Chhattisgarh BJP Protest For Tribal Reservation: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में आदिवासी आरक्षण घटने का आदिवासी समाज जमकर विरोध कर रहा है. अब इस पर सियासत भी शुरू हो गई है. इसे मामले को लेकर शनिवार को बीजेपी (BJP) एक बड़ा प्रदर्शन कर रही है, जिसमें छत्तीसगढ़ के तीन संभागों के नेशनल हाईवे में चक्का जाम करने की योजना बनाई गई. इसमें दुर्ग (Durg), सरगुजा (Surguja) और बस्तर (Bastar) संभाग को चुना गया, जहां आवाजाही प्रभावित होगी.

 

दरअसल बिलासपुर हाईकोर्ट ने आदिवासियों के आरक्षण को घटा दिया है. पहले राज्य में 32 प्रतिशत आरक्षण था, जिसे 20 प्रतिशत कर दिया गया है. इसलिए आदिवासी समाज नाराज है और दोपहर से बीजेपी एसटी मोर्चा तीन संभागों में एक साथ चक्का जाम कर रही है. इसमें बीजेपी पूर्व मंत्री और सांसद शामिल हैं. इधर इस चक्का जाम के पहले सियासत शुरू हो गई है. कांग्रेस और बीजेपी आमने सामने आ गए हैं. बीजेपी अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष विकास मरकाम ने आरक्षण घटने पर कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहराया है.

 


 

आरक्षण पर कांग्रेस और बीजेपी में जुबानी जंग

उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार की नाकामी के चलते आदिवासियों का 32 प्रतिशत आरक्षण छीनकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है. छत्तीसगढ़ भारत का पहला ऐसा राज्य बन गया, जहां किसी समुदाय से उनका आरक्षण छीना गया हो. छत्तीसगढ़ सरकार आदिवासियों के हितों पर लगातार कैंची चला रही है. दूसरी तरफ बीजेपी के आरोपों पर कांग्रेस ने पलटवार किया है. कांग्रेस की तरफ से कहा गया है कि आदिवासियों के लिए सरकार काम कर रही है. कांग्रेस ने आदिवासियों से किए वादों को पूरा किया. चार साल में आदिवासी वर्ग के हित के लिए अनेक जनकल्याणकारी योजना बनाई गई. वहीं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आरक्षण पर कहा है कि आदिवासियों को उनका अधिकार मिलकर रहेगा. हमारी सरकार हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने सुप्रीम कोर्ट गई है.

 

हाईकोर्ट ने 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण को बताया है असंवैधानिक

बीजेपी की तरफ से बताया गया है कि पहले चरण में बस्तर संभाग के कोंडागांव जिले में नारायणपुर चौक पर किया जाएगा. सरगुजा संभाग में अंबिकापुर के बिलासपुर चौक पर और दुर्ग संभाग में राजनांदगांव के छुरिया मोड़ चिचोला में चक्का जाम किया जाएगा. गौरतलब है कि पिछले महीने बिलासपुर हाईकोर्ट ने प्रदेश में 58 प्रतिशत आरक्षण को रद्द कर दिया है. ये मामला 2011 में सरकारी नियुक्ति सहित अन्य दाखिला परीक्षा में आरक्षण से जुड़ा है. इस मामले में हाईकोर्ट ने 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण को असंवैधानिक बताते हुए आरक्षण को रद्द कर दिया. इसके बाद छत्तीसगढ़ में वर्गवार आरक्षण की स्थिति पूरी तरह से बदल गई है. इसमें आदिवासी समाज का 12 प्रतिशत आरक्षण घटा गया है.