Bijapur News: छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बस्तर में पिछले कुछ महीनों से सरकार के खिलाफ आदिवासियों की जमकर नाराजगी देखने को मिल रही है. फिर चाहे वह बीजापुर (Bijapur) में चल रहे सिलगेर आंदोलन (Silger Movement ) का मामला हो या फिर आरक्षण में 12% कटौती का मामला या फिर बस्तर (Bastar) के अंदरूनी गांव में नए पुलिस कैंप खोले जाने का मामला. आदिवासी लगतार सरकार को घेर रहे हैं और अब अपनी मांगों को लेकर सड़कों में भी उतर आए हैं. 


करीब डेढ़ सालों से बीजापुर जिले के सिलगेर में चल रहा आंदोलन अब तक समाप्त नहीं हो पाया है. न्याय की मांग को लेकर हजारों ग्रामीण अभी भी अपने आंदोलन में डटे हुए हैं और अब इनकी लड़ाई शहर की सड़कों में भी देखने को मिल रही है, हालांकि सरकार आदिवासियों को मनाने का भरसक प्रयास कर रही है, लेकिन उनकी मांगों को अब तक अमल नहीं करने से आदिवासियों की नाराजगी लगातार बनी हुई है. वहीं सिलगेर आंदोलन प्रदेश के सबसे लंबे दिनों तक चलने वाला आंदोलन बनकर सामने आया है.


पिछले डेढ़ सालों से चल रहा सिलगेर आंदोलन
दरअसल 11 मई 2021 को बीजापुर जिले के सिलगेर गांव में स्थापित हुए नए पुलिस कैंप के विरोध में आसपास के सैकड़ों ग्रामीणों ने आंदोलन की शुरुआत की थी. आंदोलन के पांचवें दिन ग्रामीणों और पुलिस के बीच झड़प भी हुई जिसके बाद पुलिस के जवानों ने ग्रामीणों पर फायरिंग कर दी जिसमें 4 ग्रामीणों की मौत हो गई थी. मरने वालों में एक गर्भवती महिला भी शामिल थी.


 इस घटना के बाद से ग्रामीणों का आंदोलन और उग्र हो गया और आसपास के 50 से अधिक गांवों के हजारों आदिवासी सिलगेर में जुटने लगे. इस आंदोलन को अब डेढ़ साल बीत गए है, आंदोलनकर्ता अपनी 3 सूत्रीय मांग को लेकर अड़े हुए हैं और लगातार धरना प्रदर्शन कर रहे हैं, हालांकि इस मामले की जांच के लिए कांग्रेस कमेटी ने एक जांच टीम भी बनाई और इस पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट भी सरकार को सौंपी.


 साथ ही सरकार ने दंडाधिकारी जांच टीम का गठन कर इस मामले की जांच की, लेकिन अब तक इसकी रिपोर्ट का पता नहीं चल सका है. ग्रामीणों की मांग है कि इस घटना में मृत लोगों के परिवारों को 1-1 करोड़  रुपए मुआवजा और दोषी पुलिसकर्मियों को सजा देने के साथ घायलों को 50-50 लाख रुपये दिए जाएं. इ


इस मामले को लेकर आंदोलनकारियों का राज्यपाल से लेकर मुख्यमंत्री से भी बैठकों का दौर चला लेकिन अब तक इस पर कोई फैसला नहीं आया, जिसके चलते ग्रामीणों ने अपने आंदोलन को जारी रखा है. वहीं अब इस आंदोलन की चिंगारी बस्तर संभाग के अन्य जिलों में भी फैल गई है और आरक्षण के मुद्दे के साथ ही सिलगेर के आंदोलन के मामले को लेकर भी आदिवासी सरकार को घेरते नजर आ रहे हैं.


कांग्रेस बीजेपी पर लगा रही आरोप
हालांकि बस्तर के सांसद दीपक बैज इसे बीजेपी का प्रोपेगेंडा बता रहे हैं और कांग्रेस सरकार को आदिवासियों का हितैषी बता रहे हैं. उनका कहना है कि आरक्षण को लेकर बीजेपी आदिवासियों को गुमराह करने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा कि बीजेपी  के बहकावे पर  आदिवासी  सड़कों पर आकर आरक्षण और अन्य मुद्दों को लेकर  विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.


आदिवासियों को मिलकर रहेगा 32% आरक्षण
बैज ने कहा कि सरकार सिलगेर जैसी घटना को लेकर और आरक्षण के मुद्दे को लेकर पूरी तरह से गंभीर है, कुछ ही दिन में होने वाले विधानसभा सत्र में आरक्षण के मुद्दे को पटल पर रखा जाएगा और निश्चित तौर पर आदिवासियों को 32% आरक्षण मिलकर रहेगा. उसके लिए सरकार पूरी कोशिश में लगी हुई है. वहीं सिलगेर मामले को लेकर सांसद दीपक बैज ने कहा कि आंदोलनकर्ताओं से लगातार सरकार और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के द्वारा समस्या का हल निकालने की कोशिश की जा रही है.


सरकार की विफलता से आदिवासी नाराज
इधर बीजेपी ने सिलगेर आंदोलन को भूपेश सरकार की सबसे बड़ी नाकामी बताया है. बीजेपी नेताओं का कहना है कि करीब डेढ़ सालों से चल रहा सिलगेर आंदोलन प्रदेश में अब तक का  सबसे लंबे समय तक चलने वाला आंदोलन है. अपनी मांगों को लेकर हजारों ग्रामीण खुले आसमान में  टेंट गाढ़कर आंदोलन पर बैठे हुए हैं, लेकिन सरकार इन आंदोलनकारियों के विषयों को लेकर  बिल्कुल भी गंभीर नहीं हैं.


उन्होंने कहा कि बस्तर संभाग में आदिवासियों की भूपेश सरकार के प्रति नाराजगी खुलकर सामने आ रही है और सर्व आदिवासी समाज से लेकर सभी समाज और वर्ग के लोग अपनी मांगों को लेकर सड़क में उतरने को मजबूर हो रहे हैं, जो कांग्रेस सरकार की विफलता को दर्शाता है. बीजेपी कहा कि उनकी पार्टी हमेशा से ही आदिवासियों की हितेषी रही है, इसलिए उनके हक की हर लड़ाई में आदिवासियों द्वारा किए जा रहे धरना प्रदर्शन और आंदोलन में बीजेपी उनका भरपूर समर्थन कर रही है.


यह भी पढ़ें:


Chhattisgarh: क्या आपने कभी खाया है मछली का अचार? कीमत जानकर तो चौंक ही जाएंगे