बस्तर में दूसरे MRF सेंटर का उद्घाटन, अब गांवों से निकलने वाले प्लास्टिक कचरे से बनेंगे खिलौने, मिलेगा रोजगार
Bastar News: बस्तर के गावों से निकलने वाले प्लास्टिक के कचरे से दाने तैयार कर उससे खिलौने तैयार किए जाएंगे. जिसके लिए बस्तर में दूसरे एमआरएफ सेंटर का उद्घाटन किया गया है.
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बस्तर जिला प्रशासन ने प्लास्टिक रीसाइकलिंग कॉन्फ्रेंस एशिया 2024 में लोकल बॉडी चैंपियन श्रेणी में पहला पुरस्कार जीतने के बाद बाबू सेमरा के MRF सेंटर में ही एक और यूनिट तैयार की है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और जगदलपुर के विधायक किरण देव ने इस नए यूनिट का शुभारंभ किया. बता दें कि इस नई यूनिट में शहर से निकलने वाली प्लास्टिक को इकट्ठा कर प्लास्टिक दाना तैयार किया जाएगा. इन दानों से प्लास्टिक के खिलौने भी तैयार हो सकेंगे.
5 महीने पहले शुरू हुआ था MRF सेंटर
बता दें कि 5 महीने पहले शुरू किए गए मैटेरियल रिकवरी फैसलिटी (MRF) सेंटर से बस्तर में काफी फायदा मिल रहा है. जनवरी महीने में ही बस्तर जिले के बाबू सेमरा में प्रशासन के द्वारा निजी संस्था के साथ मिलकर शहर और ग्रामीण इलाकों से निकलने वाले कचरे का प्रबंध करने के लिए एमआरएफ सेंटर की शुरुआत की थी. यहां कचरे के प्रबंधन के साथ प्लास्टिक कचरे का उपयोग कर और इसकी रिसाइक्लिंग कर प्लास्टिक के सामानों में बदला जा रहा है.
जगदलपुर शहर के साथ-साथ जिले के 45 गांवों का कचरा इस MRF सेंटर में पहुंचाया जा रहा है.जिला प्रशासन के अधिकारियों ने लक्ष्य रखा है कि जिले के 100 से अधिक गांवों से निकलने वाले कचरे को एमआरएफ सेंटर तक पहुंचाया जाएगा और इसे रीसायकल किया जाएगा. जिसके बाद तैयार दाने से खिलौने और प्लास्टिक की अन्य वस्तुएं तैयार की जाएगी.
सैकड़ों आदिवासी महिलाओं को मिला रोजगार
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष किरण देव ने एमआरएफ सेंटर में लगी दूसरी यूनिट का शुभारंभ किया. इसी यूनिट से दाना तैयार कर खिलौने तैयार होंगे. यह पहली बार है जब बस्तर में प्लास्टिक को रीसायकल कर दाना तैयार किया जाएगा. दरअसल छत्तीसगढ़ में मटेरियल रिकवरी फैसिलिटी का पहला यूनिट बस्तर में ही स्थापित किया गया है. इस यूनिट में प्लास्टिक की तरह-तरह की वस्तुएं तैयार की जा रही है. यहां काम कर रही स्व सहायता समूह की आदिवासी महिलाओं ने प्लास्टिक की कोटी भी तैयार की थी, जिसे मुख्यमंत्री को भेंट किया था. किरण देव ने उम्मीद जताई है कि इस एमआरएफ सेंटर में दूसरी यूनिट स्थापित किए जाने से न सिर्फ स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा, बल्कि यहां तैयार होने वाले प्रोडक्ट वोकल फ़ॉर लोकल के माध्यम से बिक्री किए जा सकेंगे. साथ ही एमआरएफ सेंटर में प्लास्टिक से तैयार होने वाले दाने को प्रदेश के अन्य जिलों में भी निर्यात किया जा सकेगा.
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