Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के सरगुजा (Surguja) जिले में प्रशासन की लापरवाही की वजह से प्राइमरी स्कूल के बच्चे मिडिल स्कूल में एक ही कमरे में बैठकर पढ़ने पर मजबूर हैं. इससे बच्चों को पढ़ने में और शिक्षकों को पढ़ाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. मामला उदयपुर विकासखंड अंतर्गत करौंदी गांव का है. यहां का प्राइमरी स्कूल भवन जर्जर हो गया था. इसकी वजह से वहां के बच्चों को स्कूल की मरम्मत होने तक वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर 2019 से गांव के ही मिडिल स्कूल में पढ़ाने के लिए शिफ्ट कर दिया गया.
वर्तमान में प्राइमरी स्कूल की मरम्मत हो चुकी है, लेकिन वहां शौचालय भवन, किचन शेड और पानी की व्यवस्था नहीं हो सकी है. इसकी वजह से बच्चे मिडिल स्कूल में ही अव्यवस्थाओं के बीच पढ़ने पर मजबूर है. बता दें कि ग्राम पंचायत करौंदी के खुंटरापारा में शासकीय प्राथमिक शाला का संचालन किया जाता था. स्कूल भवन जर्जर होने की वजह से दो साल से प्राइमरी स्कूल के बच्चों को मिडिल स्कूल करौंदी के एक कमरे में पढ़ाया जा रहा है. इधर ग्रामीणों के लगातार विरोध के बाद प्राथमिक शाला के जर्जर भवन का मरम्मत साल 2022 में करवाया जा चुका है. यहां शौचालय, किचन सेड और पानी की व्यवस्था नहीं होने से अभी भी प्राइमरी स्कूल के बच्चों की पढ़ाई मिडिल स्कूल करौंदी में ही कराई जा रही है.
तीन कमरें में प्राइमरी और मिडिल दोनों के बच्चे पढ़ रहे
वर्तमान शिक्षण सत्र में प्राइमरी स्कूल खूंटरापारा में पहली क्लास में नौ, दूसरी में आठ, तीसरी में दो, चौथी में सात और पांचवी में 12 बच्चे अध्ययनरत हैं. इन्हें पढ़ाने के लिए शासन द्वारा दो शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है. वहीं प्राइमरी स्कूल का मिडिल स्कूल में संचालन किए जाने से यहां के छात्र-छात्राओं की परेशानी भी बढ़ी है. क्योंकि मिडिल स्कूल में कुल 58 स्टूडेंट हैं और 3 कमरे और 3 शिक्षक हैं. इस संबंध में स्थानीय ग्रामीण सोमारु राम ने बताया की प्राइमरी स्कूल के विद्यार्थियों की पढ़ाई मिडिल स्कूल में नहीं हो पा रही है. जर्जर भवन के मरम्मत के बाद भी प्राथमिक शाला के अपने भवन में पढ़ाई नहीं कराया जा रहा है. इससे काफी समस्या है. प्राइमरी स्कूल के शिक्षक सुरेश कुमार सिंह ने कहा, प्राइमरी स्कूल के बच्चों की पढ़ाई मिडिल स्कूल भवन में दो साल से कराया जा रहा है. जर्जर भवन होने के कारण स्कूल यहां लगाया जा रहा है. संकुल की बैठक में भी इस समस्या को बताया गया है.
बगल नहर में बच्चे धुलते हैं बर्तन
पंचायत के प्रतिनिधि भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं. इससे काफी परेशानी हो रही है. एक ही कमरे में बैठाकर छात्र-छात्राओं को पढ़ाया जा रहा है. करौंदी के प्राइमरी स्कूल की अपनी अलग कहानी है. वहीं मिडिल स्कूल करौंदी में भी समस्याओं की कमी नहीं है. यहां केवल बालिका शौचालय का उपयोग किया जा रहा है. बालक शौचालय जर्जर स्थिति में है और इसे उपयोग के लिए बंद कर दिया गया है. रनिंग वाटर की व्यवस्था भी विद्यालय में अभी तक नहीं की गई है. बोरिंग से पानी पीने के लिए उपयोग किया जा रहा है. वह भी आयरन युक्त पानी है. इससे बच्चों को काफी परेशानी होती है. वहीं शौचालय के लिए बालिकाओं को बाल्टी में पानी लेकर जाना पड़ता है. स्कूल परिसर में पक्का बाउंड्री वाल नहीं है. घेराव के रूप में कुछ दूरी पर तार जाली का उपयोग किया गया है, लेकिन यह सुरक्षा की दृष्टि से नाकाफी है.
यहां के बालक-बालिका स्कूल के बगल में बहने वाली नहर में अपने खाए हुए बर्तन को साफ करते हुए नजर आते हैं. साथ ही यहां के बालक शौच के लिए बाहर जंगल की ओर जाने को मजबूर हैं. इस संबंध में एबीपी न्यूज से जिला शिक्षा अधिकारी डॉ संजय गुहे ने कहा कि, हमारे पास चंदौली के स्कूल से संबंधित ऐसी कोई शिकायत नहीं आई है. अगर वहां से कोई ऐसी जानकारी मिलती है तो हम तत्काल इस पर उचित पहल करेंगे.