Tikhur Benefits: बस्तर में वनोपज आदिवासियों के लिए कुदरत की सौगात है. बस्तर में मिलने वाले वनोपज न सिर्फ आदिवासियों की आजीविका का साधन है बल्कि सेहत के लिए भी काफी लाभदायक है. वनोपज में से एक है बस्तर का तिखुर. तिखुर हल्दी जाति का एक पौधा है. तिखुर अधिकतर दक्षिण भारत में उगता है और बस्तर में भी बहुतायात में होता है. गर्मी के मौसम में तिखुर की और ज्यादा डिमांड बढ़ जाती है. बस्तर के हाट-बाजारों में स्थानीय ग्रामीण तिखुर बेचते हुये दिखाई पड़ते हैं. बस्तर में तीखुर को बाथरी के नाम से भी जाना जाता है.


गर्मी में तिखुर का शर्बत सेहत के लिए है मुफीद


जानकार हेमंत नाग ने बताया कि तिखुर हल्दी जाती का एक छोटा सा पौधा है. जड़ों में हल्दी अदरक जैसे कंद लगते है. कंद को ग्रामीण निकालकर पानी से धोकर साफ करते हैं, फिर खुरदरे पत्थर से घिस घिस कर पाउडर का रूप दिया जाता है. पाउडर सफेद रंग के छोटे छोटे दानों में तिखुर के तौर पर बाजार में बिकता है. सफेद तिखुर पाउडर को पानी में शक्कर मिला कर शर्बत बनाया जाता है. तिखुर ठंडई लिये होता है. गर्मी के दिनों में तिखुर का ठंडा शर्बत सेहत के लिये काफी फायदेमंद होता है. तीखुर से स्वादिष्ट हलवा भी बनाया जाता है.


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हाट बाजारों में 200-250 रुपए किलो बिकता है


ग्रामीणों का मानना है कि तिखुर खाने से पाचन क्रिया ठीकठाक रहती है और गर्मियों में तीखूर से बने शरबत पीने के क्या कहने. इसलिए खासकर गर्मी के दिनों में तिखुर की डिमांड बढ़ जाती है और बस्तर के हर एक ग्रामीण और अब शहरवासी भी तिखुर का सेवन करते हैं. गर्मी के मौसम में बस्तर के हाट बाजारों में तिखुर आसानी से मिल जाता है. इसकी कीमत लगभग 200 से 250 रु. किलो तक होती है. हाट बाजारों में ग्रामीण महिलायें तिखुर की मिठाइयां बनाकर बेचती हैं और काफी स्वादिष्ट होती है. इसे तिखुर की बर्फी कहा जाता है. 


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