Surguja Tintini Stone: सरगुजा संभाग मुख्यालय अम्बिकापुर से 12 किलोमीटर दूर दरिमा हवाई अड्डे से लगा छिंदकालो एक गांव है. इस गांव का नाम भले ही छिंदकालो है लेकिन ये ठिनठिनी पत्थर के नाम से चर्चित है. गांव में पत्थरों का एक बड़ा समूह है और इन पत्थरों में एक बड़ा पत्थर लोगों के लिए आज भी रहस्य बना है. इस पत्थर को लेकर कई भूगर्भ शास्त्रियों और रसायन विज्ञान के जानकारों ने शोध भी किया है. अन्य पत्थरों से अलग दिखने और आवाज निकालने वाले इस पत्थर के चलते ये छत्तीसगढ़ के प्रमुख पर्यटक स्थल के रूप में स्थापित हो चुका है.


पत्थर की पूजा-अर्चना


जिले के दरिमा हवाई अड्डे के बाउंड्री से लगे छिंदकालो गांव में सैकडों पत्थर का समूह है. यहां तक कि आस-पास में भी जमीन के नीचे भी काफी पत्थरों का भंडार है. लेकिन जमीन के ऊपर जिन सैकडों पत्थरों का समूह है, उन पत्थरों के समूह के बीच करीब 6 फिट का एक रहस्यमयी पत्थर है. काले पत्थरों के बीच धुंधले सफेद रंग के इस पत्थर को गांव के लोग देवता मानते हैं, और इसकी पूजा भी करते हैं. अन्य पत्थरों से अलग दिखने और आवाज करने वाले इस पत्थर के अद्भुत व्यवहार की वजह कोई नहीं जानता है, इसलिए लोग इसे भगवान समझ कर पूजा-अर्चना करते हैं. गांव वालों का मानना है कि यहां पर भगवान वास करते हैं इसलिए उस पत्थर के समूह के बीच कई मंदिर भी स्थापित कर दिए गए हैं.




धातु की तरह आवाज निकालता है पत्थर


जिस पत्थर की गांव के लोग पूजा-अर्चना करते हैं, वो पत्थरों के समूह के बीच कुछ अलग ढंग से रखा आसाधारण पत्थर है. ये पत्थर धातु की तरह आवाज करता है. इस पत्थर के चारों तरफ अलग-अलग धातु की आवाज आती है. कहीं पत्थर के किसी हिस्से पर दूसरे छोटे पत्थर पर वार करने से उसमें स्कूल की घंटी की तरह आवाज आती है, कहीं पर पीतल के बर्तन के तरह, तो कहीं पर कांस्य के बर्तन की तरह आवाज आती है. पत्थर के किसी हिस्से में मोटे बर्तन की आवाज आती है, तो कुछ ऐसा भी हिस्सा है जहां से पतली आवाज निकलती है. बता दें कि पत्थर किसी धातु की तरह आवाज क्यों निकालता है, ये आज भी रहस्य बना हुआ है.


शोध में लगे हैं विशेषज्ञ


इस रहस्मयी पत्थर को लेकर रिटायर्ड शिक्षक श्रीश मिश्रा शोध कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि इस तरह की जो चीज है, वो अम्बिकापुर में ठिनठिनी पत्थर है. जब ये चीजें गांव वालों की समझ में नहीं आती, तब वो उसको किसी न किसी कहानी से जोड़ देते हैं या किसी देवी-देवताओं से जोड़ देते हैं. इसके पीछे मकसद एक सामान्य जानकारी ही देना रहता है कि कोई पूछेगा तो क्या हम क्या बताएंगे. ऐसे में कोई बुजुर्ग या गांव का कोई होशियार आदमी होता है तो वो कोई न कोई कहानी गढ़ देता है. ये चीज लगभग हर जगह लागू होती है. 


उन्होंने बताया कि यदि इसे साइंटिफिक अप्रोच से देखें तो इस तरह के पत्थर छत्तीसगढ़ में सिर्फ यहीं है. बाकी जो ठोंकने पर आवाज आती है तो इस तरह के पत्थर साउथ इंडिया में कई जगह मिलते हैं, पूरी दुनिया में हैं. वास्तव में ये ज्वालामुखी से निकला जो लावा होता है, वो होते हैं. इसमें जो आवाज आती है, वो आवाज आने का कारण हाई डेंसिटी है.


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