Carrying Naxal Victims In Delhi: कोंडागांव जिले के मरदापाल निवासी केदारनाथ कश्यप के सामने ही नक्सलियों ने उनके भाई को पुलिस का मुखबिर समझ गोलियों से भून डाला था. इस हमले में एक गोली उनकी जांघ के बीचों-बीच होकर निकल गई थी. कश्यप छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में नक्सली हिंसा के उन पीड़ितों में शामिल थे, जो ‘बस्तर शांति समिति’ के बैनर तले कांस्टीट्यूशन क्लब में आयोजित एक कार्यक्रम में अपनी व्यथा सुनाने राजधानी दिल्ली आए हुए हैं.


दिल्ली पहुंचे उनकी तरह तकरीबन 50 ऐसे पीड़ित भी सभागार में मौजूद थे जिनमें से किसी ने नक्सली हिंसा में अपनी दोनों आंखें गंवा दी हैं तो किसी की एक आंख नहीं है. कुछ ऐसे भी मिले जिनकी दोनों आंखें हैं लेकिन रोशनी नाममात्र की. बस्तर संभाग के अंतर्गत बस्तर, कोंडागांव, कांकेर, दंतेवाडा, सुकमा, नारायणपुर और बीजापुर जिले आते हैं। इनमें दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर और कांकेर जिले नक्सली समस्या से सबसे अधिक प्रभावित हैं.


नक्सलियों ने बेटे की गर्दन काट डाली थी पिता के सामने 
कांकेर के कलारपुरा के दयालू राम उस घटना को याद कर रो पड़ते हैं जब 2018 की सुबह वर्दी और बंदूकधारी नक्सलियों ने उनके सामने उनके एक बेटे की गर्दन काट डाली थी. इस हमले में खुद दयालू राम भी बुरी तरह चोटिल होकर बेसुध हो गए थे और उन्हें मरा हुआ समझकर नक्सली चले गए थे.


'निर्दोषों की हत्या होनी चाहिए बंद' 
अधिकारियों के मुताबिक 2001 और 2024 के बीच बस्तर क्षेत्र में नक्सली हिंसा की घटनाओं में सुरक्षाकर्मियों की तुलना में नागरिक अधिक संख्या में मारे गए हैं। माओवादियों द्वारा मारे गए 1,851 लोगों में से 1,623 आम नागरिक थे. बस्तर शांति समिति के समन्वयक मंगऊ राम ने ‘भाषा’ से कहा कि बीते चार दशकों से बस्तर माओवाद का दंश झेल रहा है लेकिन अब बहुत हो गया, निर्दोषों की हत्या बंद होनी चाहिए.


गृह मंत्री ने दिया आश्वासन
मंगऊ राम ने कहा, ‘‘बस्तर में शांति की वापसी की आस लेकर हम दिल्ली आए हैं. गृह मंत्री अमित शाह ने आश्वासन दिया है कि वह हमें इससे निजात दिलाएंगे.’’ यह पूछे जाने पर कि आप इस समस्या के लिए सरकारों को कितना दोषी मानते हैं, उन्होंने कहा, ‘‘सरकारों को क्या दोष दूं? वे प्रयास करती हैं. वह सड़क और पुलिया बनाती है तो नक्सली उन्हें ध्वस्त कर देते हैं. सरकार स्कूल बनवाती है तो नक्सली उनमें आग लगा देते हैं.’’ उन्होंने कहा कि नक्सली समस्या का जल्द से जल्द इलाज आवश्यक है और यह कैसे करना है इसके बारे में गंभीरता से सोचना होगा.


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