Chhattisgarh News: सरगुजा जिले में जमीन कारोबारियों के द्वारा जमीन विवाद पर साथी रामकृपाल साहू निवासी गांधीनगर की हत्या कर दी गई थी. इस चर्चित मामले में अपर सत्र जज नीलिमा सिंह बघेल की कोर्ट ने तीनों आरोपियों को  धारा 302 और 201 का दोषी माना. इसमें धारा 302 के तहत आजीवन कारावास और 201 के तहत तीन वर्ष कारावास की सजा दी गई. वहीं साक्ष्य के अभाव में आरोपियों को धारा 365 के आरोपों से दोषमुक्त किया गया. आरोपियों की बात करें तो गंगाराम चेरवा उर्फ चमन पिता श्यामलाल चेरवा 40 वर्ष, बृजेश चेरवा उर्फ बतिया पिता सुधराम चेरवा 20 वर्ष और कृष्णा प्रसाद उर्फ कोंदा पिता मुरली मनोहर 20 वर्ष है. सभी ग्राम खलिबा माझापारा के निवासी हैं.


मृतक रामकृपाल साहू के साथ तीनों आरोपियों के द्वारा साझेदारी में जमीन संबंधी कारोबार किया जाता था. चारों जमीन की खरीद-बिक्री करते थे. इसी प्रकार उनके द्वारा खलिबा स्थित एक भूमि का सौदा किया गया था. जिसकी रजिस्ट्री रामकृपाल साहू के द्वारा अपनी पत्नी के नाम पर कराई गई थी. इस वजह से उसके तीनों साथी नाराज थे और जमीन में अपना भी हिस्सा चाहते थे. 


जंगल ले जाकर की हत्या


घटना दिवस 31 नवंबर 2020 की दोपहर लगभग 2 बजे की है. रामकृपाल साहू खलिबा स्थित उक्त भूमि में लगे फसल को कटवाने के लिए गया हुआ था. उसी समय आरोपी वहां मोटरसाइकिल से पहुंचे और उसे बैठाकर द्वारिकानगर हुंड्रामाड़ा जंगल ले गए. वहां लाठी और लात, मुक्कों से पिटाई करने के बाद टांगी से सिर पर वार किया गया और फिर गला दबा कर हत्या कर दिया गया. आरोपियों ने साक्ष्य छिपाने की नियत से शव को जंगल में पेड़ के नीचे गड्ढे में फेंक दिया था. रामकृपाल साहू के वापस घर नहीं लौटने पर उसकी पत्नी गायत्री साहू के द्वारा 1 दिसंबर 2020 को गांधीनगर थाना में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई गई थी.


पुलिस ने बरामद किया था शव


मामले की जांच में पता चला कि 30 नवंबर 2020 को एक मोटरसाइकिल पर बैठकर चार लोग हुंड्रामाड़ा जंगल की ओर गए थे. एक आदमी जो बीच में बैठा था, उसका पैर जमीन में घसीट रहा था और पीछे बैठा आदमी उसके मुंह को दबाकर रखा था. यह पता चलने पर पुलिस के द्वारा जंगल में सर्चिंग की गई और एक पेड़ के नीचे गड्ढे में रामकृपाल साहू का शव पाया गया. मामले में गांधीनगर पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ धारा 365, 302, 201, 34 के तहत जुर्म दर्ज किया था. मामले में साक्ष्य के अभाव में आरोपियों को अपहरण की धारा 365 से मुक्त किया गया, जबकि 302 और 201 में आरोपियों को सजा सुनाई गई. मामले में अभियोजक पक्ष की ओर से मामले की पैरवी अतिरिक्त लोक अभियोजक हेमंत तिवारी ने की.


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