Surguja News: सरगुजा के हसदेव अरण्य में फिर पेड़ काटने की तैयारी है. कोल खनन के लिए जंगल को काटा जाएगा. उदयपुर इलाके में पेड़ों की कटाई की जानी है. कोल खनन के लिए हजारों पेड़ों की बलि की जानकारी मिलने पर ग्रामीणों ने विरोध शुरू कर दिया है. ग्रामीण जंगलों को बचाने के लिए सक्रिय हो गए हैं. आदिवासी जल, जंगल, जमीन को भगवान मानकर पूजते हैं. उदयपुर क्षेत्र में महिलाएं और पुरुष लाठी डंडा लिए पेड़ों की कटाई और जेसीबी से बनाए जा रहे रास्ते को बंद कराने के लिए पहुंच गए हैं.


जंगल को बचाने के लिए लामबंद हुए ग्रामीण


15 गांव के ग्रामीण तिरंगा झंडा लिए तीसरे दिन भी जंगल में डेरा जमाए हैं. ग्राम घाटबर्रा, बासेन, साल्ही, हरिहरपुर, फतेहपुर और परोगिया के रामलाल करियाम, जनसाय पोया, अमृत मरावी, सुनीता पोर्ते, नानदाई श्याम की अगुवाई में ग्रामीण धरना स्थल पर डटे हुए हैं. प्रदर्शनकारी मुनेश्वर सिंह अरमो का कहना है कि दो दिन पहले कोयला खदान से जंगल की ओर करीब 500 मीटर की दूरी तक पोकलेन के जरिए रास्ता बनाया जा रहा था. बता दें कि राज्य सरकार ने बीते 6 अप्रैल 2022 को सरगुजा जिले में परसा ईस्ट एवं कांते बेसन कोल माईन फेज टू के विस्तार को आधिकारिक मंजूरी दे दी थी. दोनों कोल ब्लॉक राजस्थान राज्य विद्युत निगम को आबंटित है. एमडीओ के जरिए अडानी ग्रुप को खनन की जिम्मेदारी सौंपी गई है. पिछली बार कोल खनन के लिए पेड़ो की कटाई का जबरदस्त विरोध हुआ था.


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वन अधिकारी समझाने की कर रहे कोशिश


आंदोलन कर रहे ग्रामीणों को क्षेत्रीय विधायक और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने समझाने की कोशिश की थी. ऐसे में अब फिर चोरी छिपे हसदेव अरण्य के जंगल से पेड़ कटाई की जानकारी को आंदोलनकारी स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव से साझा करेंगे. फिलहाल, ग्रामीणों को सरगुजा जिले के वन अधिकारी समझाने की कोशिश कर रहे है. डीएफओ पंकज कमल का कहना है कि आदेश में हसदेव अरण्य क्षेत्र के 43 हेक्टेयर पर 8000 पेड़ कटने हैं. मई में 100 पेड़ काटे जा चुके हैं. बाकी के लिए आदेश नहीं मिला है. सरकार के निर्देशानुसार ग्रामीणों की सहमति पर ही पेड़ों की कटाई की जाएगी. पिछले दिनों राज्य सरकार ने विधानसभा में सर्वसम्मति से हसदेव की सारी खदानों के आबंटन को रद्द करने का संकल्प पारित किया था.