Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में कई ऐसे स्कूल हैं, जहां शिक्षक बच्चों को पढ़ाने नहीं जाते और अक्सर स्कूल से लापता मिलते हैं. वहीं सरगुजा (Surguja) जिले के मैनपाट में चार ऐसे स्कूल हैं, जहां पोस्टेड आठ शिक्षक बरसात के दिनों में नदी पार कर स्कूल जाते हैं. मैनपाट में आठ शिक्षक पढ़ाने पैदल तीन किलोमीटर स्कूल जाते हैं. इनमें एक शिक्षक तो पिछले 14 साल से बच्चों को इसी तरह पढ़ा रहे हैं. इसके लिए शिक्षक घर से एक सेट अलग कपड़ा रखते हैं और जब वह नदी पार करते समय भीग जाता है, तो नदी पार करने के बाद कपड़ा बदल लेते हैं. इसके बाद भी प्रशासन और सरकार ने यहां पुल बनाने के लिए अब तक ठोस पहल नहीं की है.
मैनपाट ब्लॉक के कदनई ग्राम पंचायत में जाने के लिए घुनघुट्टा नदी पार करनी पड़ती है. यहां प्राथमिक पाठशाला में पदस्थ शिक्षक रूपेश गुप्ता ने बताया कि वे 2008 से इसी स्कूल में पदस्थ है और वे मूलतः बलरामपुर जिले के रहने वाले हैं. उन्होंने बताया कि बारिश होने पर नदी में बाढ़ आ जाती है और पूरे बरसात के चार महीने नदी में छाती भर पानी होता है. ऐसे में कदनई प्राथमिक शाला, लोटाभावना व कदमटिकरा स्थित प्राथमिक शाला के साथ पूर्व माध्यमिक स्कूल के शिक्षक नदी पार कर यहां पहुंचते हैं.
पुल न होने से ग्रामीणों को परेशानी
ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने नदी पर पुल बनाने के लिए कई बार मांग की, लेकिन अब तक पुल का निर्माण नहीं हो सका है. इससे शिक्षकों को ही परेशानी नहीं होती है, बल्कि किसी की तबियत खराब हुई, तो उन्हें अस्पताल ले जाने में भी परेशानी होती है और खाट पर मरीज को नदी पार करवाते हैं. वहीं गर्भवती महिलाओं को चार महीने सबसे अधिक परेशानी होती है.
पुल न होने से बच्चे छोड़ देते हैं पढ़ाई
कदनई के लोटाभावना व कदमटिकरा प्राथमिक शाला का खुद का भवन नहीं है. यहां लोटाभावना में स्कूल एक सामुदायिक खस्ताहाल भवन में चल रहा है, तो कदमटिकरा में एक कच्चे घर में किसी तरह स्कूल का संचालन किया जा रहा है. लोटाभावना स्कूल में 54, कदमटिकरा में 26 व कदनई में 32 विद्यार्थी है. वहीं मिडिल स्कूल में सिर्फ 26 छात्र है, जिसमें आठवीं में तीन विद्यार्थी पढ़ रहे हैं. यहां नदी पर पुल नहीं होने से 25 प्रतिशत बच्चे हाई स्कूल की पढ़ाई नहीं कर पाते हैं.
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