Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बिलासपुर रेलवे जोन (Bilaspur Railway Zone) में ट्रेन यात्रियों में उस वक्त हड़कंप मच गया, जब एक ही पटरी पर दो ट्रेनें आ गईं. यात्रियों ने इसका वीडियो भी बनाया है जो सोशल मीडिया (Social Media) पर जमकर वायरल हो रहा है. इस वीडियो में एक ही पटरी पर मालगाड़ी और मेमो लोकल ट्रेन को आते दिखाया गया है. दोनों ट्रेनों की दूरी पटरियों के किनारे लगे दो खंभों के अंतराल पर है. इधर रेलवे प्रशासन कहा है कि जयरामनगर-बिलासपुर सेक्शन ऑटोमेटिक सिग्नलिंग ब्लॉक सेक्शन है. रेलवे (Railway) सामान्य नियम के अनुसार जहां भी ऑटोमेटिक सिग्नलिंग ब्लॉक सेक्शन (Automatic Signaling Block Section) है वहां एक ही लाइन पर एक से अधिक गाड़ियों का सुरक्षित परिचालन एक ही समय में सिग्नल के आधार पर किया जाता है.


वीडियो हुआ वायरल
दरअसल रविवार को एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा. इस वीडियो में दो ट्रेनें एक ही पटरी पर नजर आ रही हैं. एक तरफ मालगाड़ी खड़ी है तो दूसरी तरफ मेमू लोकल खड़ी है. वीडियो बनाने वाला शख्स वीडियो बनाते समय कह रहा है कि बिलासपुर-रायपुर से कोरबा लोकल मेमो ट्रेन चलकर आ रही थी और उसी ट्रैक पर एक मालगाड़ी महज दो खंभों की दूरी पर है. इस वीडियो के वायरल होने के बाद रेलवे प्रशासन ने स्पष्टीकरण दिया है.



वीडियो पर रेलवे ने दी सफाई
बिलासपुर रेलवे जोन के सीपीआरओ साकेत रंजन ने बताया कि जयरामनगर-बिलासपुर सेक्शन ऑटोमेटिक सिग्नलिंग ब्लॉक सेक्शन है. रेलवे सामान्य नियम के अनुसार जहां भी ऑटोमेटिक सिग्नलिंग ब्लॉक सेक्शन है वहां एक ही लाइन पर एक से अधिक गाड़ियों का सुरक्षित परिचालन एक ही समय में सिग्नल के आधार पर किया जाता है. इन गाड़ियों का परिचालन भी ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम के नियम के अनुसार किया गया. रेलवे के अलग-अलग खंडों के ऑटोमेटिक सिग्नलिंग ब्लॉक सेक्शन में गाड़ियों का परिचालन इसी नियम के अनुसार किया जाता है.


रेलवे ने क्या कहा?
रेलवे ने कहा कि ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम में आगे खड़ी हुई गाड़ी के लगभग 150 मीटर पीछे तक दूसरी गाड़ी आ सकती है जबकि मेमू होने पर गैप घटकर 75 मीटर तक हो सकता है. मेमू ट्रेन के पीछे LV बोर्ड लगा हुआ है जिसका अर्थ है कि मेमू ट्रैन आगे है और दूसरी ट्रेन फॉलो में आकर विधिवत निश्चित दूरी पर आकर खड़ी हुई हैं. इसमें कोई अनियमितता नहीं है. पहले में भी इसी प्रकार की एक घटना का मीडिया में प्रचार किया गया था जिसका SECR द्वारा खंडन किया गया था. रेलवे ने कहा कि यह एक अत्याधुनिक सिग्नल प्रणाली की तकनीक है. इसलिए इसे सनसनीखेज न बनाया जाए, ऐसा करने से यात्री परेशान हो सकते हैं.


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