Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिला मुख्यालय में स्थित महामाया पहाड़ में सैकड़ों लोगों द्वारा अवैध कब्जा कर मकान बना लिया गया है. वहीं अब शासकीय भूमि पर अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर प्रशासन ने तैयारी शुरू कर दी है. महामाया पहाड़ को अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए डीएफओ ने सरगुजा कलेक्टर को पत्र लिखकर पुलिस बल, राजस्व, नगर निगम की संयुक्त टीम की मांग की है. डीएफओ की सक्रियता से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि बहुत जल्द अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जा सकती है.


जांच के दिए गए थे निर्देश


दरअसल, सरगुजा के महामाया पहाड़ में लंबे समय से अतिक्रमण का खेल चल रहा है. अब तक 200 से ज्यादा लोगों ने महामाया पहाड़ की भूमि पर कब्जा कर अवैध तरीके से मकान बना लिया है. इस अतिक्रमण को हटाने के लिए विभिन्न राजनीतिक दल और संगठनों द्वारा लंबे समय से मांग की जा रही है.


महामाया पहाड़ पर स्थानीय और बाहरी लोगों द्वारा अतिक्रमण किए जाने की शिकायत बीजेपी पार्षद आलोक दुबे ने जून 2021 में छत्तीसगढ़ शासन से की थी. इस मामले पर शासन द्वारा सरगुजा कलेक्टर संजीव कुमार झा को जांच के आदेश दिए गए थे. जिसके परिपालन में कलेक्टर ने 10 दिसंबर को 2021 को टीम गठित कर जांच के निर्देश दिए थे. 


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जल्द की जाएगी कार्रवाई


जिला प्रशासन के अधिकारियों की टीम ने महामाया पहाड़ आसपास के क्षेत्र का सर्वे किया और सर्वे में 254 अतिक्रमण की पुष्टि हुई थी. वहीं वन अमले द्वारा अतिक्रमण हटाने को लेकर 60 अतिक्रमणकारियों को 3 बार नोटिस जारी किया गया था. जिसमें एक समय अवधि निर्धारित था उस अवधि में स्वयं कब्जा हटाने का निर्देश दिया गया था. लेकिन अतिक्रमणकारियों ने समय बीत जाने के बाद भी अतिक्रमण नहीं हटाया. जिसे देखते हुए अब वन विभाग, प्रशासन, पुलिस और नगर निगम की संयुक्त टीम जल्द ही महामाया पहाड़ पर अवैध कब्जाधारियों पर कार्रवाई करेगी.


तीन बार दिया जा चुका है नोटिस


इस संबंध ने डीएफओ पंकज कमल का कहना है कि महामाया पहाड़ को अतिक्रमण मुक्त कराने को लेकर कब्जाधारियों को तीन बार नोटिस दिया जा चुका है. आज यानी 15 जून को कब्जा मुक्त कराने के लिए कलेक्टर से पुलिस बल, राजस्व, नगर निगम की संयुक्त टीम की मांग की गई थी. लेकिन रामगढ़ महोत्सव और पुलिस भर्ती प्रक्रिया के चलने के कारण कुछ दिनो के लिए अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई स्थगित कर दी गई है. 


इस इलाके में है शासकीय भूमि


गौरतलब है कि कभी अम्बिकापुर का महामाया पहाड़ संरक्षित जंगल था. इससे पूरे शहर को ऑक्सीजन प्राप्त होती थी. इसके साथ ही इस इलाके में व्यापक पैमाने पर नजूल और शासकीय भूमि थी. अब यह देखा गया है कि पिछले कुछ वर्षों में इन क्षेत्रों के वन संरक्षित शासकीय भूमि पर बिहार, झारखंड प्रांत से आए लोग बेखौफ होकर कब्जा कर रहे हैं और घर मकान बना रहे हैं.


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