार महिला की मौत का है. बताया जा रहा है कि जशपुर जिले के दुलदुला निवासी कौशल्या देवी की तबियत खराब होने पर उसे रविवार सुबह जशपुर अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां ब्रेन हेमरेज की संभावना पर महिला को मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर कर दिया गया था. मृतिका की भतीजी दीक्षा सिंह का कहना है कि मेडिकल कॉलेज अस्पताल में आने के बाद मृतिका को सबसे पहले एमरजेंसी विभाग में ले जाया गया. जहां डॉक्टर इलाज के नाम पर महिला को बोतल चढ़ाते रहे. डॉक्टरों के कहने पर कौशल्या देवी का सिटी स्कैन कराया गया. जिसके बाद डॉक्टरों ने ब्रेन हेमरेज की पुष्टि की.
देर शाम तक नहीं मिली एम्बुलेंस
भतीजी का कहना है कि ब्रेन हेमरेज के बाद महिला को आईसीयू में रखने के बजाए सामान्य वार्ड में भर्ती कर दिया और सिर्फ इलाज के नाम पर स्लाइन चढ़ाते रहे, जबकि गंभीर महिला के ब्रेन हेमरेज की पुष्टि होने के बाद उसे तत्काल आईसीयू में भर्ती कराया जाना चाहिए था. महिला को ब्रेन हेमरेज की शिकायत थी और अस्पताल में कोई भी न्यूरो सर्जन नहीं है. ऐसे में महिला को रायपुर रेफर कर दिया गया था. महिला को रविवार दोपहर दो बजे अस्पताल से रेफर किया गया था. जिसके बाद परिजन और भाजयुमों जिलाध्यक्ष विश्व विजय सिंह तोमर ने बताया कि लगातार अधीक्षक और संजीवनी 108 से सम्पर्क कर एम्बुलेंस की मांग कर रहे थे. गंभीर मरीज की जानकारी होने के बाद भी एम्बुलेंस के नाम पर बहाने बनाए गए और देर शाम तक एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं कराया गया, जिससे महिला की मौत हो गई.
भाजयुमों ने घेरा अस्पताल
सबसे बड़ी बात यह है कि अस्पताल में मरीजों को समय पर एम्बुलेंस नहीं मिलने का यह कोई पहला मामला नहीं है, लेकिन लगातार होने वाली शिकायतों के बाद भी इस व्यवस्था में सुधार नहीं हो रहा है. वहीं पहले प्रसव के दौरान बच्चे की मौत और फिर ब्रेन हेमरेज की शिकार महिला की मौत को लेकर भाजयुमों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया. घटना की जानकारी मिलने के बाद भाजयुमो जिलाध्यक्ष विश्व विजय सिंह तोमर के नेतृत्व में भाजपा और भाजयुमों कार्यकर्ता मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचे और अस्पताल के बाहर धरने पर बैठ गए. प्रदर्शन के दौरान माहौल काफी गर्म हो गया और झूमाझटकी की स्थिति बन गई थी. प्रदर्शनकारियों ने अस्पताल में मौतों को लेकर प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराते हुए दोषियों पर कार्रवाई की मांग की.
मेडिकल कॉलेज अस्पताल अधीक्षक डॉ. आरसी आर्या ने कहा कि महिला को ब्रेन हेमरेज की शिकायत पर लाया गया था और कंडीशन को स्टेबल करने के बाद रायपुर रेफर किया गया था, लेकिन एम्बुलेंस आने में देरी हुई और इस बीच उनकी मौत हो गई. वहीं पंडो प्रसूता के परिजन ने समय पर ऑपरेशन के लिए सहमति नहीं दी. सहमति मिलने के बाद तत्काल डॉक्टर द्वारा ऑपरेशन किया गया था. दोनों ही मामलों में जांच कराई जा रही है और जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी.