Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में मानसून शुरु होने के साथ ही किसानों के चेहरे खिल उठे हैं. सरगुजा संभाग के किसान नांगर-बइला (हल और बैल) लेकर खेत की ओर निकल गए हैं. खेत जोतकर धान की बुवाई का काम शुरु हो चुका है. कुछ इलाकों में जहां सिंचाई के लिए पानी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है, वहां धान के पौधे तैयार होने के बाद पौधो को रोपने का काम हो रहा है. सरगुजा संभाग के सूरजपुर, बलरामपुर, कोरिया, जशपुर और सरगुजा में हर दिन झमाझम बारिश हो रही है. जिससे किसानों के खेतों में पानी का ठहराव हुआ है. ऐसे समय में किसान धान की खेती को लेकर कोई देरी बरतना नहीं चाहते. इस वजह से ट्रैक्टर और अन्य माध्यमों से खेतों की जुताई कर धान बुवाई कर रहे है.


किसान धान की बुवाई की प्रक्रिया में जुटे


सूरजपुर जिले के प्रेमनगर इलाके में पर्याप्त वर्षा से वहां के किसानों के धान के पौधे तैयार हो चुके हैं. जिसे किसान खेत में रोपाई करवा रहे हैं. इसके अलावा बारिश का इंतजार कर रहे सूरजपुर ब्लॉक के लोगों ने भी राहत की सांस ली है. यहां पिछले दो दिनों में झमाझम बारिश हुई, जिससे किसान खेतों में धान बुवाई की प्रक्रिया में जुट गए हैं. चूंकि मानसून की शुरुआत होते ही किसान धान बुवाई, रोपाई का काम शुरू कर देते हैं. ऐसे समय में किसानों को किस तरह से धान की फसलों और मिट्टी को तैयार करना चाहिए इसको लेकर एबीपी न्यूज ने अम्बिकापुर कृषि विज्ञान केंद्र में पदस्थ वैज्ञानिक से चर्चा की है.


कृषि वैज्ञानिक ने एबीपी को ये बताया


वैज्ञानिक रविंद्र तिग्गा ने बताया कि धान बुवाई के समय किसानों को ज्यादा जैविक खाद का उपयोग करना चाहिए जिसमें गोबर खाद, केंचुआ खाद शामिल है. इसके बाद पौधा तैयार होने पर आवश्यकता अनुसार फास्फोरस, पोटास, एनपीके रसायनिक खाद का उपयोग करना चाहिए. वहीं धान की रोपाई के पौधे में कीड़े से तना छेदक, गंडई कीड़ा, बंगी कीड़ा, माहो पौधे को नुकसान पहुंचाते है. इसके लिए सही समय पर दवाई का छिड़काव करना आवश्यक है. पौधों को संतुलित मात्रा में उर्वरक देने के बाद ही अच्छी पैदावार हो सकेगी. उन्होंने बताया कि पौधों की 15 अगस्त तक किसानों को धान की रोपाई कर लेनी चाहिए.


कृषि विशेषज्ञ ने ये कहा


सूरजपुर जिले में लंबे समय से खेती किसानी के कार्य से जुड़े और कृषि सेवा केंद्र के संचालक राजेश कुमार प्रजापति ने बताया कि धान की कटाई, मिसाई के बाद जनवरी-फरवरी के महीनों में खेत की जुताई कर छोड़ देना चाहिए. इसके बाद फिर खेती किसानी का सीजन आने पर धान बुवाई से एक महीने पहले जैविक खाद्य गोबर खाद, केंचुआ खाद्य का खेत में छिड़काव करना चाहिए. इससे बारिश होने पर जमीन में नमी की मात्रा बनी रहती है.


उन्होंने आगे बताया कि पहले के समय में ग्रामीण क्षेत्र के लोग पिछले साल के रखे हुए धान की बुवाई करते थे, अब कुछ सालों से लोग हाइब्रिड धान ज्यादा पसंद कर रहे है, क्योंकि इस धान को वैज्ञानिक परीक्षण के बाद मार्केट में लाया जाता है. उन्होंने आगे बताया कि रासायनिक खाद्य का उपयोग कृषि विशेषज्ञों से सलाह से करना चाहिए.


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