Balrampur News: सरगुजा (Surguja) संभाग में झोलाछाप डॉक्टरों का अवैध धंधा जोरों पर चल रहा है, यह बात किसी से छिपी नहीं है. मेडिकल फ़ील्ड से जुड़ी छोटी मोटी डिग्रियां लेकर ग्रामीण इलाकों में खुद को डॉक्टर बताकर इलाज करने वालों की दुकानदारी खूब चल रही है. बीच बीच मे स्वास्थ्य विभाग द्वारा अवैध क्लिनिक और झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्रवाई भी की जाती है, लेकिन कुछ दिनों बाद अधूरे ज्ञान से लोगों का स्वास्थ्य ठीक करने वाले लोग फिर सक्रिय हो जाते है.


ऐसा ही मामला बलरामपुर (Balrampur) जिले से सामने आया है. यहां एक प्राइवेट मेडिकल स्टोर संचालक ने सर्दी, खांसी से पीड़ित 2 साल की बच्ची को इंजेक्शन लगाया, जिसके बाद बच्ची खून की उल्टी करने लगी. तब मेडिकल स्टोर संचालक ने निजी वाहन बुक कर बच्ची और उसके परिजन को अम्बिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेज दिया. जहां पहुंचने से पहले ही बच्ची ने रास्ते में दम तोड़ दिया.


क्या है पूरा मामला?
दरअसल, बलरामपुर जिले के कुसमी ब्लॉक अंतर्गत नीलकंठपुर निवासी दो वर्षीय बच्ची सिमरन को सर्दी, खांसी की शिकायत हुई. इस पर बच्ची के परिजन उसे कुसमी के बस स्टैंड में संचालित प्राइवेट मेडिकल स्टोर में लेकर गए. वहां मेडिकल स्टोर संचालक ने बुखार बताते हुए बच्ची के हाथ और कमर में दो इंजेक्शन लगाए. इंजेक्शन लगाने के कुछ देर बाद सिमरन की हालत बिगड़ने लगी और नाक और मुंह से खून आने लगा. तब परिजनों ने मेडिकल संचालक से कहा कि इंजेक्शन लगाने के बाद बच्ची खून की उल्टी कर रही है. तब मेडिकल संचालक ने बच्ची को अम्बिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाने की बात कही, और एक निजी चार पहिया वाहन व्यवस्था कर दी. इसके बाद परिजन बच्ची को लेकर अम्बिकापुर आ रहे थे, तब उसने रास्ते में दम तोड़ दिया. पता चला है कि कुसमी बस स्टैंड में संचालित मेडिकल स्टोर में सेराज नामक युवक ने इंजेक्शन लगाया था.


बच्ची ने रास्ते में ही तोड़ दिया दम
मृत बच्ची के पिता मनोहर राम ने बताया कि वह बलरामपुर जिले के कुसमी ब्लॉक अंतर्गत नीलकंठपुर का रहने वाला है. बच्ची को सर्दी, खांसी थी इसलिए इलाज के लिए कुसमी बस स्टैंड पर प्राइवेट मेडिकल स्टोर में लेकर गए थे. वहां मेडिकल वाले ने सिरप दिया, उसे पिलाया. फिर कुछ देर बाद हाथ और कूल्हे में दो इंजेक्शन लगाए. जिसके 5 मिनट बाद बच्ची के नाक, मुंह से खून आने लगा. उन्होंने आगे बताया कि जब बच्ची के मुंह से खून आने लगा तो फिर से इंजेक्शन लगाने वाले को दिखाया. तो उनके द्वारा यह कहा गया कि अम्बिकापुर ले जाओ. फिर मेडिकल स्टोर वाले ने निजी वाहन का इंतजाम कराया और उसमें बैठाकर  बच्ची को अम्बिकापुर लेकर जा रहे थे तब भी बच्ची खून की उल्टी कर रही थी, और आधे रास्ते में दम तोड़ दिया.


इस संबंध में मेडिकल कॉलेज अस्पताल अधीक्षक डॉ. लखन सिंह ने बताया कि बच्ची के मृत होने का कारण नहीं बता सकते. इसमें जांच के लिए टीम गठित कर दी गई है, जो भी रिपोर्ट होगी वो पुलिस वाले ही बता पाएंगे, क्योंकि फोरेंसिक वाले प्राइमरी रिपोर्ट पुलिस को ही देते हैं.


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