Surguja News: सरगुजा के जंगलों में लगातार डेढ़ महीने तक भ्रमण करने के बाद बाघ कन्हर नदी पार कर पलामू टाइगर रिजर्व की ओर रवाना हो गया. इस दौरान बाघ को लेकर लगातार तरह-तरह की चर्चाएं चलती रही. कई बार ग्रामीणों से बाघ का सामना भी हुआ, लेकिन बाघ बिना कोई क्षति पहुंचाए अपने गंतव्य की ओर रवाना हो गया. यह पहला अवसर है जब बाघ ने सरगुजा के जंगलों में इतना लंबा समय गुजारा.


जंगलों में मानवीय हस्तक्षेप बढ़ने से वनों का दायरा लगातार सिमटता जा रहा है, साथ ही वन्य जीवों के लिए बड़ा संकट उत्पन्न हो गया. हाथियों की मौजूदगी के बीच अचानक बाघ की उपस्थिति ने क्षेत्रवासियों को हैरान कर दिया. इसके पहले भी कई बार बाघ आए, लेकिन कभी भी इतने लंबे समय तक नहीं रुके, न ही कभी आबादी क्षेत्र के निकट निर्भय होकर घूमते मिले. इससे पहले बाघ के घने जंगलों में मौजूद होने और मवेशियों का शिकार करने की सूचना मिलती थी. यह पहला अवसर है जब 29 जनवरी से 14 मार्च तक बाघ लगातार सूरजपुर और बलरामपुर के विभिन्न क्षेत्रों में भ्रमण करता रहा. खास बात यह रही कि कई बार आबादी क्षेत्र के निकट रहने और ग्रामीणों से बार-बार सामना होने के बावजूद बाघ ने कोई क्षति नहीं पहुंचाई. 


पलामू टाइगर रिजर्व की ओर बढ़ा


वन अधिकारियों का मानना है कि बाघ संजय राष्ट्रीय उद्यान से जयसिंह नगर और कुवारपुर जंगल के रास्ते गुरूघासीदास राष्ट्रीय उद्यान में दाखिल हुआ था. उद्यान के रिहन्द जंगल से वन परिक्षेत्र बिहारपुर के जंगलों में शिकार की खोज में पांच दिनों तक भटकने के बाद रुघुनाथनगर जंगल में पहुंचा. इस दौरान बाघ एक महीने से अधिक का समय रघुनाथनगर, वाड्रफनगर, रामानुजगंज और बलरामपुर के जंगलों में गुजारा. वन अधिकारियों ने बेहद संजीदगी के साथ नियमित बाघ की मानिटरिंग की. प्रशासनिक अधिकारियों ने भी बाघ और क्षेत्रवासियों की सुरक्षा को लेकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. बुधवार को प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में एनएच-343 को लंबे समय तक दोनों ओर से अवरूद्ध कर सड़क पार कराया गया. बाघ सड़क पार करने के बाद कन्हर नदी के पार पलामू टाइगर रिजर्व की ओर अग्रसर हो गया.


डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के अधिकारी पहुंचे


लम्बे समय से बलरामपुर के जंगलों में बाघ के मौजूद होने की सूचना पर मंगलवार को डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की टीम अवराझरिया जंगल पहुंची थी. उपेंद्र दुबे के नेतृत्व में पहुंची डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की टीम ने दूरबीन से बाघ के स्वास्थ्य का जायजा लिया. टीम ने बाघ के नर होने और पूरी तरह से स्वस्थ होने की जानकारी वन अधिकारियों को दी. इस दौरान बाघ के मादा होने, उसके गर्भवती होने से लेकर अन्य कई चर्चाएं चली. क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने भयभीत ग्रामीणों को राहत दिलाने के लिए बाघ को पकड़कर कहीं ओर भेजने की भी मांग की.


रास्तों से परिचत है बाघ 


जिस तरह से बाघ अपने गंतव्य की ओर रवाना हुआ उसे देखकर वन अधिकारी उसके जंगली रास्ते से परिचित होने की संभावना व्यक्त कर रहे हैं. अधिकारियों का कहना है कि इस रास्ते से बाघ पहले भी गया होगा. इसके पहले भी कई बार बाघों के रामानुजगंज सीमा से अचानक लापता होने की घटनाएं सामने आ चुकी है. अब अधिकारी पूर्व में आए सभी बाघों के पलामू टाइगर रिजर्व की ओर जाने की बात कह रहे हैं. बाघ के स्वभाव को देखते हुऐ वन अधिकारी उसकी सुरक्षा को लेकर काफी चिंतित हैं. नेशनल पार्क में लम्बे समय गुजारने के कारण मानवीय और वाहनों की निकटता का अभ्यस्य है. मानवीय उपस्थिति का उस पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता, जो उसके लिए खतरनाक हो सकता है. भ्रमण के दौरान कई बार ग्रामीण उसे खदेड़ते नजर आए और बाघ भागता रहा.


दी गई सूचना 


वन संरक्षक वाइल्ड लाइफ केआर बढ़ई ने बताया कि बाघ बुधवार की शाम अवराझरिया जंगल की सीमा पार कर पलामू टाइगर रिजर्व की ओर चला गया. इस संबंध में वहां के अधिकारियों को सूचना दे दी गई. बाघ के स्वभाव को देखते हुए उसके सुरक्षा के प्रति सावधानी बरतने की जरूरत है.


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