Bsatar News: छत्तीसगढ़ के बस्तर  में नक्सली सुरक्षाबलों  को नुकसान पहुंचाने अब बारूदी सुरंग का इस्तेमाल करने लगे हैं. इंटेलिजेंस ब्यूरो से मिली रिपोर्ट के मुताबिक नक्सलियों ने 3 महीने में चार जगह बारूदी सुरंग विस्फोट किया है जिसमें 12 जवानों की शहादत हुई है और कई जवान घायल भी हुए हैं. दरअसल नक्सली अब अधिकतर हमलों में लैंडमाइन और विस्फोटकों का इस्तेमाल जवानों को नुकसान पहुंचाने के लिए  करने लगे हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए अब ओडिशा, तेलंगाना, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़  पुलिस नक्सलियों तक पहुंचने वाले विस्फोटक सामान और एक्सप्लोसिव के सप्लाई चैन को तोड़ने पूरी तरह से अलर्ट हो गई है.


सीमावर्ती इलाकों में 24 घंटों के लिए पुलिस के जवानो को तैनात कर वाहनों की चेकिंग के साथ संदिग्धों पर भी नजर रख रही है. दरअसल हाल ही में उड़ीसा ,तेलंगाना, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के राज्य के पुलिस के आला अधिकारियों की  महत्वपूर्ण बैठक में पुलिस ने इन इलाक़ो से होने वाली नक्सलियों की सप्लाई चैन को रोकने की  रणनीति बनाई है. बस्तर पुलिस के आला अधिकारियों का कहना है कि इंटरस्टेट बॉर्डर के जरिए नक्सली न केवल विस्फोटक बल्कि मेडिसिन और दूसरी जरूरी चीजें भी ला रहे हैं, सीमावर्ती इलाक़ो और  जिलों के भीतर भी  पुलिस खास नजर रख रही है.


4 राज्यों की पुलिस करेगी संयुक्त कार्रवाई


बस्तर आईजी  सुंदरराज पी  ने बताया कि बीते 3 महीनों में माओवादी द्वारा बारूदी सुरंग के इस्तेमाल की वजह से 12 जवानों की शहादत हुई है और कई जवान घायल हुए हैं. लंबे समय के बाद वापस अपने सबसे कारगर हथियार लैंडमाइन पर नक्सलियों ने फिर से काम करना शुरू कर दिया है. सीधी तौर पर बड़े हमले करने में नाकाम नक्सली यह जानते हैं कि विस्फोटकों के इस्तेमाल से कहीं ना कहीं पुलिस को ज्यादा नुकसान पहुंचाया जा सकता है और लंबे समय तक रोका जा सकता है. यही वजह है कि बारूदी सुरंगों के जरिए हमलो  के मामले बस्तर में फिर बढ़ने लगे हैं.


आईजी का कहना है कि अर्न्तराज्जिय बॉर्डर पर विभिन्न राज्यों के साथ संयुक्त बैठक में नक्सलियों के सप्लाई चैन को तोड़ने की तैयारी की गई है. जिससे नक्सली दूसरे राज्यों से विभिन्न संसाधन ना जुटा पाए.  जिसमें विस्फोटक सामान के साथ डेटोनेटर कॉर्डेक्स वायर, जिलेटिन, बारूद और  नक्सलियों की  दवाई और अन्य संसाधन शामिल है ,इसी सप्लाई चैन को तोड़ने के लिए  इंटरस्टेट कोऑर्डिनेट कर चारों राज्यों की पुलिस सीमावर्ती इलाकों में अपनी सुरक्षा बढ़ा रही है. साथ ही  अपनी सूचनातंत्र को भी मजबूत कर रही है.


विस्फोटक सप्लायरों को  पकड़ने पाने में पुलिस हो रही नाकाम


बड़ा सवाल यह है कि नक्सलियों को पहुंचने वाली रसद और विस्फोटकों  पर लगाम लगाने में पुलिस आखिर तमाम कोशिशों और दावों के बाद भी कामयाब क्यों नहीं हो रही है. पिछले कुछ समय से बस्तर के गिट्टी खदानों के जरिए डेटोनेटर और बारूद नक्सलियों तक पहुंचने के मामले सामने आए थे. इन पर कारवाई तो की गई और इसके बाद डेटोनेटर का बैच नंबर भी तैयार किया गया. जिससे इस तरह के सप्लाई के मामले कुछ कम हुए लेकिन लगातार उड़ीसा इलाके से ही विस्फोटकों का जखीरा लंबे समय से नक्सलियों तक पहुंचता रहा है और इस बार भी इसी तरह की इंटेलिजेंस इनपुट पुलिस के पास है. लेकिन पुलिस इन विस्फोटकों के सप्लायरों को पकड़ने में अब तक  नाकाम रही है.


26 अप्रैल को अरनपुर में हुई घटना के बाद छत्तीसगढ़ के डीजीपी अशोक जुनेजा के दौरे के साथ इस पर विशेष दिशा निर्देश जारी किए गए हैं.और अर्न्तराज्जिय समन्वय से अभी सप्लाई चैन पर ज्यादा कसावट के साथ नजर रखी जा रही है, बस्तर आईजी का कहना है कि अंर्तराजिय सीमाओं के साथ-साथ एक जिले से दूसरे जिले की सीमा पर भी वारदातों को अंजाम देने के साथ ही सप्लाई नेटवर्क का इस्तेमाल नक्सलियों द्वारा किया जाता है, इन पर पुलिस और अच्छे ढंग से  नजर रख रही है.


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