Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के सरगुजा (Surguja) में स्कूली बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने पर मजबूर हैं. जिले की 700 से ज्यादा स्कूल जर्जर हालत में हैं, वहीं 100 से ज्यादा स्कूल अति जर्जर हालत में हैं. ऐसे में अलग-अलग कक्षाओं के बच्चों को अतिरिक्त कक्ष, सार्वजनिक भवनों में एक साथ बैठकर पढ़ना पड़ रहा है. इससे जब एक कक्षा के बच्चों को पढ़ाया जाता है, उस वक्त बाकी कक्षा के बच्चों की पढ़ाई रोकनी पड़ रही है जिससे समय की बर्बादी हो रही है. वहीं इस मामले में शिक्षा विभाग के अधिकारी का कहना है कि, चार छह महीने में काफी स्कूलों में व्यवस्थाएं सुधर जाएंगी, क्योंकि स्कूल भवन निर्माण के लिए शासन को प्रस्ताव भेज दिया गया है और दो करोड़ की राशि भी मिल चुकी है.


732 स्कूल जर्जर हालत में
दरअसल, नया शिक्षा सत्र प्रारंभ होने से पहले स्कूलों में व्यवस्थाएं दुरुस्त कर ली जाती हैं. खराब या क्षतिग्रस्त स्कूल भवनों की मरम्मत कर ली जाती है जिससे बच्चों की पढ़ाई में कोई बाधा उत्पन्न ना हो, लेकिन सरगुजा जिले में 732 से अधिक ऐसे स्कूल हैं जो जर्जर हो चुके है. वहीं 137 अति जर्जर स्कूल हैं. जिस स्कूल भवन की हालत ज्यादा खराब है, वहां के बच्चों को अतिरिक्त भवन और सार्वजनिक भवनों में बैठाकर शिक्षा दी जा रही है. वहीं जिन स्कूल भवनों की हालत कुछ ठीक है वहां के सभी बच्चों को एक ही कमरे में बैठाकर पढ़ाया जा रहा है. ऐसे में एक ही कमरे में सभी कक्षाओं के बच्चों को पढ़ाने में शिक्षकों के साथ बच्चों को भी परेशानी है.


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एक ही कमरे में पहली से पांचवीं तक की पढ़ाई
ऐसा ही मामला जिले के सीतापुर ब्लॉक अंतर्गत ग्राम केशला के प्राथमिक शाला से आया है. यहां की स्कूल भवन जर्जर हो गई है जिससे बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं. जिन कमरों में बच्चे पढ़ते थे, इन कमरों के प्लास्टर टूटकर गिर रहे हैं. शिक्षा विभाग की इस लापरवाही से किसी अप्रिय घटना से इनकार नहीं किया जा सकता है. 


इस संबंध में स्कूल में पदस्थ शिक्षिका रुखसाना बेगम से बात कि गई तो उनका कहना है कि, यहां का भवन बहुत जर्जर हो गया है. जिसकी वजह से हम बच्चों को नहीं पढ़ा पाते हैं. यही वजह है कि, पहली से लेकर पांचवी तक के बच्चों को एक क्लास में बैठाकर पढ़ाने के लिए मजबूर हैं. हम सभी की पढ़ाई एक ही कमरे में करा रहे हैं, ऐसे में एक क्लास के बच्चे को पढ़ा रहे है तो उसकी वजह से दूसरा बच्चा नहीं पढ़ पाता है. उन्होंने आगे बताया कि, इस संबंध में बहुत बार शिकायत की गई है. स्कूल की छत हमेशा टूटकर गिरती रहती है जिससे हमेशा खतरा बना रहता है. कई बार ऐसा हुआ है कि, छत का प्लास्टर हमारे अगल बगल गिरा है. भवन के लिए पत्र जाता रहता है लेकिन कभी कोई काम नहीं हुआ.


जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा?
जिला शिक्षा अधिकारी संजय गूहे ने बताया कि, सरगुजा जिले में 732 जर्जर स्कूल हैं और 137 अति जर्जर स्कूल हैं. सभी का प्रस्ताव राज्य शासन को भेज दिया गया है, जो स्वीकृत होकर राशि आई है, उसे जिला पंचायत को दे दिया गया है. किसी बच्चे को अति जर्जर स्कूल में नहीं पढ़ाया जा रहा है. पूर्व माध्यमिक विद्यालय दो शिफ्ट में चलाए जा रहे हैं या अतिरिक्त कक्ष, सार्वजनिक भवन में कक्षाएं लगाई जा रही हैं. सरकार की तरफ से दो करोड़ की राशि आ चुकी है. चार से छह महीने में काफी स्कूल बन जाएंगे. 


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