Surguja News: सुरगुजा में हाथियों का आतंक, लोगों के घर तोड़कर मचाई तबाही, फसलों को भी बनाया निशाना
Surguja Elephant Attack: छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग में हाथियों का आतंक नहीं थम रहा है. आए दिन हाथी मकान, झोपड़ी और फसलों को नुकसान पहुंचा रहे है.
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग में हाथियों का आतंक नहीं थम रहा है. आए दिन हाथी मकान, झोपड़ी और फसलों को नुकसान पहुंचा रहे है. जिससे वनांचल क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के साथ इस बारिश के मौसम में बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है. जशपुर जिले के कुनकुरी इलाके के लोग लंबे समय से हाथियों की दहशत का दंश झेल रहे हैं. जशपुर में इस साल हाथियों ने अलग-अलग घटनाओं में 5 लोगों को मौत के घाट उतार दिया. वर्तमान में भी हाथियों का आतंक जारी ही है. वन अधिकारियों की लाख कोशिशों के बाद भी हाथी नियंत्रण में नहीं आ रहे हैं और गांव की ओर रुख कर जाते है.
सरगुजा में भी गज आतंक
जशपुर के बाद सरगुजा जिले में भी लंबे समय से हाथियों की समस्या बनी हुई है. जिले के मैनपाट इलाके में 15 हाथियों का दल रात के समय आमद देता है और ग्रामीणों के मकान तहस-नहस कर जंगल की ओर लौट जाता है. ब्लॉक मुख्यालय मैनपाट से कुछ दूरी पर रायगढ़ जिले के सरहदी क्षेत्र में बसे गांवों में शाम के 7-8 बजे कापू रेंज से हाथियों का 15 सदस्यीय दल आता है और गांव के मकानों को क्षतिग्रस्त कर रात में ही वापस जंगल में चला जाता है. अभी बारिश की शुरुआत हो रही है ऐसे में हर दिन थोड़ी बहुत वर्षा होती है. इस समय हाथियों का आतंक बढ़ गया है. जो ग्रामीणों की मुसीबत का सबब बना हुआ है.
इन लोगों का तोड़ा मकान
शनिवार की रात हाथियों के दल ने कंडराजा में कोरवा बस्ती के गौरी, शिवप्रसाद, मंगल, साझू, बिफना, बुधु, बिहानी, बालेश्वर का कच्चा मकान और झोपड़ी को तोड़ दिया है. जिससे उनके पास रहने के लिए टूटा मकान ही रह गया है. मजबूरी में उन्हें शासकीय भवनों में रात गुजारनी पड़ रही है. वहीं आरोप है कि वन विभाग की ओर से उन्हें उचित मदद नहीं मिल पा रही है.
इन गांवों तक पहुंचता है हाथियों का दल
मैनपाट वन परिक्षेत्र के रेंजर फेंकू प्रसाद चौबे ने बताया कि 15 हाथियों का दल है. जो सरगुजा जिले के सरहदी इलाके में बसे बरडांड, चोरकीपानी, बडवाली, कंडराजा, ननईडेढ़ा, बरिमा, डांडकेसरा और अन्य गांवों में करीब रात के वक्त पहुंच जाते है. वन विभाग की ओर से ग्रामीणों को हाथियों से दूरी बनाए रखने के लिए प्रचार प्रसार, प्रशिक्षण, हाथियों को नहीं छेड़ने की सलाह दी जाती है. हाथी से प्रभावित गांव के लोगों को रात में आंगनबाड़ी, स्कूल में ठहरा रहे हैं.
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