Chhattisgarh News: दुनिया भर में 14 फरवरी को वेलेंटाइन डे के मौके पर प्रेम दिवस के रूप में मनाया जाती है. इस दिन अपने प्यार को अटूट बनाने के लिए प्रेमी जोड़े कसमें खाते हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ के बस्तर में एक प्रेमी जोड़े को देवता की तरह पूजते हैं. बस्तर के आदिवासी अंचलों में इस प्रेमी जोड़े के मंदिर में फरवरी महीने में मेले का आयोजन भी किया जाता है. यहां इस प्रेमी जोड़े की पूजा की जाती है और यह मंदिर कई देश में विख्यात है.


खास बात यह है कि बस्तर की प्रसिद्ध शिल्पकला बेल मैटल से इस प्रेमी जोड़े की मूर्ति भी तैयार की जाती है. बता दें इनकी कुछ मूर्ति देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और प्रसिद्ध म्यूजियम के साथ-साथ प्रदेश के  मुख्यमंत्री के घर की भी शोभा बढ़ा रही हैं. प्रेमी जोड़ा 'झिटकु मिटकी' की प्रेमगाथा न सिर्फ देश के प्रसिद्ध  मैगजीन में अपनी जगह बनाई हुई है, बल्कि इनकी प्रेम कहानी पर फिल्म भी तैयार हो रही है, जो जल्द ही बड़े पर्दे पर पूरे देश को देखने को मिलेगी.


कोंडागांव में बना है 'झिटकु मिटकी' का मंदिर
दरअसल बस्तर संभाग के कोंडागांव जिले में देश का एकलौता ऐसा मंदिर है, जहां प्रेमी जोड़े की पूजा की जाती है और यहां पहुंचने वाले लोग प्रेमी जोड़ें से अपनी-अपनी मनोकामना भी मांगते हैं. साथ ही हर साल इस मंदिर में मेला भी लगता है और इस मेले में सिर्फ बस्तर ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश के लोग भी पहुंचते हैं. इस जोड़े की प्रेम कहानी इतनी प्रसिद्ध है कि देश के साथ-साथ विदेशी लेखकों ने भी अपने किताबों में इनकी प्रेम कहानी दर्ज की है.


'झिटकु मिटकी' की प्रेम कहानी पर बन रही है फिल्म
इसके साथ ही छत्तीसगढ़ के ऐसे कई उपन्यासकार हैं, जिन्होंने इस प्रेमी युगल पर अपनी-अपनी किताबें लिखी हैं. इस प्रेमी जोड़े का नाम 'झिटकु मिटकी' है. आज के दौर में दोनों की प्रेम कथा ने विश्व में अपनी अलग पहचान बनाई है. वहीं छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री में मशहूर डायरेक्टर राजा खान के द्वारा इस प्रेमी जोड़े झिटकु मिटकी पर फिल्म भी बनाई जा रही है. इस फिल्म के निर्माता राजा खान ने बताया कि फिल्म की शूटिंग भी शुरू हो गई है. आने वाले सालों में पूरे प्रदेशवासियों को झिटकु मिटकी की प्रेम कहानी फिल्म के माध्यम से बड़े पर्दे पर भी देखने को मिलेगी.


देवी-देवता के रूप में पूजते हैं ग्रामीण
दरअसल प्यार करने और निभाने के लिए एक दूजे के लिए मर मिटने वाली इस जोड़े की कहानी में कितनी हकीकत और कितना फंसाना शामिल है, इस पर भले ही कोई रिसर्च नहीं हुआ है. लेकिन यह सच है कि हर साल छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले के बड़े राजपुर के विश्रामपुरी में झिटकु मिटकी के नाम का मंदिर है, यहां फरवरी में मेला लगता है. वहीं झिटकु मिटकी की कहानी को लोग गपादाई और खोड़ीया राजा की कहानी के नाम से भी जानते हैं. यह बस्तर के आदिवासी युवक-युवतियों के बीच प्रेम की कथा है और झिटकु मिटकी की प्रेम कथा देश विदेश में भी मशहूर है. 


'झिटकु मिटकी' की प्रतिमाएं पर्यटक ले जाते हैं साथ
खास बात यह है कि इस पवित्र प्रेम कथा को लेकर यहां के आदिवासियों की सोच है कि यह दोनों देवी और देवता हैं, इसलिए आज भी इनकी पूजा की जाती है. बस्तरवासी इन्हें धन की देवी और देवता के रूप में सालों से पूजते आ रहे हैं और उनकी प्रतिमाओं को ग्रामीण अपने मंदिरों में रखते हैं. वहीं बस्तर घुमने आने वाले सैलानी बेल मेटल और काष्ठ कला के साथ मिट्टी से बनाई गई झिटकु मिटकी की प्रतिमाएं अपने साथ ले जाते हैं और इन्हें बस्तर के अमर प्रेमी के रूप में सम्मान देते हैं.


जानकारों ने क्या कहा?
बस्तर के जानकार डॉ सतीश जैन बताते हैं कि झिटकु मिटकी को बस्तर में अनेकों नाम से जाना जाता है. इसमें डोकरी देव, गप्पा घासीन, दूरपत्ती माई,  डोकरा डोकरी, गौडीन देवी और बूढ़ी माई भी शामिल है. इनकी प्रतिमा में देवी माता को सिर पर मुकुट धारण किए, कान में खिलंवा पहने और बाएं हाथ में सब्बल और टोकरी लिए देखा जाता है. आज भी बस्तर के हर गांव में मवेशियों के तबेले में खोड़ीया देव (झिटकु) की पूजा की जाती है. इसके साथ ही खुद की जान देने वाली गपादाई (मिटकी) को ग्रामीण आराध्य देवी के नाम से पूजते हैं.



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