Surguja News: सरगुजा में हाथियों के दल ने मचाया उत्पात, घरों में कर रहा तोड-फोड़, जन-जीवन अस्त-व्यस्त
Chhattisgarh News: सरगुजा में 11 सदस्यीय हाथियों ने ग्रामीणों और वनकर्मियों को परेशान करके रखा है. हाथी धान की फसल तबाह करने के साथ ही लोगों के घरों में भी तोडफोड़ कर रहे हैं.
Surguja Elephant Rampage: सरगुजा (Surguja) जिले के उदयपुर वनपरिक्षेत्र में पिछले एक पखवाड़े से सक्रिय 11 सदस्यीय हाथियों ने ग्रामीणों और वनकर्मियों का सुख-चैन छीन लिया है. हाथी धान की फसल तबाह करने के साथ ही कभी भी मुख्य मार्ग पर पहुंच जा रहे हैं. खतरे को देखते हुए वन अमले को कभी भी मार्ग से आवागमन बाधित करना पड़ रहा है. वनपरिक्षेत्र में 11 सदस्यीय हाथियों का दल सात सितम्बर से भ्रमण कर रहा है. हाथियों का दल वनों में उपलब्ध वनस्पतियों को छोड़कर आबादी क्षेत्र के निकट पहुंचा जा रहा है. हाथी फसलों को तो तबाह कर ही रहे हैं. साथ ही वो आबादी क्षेत्र के निकट पहुंच कर वो घरों में भी तोडफोड़ कर रहे हैं. हाथियों से अपनी जान-माल की सुरक्षा के लिए ग्रामीणों को लगातार रात में जागना पड़ रहा है.
आमतौर पर हाथी सूर्यास्त होने के बाद जंगल से बाहर निकलते हैं और अपनी भूख-प्यास मिटाने के साथ ही आबादी क्षेत्र में घुसकर तोड़-फोड़ मचाते हैं. 11 सदस्यीय हाथियों का दल दिन में जंगल की ओर जाता है, लेकिन कब ये हाथियों का दल बाहर निकल जाए इसका कोई ठिकाना नहीं है. अपने भ्रमण के दौरान हाथियों का दल कई बार दिन में मुख्य मार्ग पर पहुंच गया है. वन क्षेत्र का बड़ा इलाका होने के कारण क्षेत्र की अधिकांश सडकें जंगल के बीच से गुजरी हैं. ऐसे में यहां हाथियों से हमेशा खतरा होने का भय बना रहता है. स्थिति को देखते हुए वन अमले को दिन- रात हाथियों की चौकसी करनी पड़ रही है.
हाथियों से अभी तक कोई जनहानि नहीं
हाथियों के मुख्य मार्ग के निकट पहुंचने के कारण प्रायः हर दिन वन अमले को आवागमन बाधित करने के लिए बेरिकेडिंग करनी पड़ रही है. वन अमले की लगातार चौकसी, सुरक्षात्मक उपायों ग्रामीणों की सतर्कता के कारण अभी तक कोई जनहानि नहीं हुई है. वहीं दिन-रात हाथियों की निगरानी करने के कारण वनकर्मी भी सो नहीं पा रहे हैं, जिसका प्रभाव उनके स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. हाथियों के कारण प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों का सुख-चैन छिन गया है. हाथियों के भय से न तो ग्रामीण जंगल के निकट के अपने खेतों में जा पा रहे हैं न ही वो कोई दूसरा ही काम कर पा रहे हैं. किसी आवश्यक कार्य से बाहर निकलने वाले ग्रामीणों का मार्ग बाधित होने के कारण घर लौटेने का भी कोई ठिकाना नहीं है.
शाम ढलते ही हाथी पहुंचे केदमा मार्ग पर
बता दें हाथियों का दल शनिवार की शाम 7:30 बजे ग्राम लक्ष्मणगढ़ स्थित मक्का के खेत में पहुंच गया. मक्का की फसल से भूख मिटाने के बाद हाथियों का दल केदमा मुख्य मार्ग पर पहुंच गया. स्थिति को देखते हुए वन अमले ने सड़क के दोनों ओर बेरिकेडिंग कर आवागमन को बाधित कर दिया. खतरे को देखते हुए वन अमले को ग्राम जजगी, लक्ष्मणगढ़, उपकापारा सहित आसपास के सभी सड़कों पर अस्थाई बैरियर लगाने पड़े. इसके बाद रात 11 बजे हाथियों के महेशपुर जंगल की ओर जोन की सूचना मिली तो बेरियर खोलकर आवागमन सुचारू किया गया.
स्कूल भवन में कट रही ग्रामिणों की रातें
हाथी शुरू से ही ग्राम मानपुर, लक्ष्मणगढ़, उपकापारा, सावर, महेशपुर, केदमा मार्ग के आसपास भ्रमण कर रहे हैं. वन अमला लगातार गजराज वाहन में लाउडस्पीकर लगाकर ग्रामीणों को हाथियों के मौजूदगी की सूचना दे रहा है. हाथियों के आबादी क्षेत्र में घुसने के भय से स्कूल और आंगनबाड़ी भवन में प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों की रात्रि विश्राम की व्यवस्था की गई है. वहीं जजगी, जजगा, उपकापारा, लक्ष्मणगढ़ के ग्रामीणों की रातें पिछले कई दिनों से स्कूल भवन में बीत रही हैं. फसल और स्वयं के जानमाल की सुरक्षा की चिंता में ग्रामीण रतजगा कर रहे हैं. बता दें हाथी 100 से अधिक किसानों की फसल तबाह कर चुके हैं. हाथियों का दल जब तक दूसरे क्षेत्र का रूख नहीं करता, क्षेत्रवासियों को इसी तरह खानाबदोश जीवन यापन करना पड़ेगा.