Surguja News: सरगुजा में 108 प्राथमिक शालाओं में एक शिक्षक, मिडिल स्कूलों में भी शिक्षकों की कमी
शासन के निर्देश पर संयुक्त संचालक शिक्षा द्वारा अप्रैल महीने में प्राथमिक शालाओं में पदस्थ टी-संवर्ग के शिक्षकों को काउंसलिंग के माध्यम से पदोन्नति प्रदान की गई थी.
Surguja News: छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में प्राथमिक शाला के प्रधान पाठकों एवं सहायक शिक्षकों की पदोन्नति उपरांत पदस्थापना स्थल में किए गए संशोधन से दूरस्थ क्षेत्रों के 100 से अधिक प्राथमिक शालाएं शिक्षकविहीन हो गई है. पहले से ही शिक्षकों की कमी से जूझ रहे इन स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था को सुचारू रखना प्रशासन व विभाग के लिए बड़ी चुनौती बन गई है. फिलहाल पदोन्नत शिक्षकों को कार्यमुक्त न कर विभाग किसी तरह काम चला रहा है लेकिन भविष्य में पदोन्नत शिक्षकों के कार्यमुक्त होने पर कभी भी बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है.
शासन के निर्देश पर संयुक्त संचालक शिक्षा द्वारा अप्रैल महीने में प्राथमिक शालाओं में पदस्थ टी-संवर्ग के शिक्षकों को काउंसलिंग के माध्यम से पदोन्नति प्रदान की गई थी. विभाग द्वारा 862 वरिष्ठ शिक्षक को मिडिल स्कूल के प्रधान पाठक एवं 1930 सहायक शिक्षकों को शिक्षक पद पर पदोन्नत किया था. पदोन्नति पश्चात दूसरे जिलों के दूरस्थ क्षेत्रों में पदांकन होने के कारण बडी संख्या में पदोन्नत शिक्षकों ने कार्यभार ग्रहण नहीं किया तथा आवेदन देकर पदांकन स्थल में संशोधन की मांग की थी. बाद में विभाग ने बड़ी संख्या में शिक्षकों के पदांकन स्थल में संशोधन किया. पदोन्नति प्रक्रिया में विभाग ने एकल शिक्षकीय विद्यालयों के संचालन की चिंता किए बिना ऐसे शिक्षकों को भी पदोन्नत कर दिया. जो वर्षों से अकेले प्रायमरी स्कूल के सभी पांच कक्षाओं के बच्चों को एक साथ बढ़ा रहे थे. 100 से अधिक ऐसे प्राथमिक शालाओं में दूसरे शिक्षक की व्यवस्था नहीं होने के कारण विभाग पदोन्नत शिक्षकों को कार्यमुक्त नहीं कर रहा है. पदोन्नत शिक्षकों को वैकल्पिक व्यवस्था होने तक विद्यालय संचालन की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
पदोन्नत शिक्षकों को कार्यमुक्त नहीं करने से नाराजगी बढ़ रही है तथा शिक्षक न्यायालय की शरण में जाने की तैयारी कर रहे हैं. पदोन्नत शिक्षकों को कार्यमुक्त करना पड़ा तो बड़ी संख्या में स्कूल शिक्षक विहीन हो जाएंगे तथा इन स्कूलों में पढ़ाई जारी रखने विभाग को काफी मुश्किलें होंगी. दूरस्थ क्षेत्रों के स्कूल वैसे भी लम्बे समय से शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं. विशेष परिस्थितियों में विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी ऐसे स्कूलों में पास के स्कूलों के शिक्षक को संलग्न कर शिक्षा व्यवस्था सुचारू रखने की वैकल्पिक व्यवस्था करते हैं लेकिन बड़ी संख्या में प्राथमिक शालाओं के शिक्षकविहीन होने की स्थिति में ब्लॉक स्तर पर वैकल्पिक व्यवस्था करना संभव नहीं है. पदोन्नति से उत्पन्न स्थिति विकासखण्ड बतौली, सीतापुर एवं मैनपाट में विपरीत स्थिति निर्मित हो गई है.
संकट में 108 स्कूलों के बच्चे
विभाग की लापरवाही से विकासखण्ड बतौली, सीतापुर एवं मैनपाट के 108 प्राथमिक शालाओं में अध्ययनरत बच्चो का भविष्य संकट में पड़ गया है. एक शिक्षक के भरोसे पांच कक्षाओं की पढ़ाई संभव नहीं है. शासन ने सभी प्राथमिक शालाओं में न्यूनतम दो शिक्षकों को पदस्थ करने का निर्देश दिया है लेकिन विभाग के अधिकारियों ने कभी इन स्कूलों की चिंता नहीं की. जिन एकल शिक्षकीय प्राथमिक शालाओं के शिक्षकों को पदोन्नति दी गई है उनमें विकासखण्ड बतौली के 19 प्रायमरी स्कूल, सीतापुर के 30 प्रायमरी स्कूल एवं विकासखण्ड मैनपाट के 37 प्रायमरी स्कूल एवं 12 मिडिल स्कूल शामिल है. विकासखण्ड मैनपाट अंतर्गत प्राथमिक शाला कण्डराजा एवं प्राथमिक आश्रम शाला कतकालो लम्बे अर्से से शिक्षक विहीन पड़ा है तथा वैकल्पिक व्यवस्था के तहत दोनों स्कूलों का संचालन किया जा रहा है.
शहर के स्कूलों में अतिशेष
दूरस्थ क्षेत्रों के स्कूल लम्बे अर्से से शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं. वहीं शहरी क्षेत्र के स्कूलों में स्वीकृत सेटअप से अधिक संख्या में शिक्षकों को पदस्थ किया गया है. बीच-बीच में अतिशेष शिक्षकों का मुद्दा उठते रहा है लेकिन अतिशेष शिक्षकों के प्रभावशाली होने के कारण विभाग ने कभी इन्हें छेड़ने की कोशिश नहीं की. क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने भी इस मुद्दे पर कभी बात नहीं की. अतिशेष शिक्षकों का मुद्दा बीच-बीच में गरमाता है लेकिन तत्काल शांत भी हो जाता है. पदोन्नत शिक्षकों को पदोन्नति का लाभ लेना उनका अधिकार है लेकिन विभाग ने एकल शिक्षकीय शाला का पेंच लगाकर उन्हें पदोन्नति के लाभ से वंचित कर दिया है.
अब नई भर्ती से उम्मीद
शासन स्तर पर शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया चल रही है. अधिकारी शिक्षक भर्ती प्रक्रिया पर उम्मीदें लगाए बैठे हैं. एक पखवाड़े में शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी होने की उम्मीद जताई जा रही है. अधिकारी शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पूरी होने के उपरांत इन स्कूलों में शिक्षकों की पदस्थापना करने की बात कह रहे हैं. जानकारों का कहना है कि विभाग को पहले ऐसी शालाओं में शिक्षकों की व्यवस्था करने के बाद पदोन्नति प्रक्रिया पूरी करनी थी. विभाग की लापरवाही से पदोन्नत शिक्षक मन से काम नहीं कर पाएंगे तथा असंतुष्ट रहेंगे, जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी. पदोन्नति की प्रक्रिया हायर सेकेण्डरी स्कूलों से शुरू होकर प्रायमरी स्कूलों तक होनी चाहिए, जिससे रिक्तियों की हकीकत मालूम हो सके तथा समय पर व्यवस्था दुरुस्त किया जा सके.