Chhattisgarh: बस्तर के चित्रकोट वाटरफॉल में दिखी आदिवासी संस्कृति की झलक, शिवधाम में महोत्सव शुरू
चित्रकोट में आयोजित महोत्सव को लेकर बस्तर के सांसद दीपक बैज ने बताया कि चित्रकोट महोत्सव जनजातीय संस्कृति को विश्व पटल पर पहुंचाने का सुनहरा अवसर होता है. हर साल इसका आयोजन किया जाता है.
Chitrakot Festival: देश में मिनी नियाग्रा (Mini Niyagra) के नाम से मशहूर छत्तीसगढ़ के बस्तर में मौजूद चित्रकोट वाटरफॉल (Chitrakot Waterfall) परिसर में हर साल की तरह इस साल भी तीन दिवसीय चित्रकोट महोत्सव (Chitrakot Festival) का आयोजन किया गया है. चित्रकोट महोत्सव में बस्तर के आदिवासियों की संस्कृति (Tribal Culture) और कला देखने को मिल रही है. दरअसल शिवरात्रि के मौके पर हर साल तीन दिवसीय चित्रकोट महोत्सव का आयोजन किया जाता है. इसमें बस्तर जिले के अंदरूनी गांवों के सैकड़ों आदिवासी अपने पारंपरिक वेशभूषा में मंडई मेला और सांस्कृतिक कार्यक्रम में हिस्सा लेते हैं. जिला प्रशासन द्वारा आयोजित महोत्सव में कोरोना काल के बाद रौनक देखी गई और बड़ी संख्या में आदिवासी कलाकारों ने महोत्सव के मंच पर प्रस्तुति भी दी.
आदिवासी संस्कृति की दिखी झलक
दरअसल 14 से 16 फरवरी तक तीन दिवसीय चित्रकोट महोत्सव में पूरे बस्तर संभाग के कलाकार अपनी प्रस्तुति दे रहे हैं. इस साल इस महोत्सव में मुंबई से भी कलाकार बुलाए गए हैं. कई तरह के खेलों का आयोजन भी किया गया है. इनमें पूरे संभाग के खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं. इस महोत्सव में बस्तर का पारंपरिक लोक नृत्य आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.
जानें, बस्तर के सांसद ने क्या कहा
चित्रकोट में आयोजित इस महोत्सव को लेकर बस्तर के सांसद दीपक बैज ने बताया कि चित्रकोट महोत्सव बस्तर की जनजातीय संस्कृति को विश्व पटल पर पहुंचाने का सुनहरा अवसर होता है. इसलिए हर साल इसका आयोजन किया जाता है. उन्होंने बताया कि बस्तर की लोक संस्कृति सहज और सरल होने के साथ ही आकर्षक भी है. इससे पूरे विश्व को परिचित कराने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि इस दिशा में छत्तीसगढ़ शासन लगातार प्रयास कर रही है. बस्तर के मंडई मेला कार्यक्रम और देवगुड़ी की कायाकल्प के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि यही वजह है कि इस साल इस आयोजन में बड़ी संख्या में आदिवासी कलाकारों ने हिस्सा लिया है और एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दे रहे हैं.
महोत्सव में दिखा अव्यवस्था का आलम
हालांकि, महोत्सव के पहले दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन के दौरान अव्यवस्था का आलम देखने को मिला. इस दौरान स्थानीय कलाकारों ने जिला प्रशासन की व्यवस्था पर सवाल उठाया. कलाकारों ने कहा कि उद्घाटन के पहले दिन रात 11 बजे तक यह कार्यक्रम चला, लेकिन स्थानीय कलाकारों को मंच नहीं दिया गया. ठिठुरती ठंड में कई घंटों तक खड़ा रखा गया. बाद में मंच पर बुलाकर फिर वापस भेज दिया गया. नन्हें कलाकरों के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं की गई थी. इससे स्थानीय कलाकार और उनके परिजन प्रशासन की अव्यवस्था से काफी नाराज दिखे.