Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग में पदस्थ भारतीय रेलवे यातायात सेवा (IRTS) के युवा अधिकारी योगेंद्र सिंह भाटी की संदेहास्पद मौत और उसके बाद सुलगते सवालों के बीच दक्षिण मध्य रेलवे ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बना दी है. कमेटी को जल्द से जल्द जांच करने का निर्देश दिया गया है. दरअसल, आईआरटीएस अधिकारी की मौत रेलवे ट्रैक में काम के दौरान ट्रेन की चपेट में आने से हुई गई थी. जिसके बाद परिजनों ने इस हादसे और मौत का जिम्मेदार बिलासपुर रेलवे डिविजन के बड़े अधिकारियों को ठहराया है. 


पैसेंजर ट्रेन की चपेट में आने से मौत


दरअसल बिलासपुर-कटनी रेलमार्ग पर अनूपपुर-शहडोल के बीच अमलाई स्टेशन मौजूद है. जहां गुरुवार को नॉन इंटरलॉकिंग काम चल रहा था. इस दौरान आईआरटीएस अधिकारी योगेंद्र सिंह भाटी की मौजूदगी में करीब 150 से ज्यादा इंजीनियर, अधिकारी और मजदूर इंटरलॉकिंग के काम में लगे हुए थे. तभी योगेंद्र सिंह भाटी बुढ़ार स्टेशन से रवाना हुई पैसेंजर की चपेट में आ गए और उनकी मौत हो गई.


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मौत के बाद उठे ये सवाल


इस घटना के बाद सवाल उठ रहा है कि जिस लाइन में मरम्मत का काम चल रहा था. आखिर पैसेंजर ट्रेन उस ट्रैक पर रवाना कैसे कर दी गई? और रवाना की तो फिर इतनी संख्या में मौजूद अधिकारी-कर्मचारी क्या उनके ट्रेन की चपेट में आने का इंतजार कर रहे थे? क्या मौके पर मौजूद लोग उनको पैसेंजर ट्रेन की चपेट से नहीं बचा सकते थे?


मां ने की उच्च स्तरीय जांच की मांग


मृत आईआरटीएस अधिकारी की मां ने अपने बेटे की मौत का जिम्मेदार दो सीनियर अफसरों को ठहराया है. मां के मुताबिक वो यूपीएससी की तैयारी कर रहा था. इसी बात के कारण उसके सीनियर अधिकारी उसको मौखिक आदेश पर कभी शहडोल तो कभी कटनी तो कभी अम्बिकापुर भेज देते थे.


इस घटना के दौरान भी उसे कोई लिखित आदेश नहीं दिया था. काम के दौरान बिना सिग्नल के ही पैसेंजर गाड़ी छोड़ दी गई और बेटे की मौत हो गई. मां ने इस हादसे की लिखित शिकायत जीआरपी पुलिस चौकी अनूपपुर और जीआरपी थाना शहडोल को दी है. उनकी मौत पर संदेह जारी करते हुए. मामले की गंभीरता से जांच की गुहार लगाई है.


पिता ने भी लगाए ये आरोप


आईआरटीएस योगेंद्र सिंह भाटी के पिता का कहना है कि आईआरटीएस अधिकारी होने के बाद भी उनकी पोस्टिंग ऐसी जगह की गई. जहां बेटे के लिए ऑफिस और घर तक की व्यवस्था नहीं थी. उनके मुताबिक दिवंगत योगेंद्र सिंह भाटी उनके इकलौते बेटे थे. पिछले दो साल से उनकी तबियत खराब होने के बावजूद बिलासपुर में बैठे उनके अधिकारी उन्हें कभी छुट्टी नहीं देते थे. पिता ने आरोप लगाया है कि मुझे ब्लड सुगर, ब्लड प्रेशर और यूरिन इन्फेक्शन की बीमारी के बाद भी बेटे को कभी छुट्टी नहीं दी गई.


जीएम ने गठित की जांच टीम


रेलवे विभाग के पीआरओ साकेत रंजन ने बताया कि दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के महाप्रबंधक (जीएम) आलोक कुमार ने इस घटना की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम गठित की है. टीम में शामिल सदस्य हायर ऑफिशियल है. जीएम ने जल्द से जल्द मामले की जांच करने के निर्देश दिए है.


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