Valentine Day News: कहते हैं अगर इश्क सच्चा हो, तो हर मुश्किल आसान हो जाती है. जिंदगी के सफर में एक अच्छी हमसफर मरते दम तक साथ निभाती है. यह शायरी संतोष (Santosh) ने अपने जीवनसाथी असंती (Asanti) के लिए लिखी है. संतोष पैगड़ नक्सल प्रभावित जिला दंतेवाड़ा (Dantewada) के कोटूलनार गांव के रहने वाले हैं, जिनकी आज से 13 साल पहले एक हादसे में दोनों आंखे चले गईं. अपने आप को असहाय महसूस करने वाले संतोष के जीवन में असंती ने नई रोशनी ला दी. संतोष बताते हैं कि उनकी जिंदगी की सबसे बड़ी दौलत उनकी पत्नी असंती है, जिसने उनके 10 साल की उम्र से कभी उनका साथ नहीं छोड़ा. वैलेंटाइन डे वीक (Valentine Day  Week) के इस खास मौके पर पेश है संतोष और असंती की प्रेम कहानी.


हर कदम पर दिया असंती ने साथ


14 फरवरी यानी वैलेंटाइन डे नजदीक आ रहा है. ऐसे में इस दिन को  खुशी से मनाने के लिए प्रेमी जोड़े काफी उत्साहित हैं.इस मौके पर हम आपको एक ऐसी लव स्टोरी के बारे में बताने जा रहे हैं, जो केवल नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा में ही नहीं, बल्कि पूरे बस्तर में काफी चर्चित है. यह ऐसे प्रेमी जोड़े हैं, जिन्होंने सबसे बुरे वक्त पर भी दोनों का साथ नहीं छोड़ा. इनका यह तीसरा वैलेंटाइन डे है, लेकिन इन दोनों के बीच में प्यार बचपन से बना हुआ है.


प्रेमी के अंधा होने के बाद भी प्रेमिका ने की शादी


दरअसल नक्सल प्रभावित क्षेत्र दंतेवाड़ा जिले के कटुलनार गांव निवासी संतोष पैगढ़ और उनकी पत्नी असंती की प्रेम कहानी पूरे गांव में फेमस है. इनकी प्रेम कथा एक संदेश देती है कि प्रेम करने वाले किसी भी बुरे हालात और वक्त पर एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ते. संतोष पैगड़ बताते हैं कि असंती और वह उस वक्त मिले, जब उनकी उम्र बहुत ही कम यानी करीब 8 से 10 साल की थी.


इस बीच साल 2010 में संतोष की आंखें एक हादसे में चली गई और 2 साल के अंदर ऐसा हुआ कि संतोष को पूरी तरह से दिखना बंद हो गया. इस हादसे के बाद संतोष पूरी तरह से टूट चुका था, लेकिन इस घटना के बाद दोनों के बीच प्रेम और भी ज्यादा परवान चढ़ा. जिंदगी के उतार-चढ़ाव के बीच असंती उनका साथ निभाती रही. इसके बाद दोनों ने शादी की ठानी और परिवार को मनाया. इसके बाद बाद वे दोनों परिणय सूत्र में बंध गए.


हर साल करते हैं वैलेंटाइन डे सेलिब्रेट


संतोष बताते हैं कि आंखों की रोशनी जाने के बाद मेरा प्यारा असंती के लिए और भी ज्यादा बढ़ गया. असंती की जिंदगी बर्बाद न हो, इसलिए मैंने दो कदम पीछे जरूर लिया था, लेकिन असंती के समर्पण, उसके प्यार को देख मुझे खुद का निर्णय बदलना पड़ा. इस प्यार को देख परिवार और गांव ने  भी हम दोनों का साथ दिया. उन्होंने कहा कि गांव में वैलेंटाइन डे का चलन बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन  शहरी दोस्त के संपर्क में आने के बाद वैलेंटाइन डे के बारे में पता चला तो असंती और मैं एक दूजे से मिलकर हर साल इस दिन को खास बनाने की कोशिश करते हैं. शादी के बाद यह हमारा तीसरा वैलेंटाइन डे है.


इस प्रेम कहानी की लोग देते हैं मिसाल


संतोष ने बताया कि वह दृष्टि बाधित होने की वजह से काम नहीं कर रहे हैं. वह बताते हैं कि नौकरी के लिए कई बार चक्कर काट चुके हैं, लेकिन दृष्टिबाधित कहकर उन्हें काम नहीं दिया जाता है. बेरोजगारी की वजह से उन्हें आर्थिक तंगी से जूझना पड़ रहा है, लेकिन असंती हर कदम पर सहारा बनकर खड़ी रहती है. वह अब दिव्यांगों की एक संस्था में काम शुरू कर कुछ पैसे कमाने लगी है, ताकि उनका और उनके परिवार का घर चल सके.


उन्होंने बताया कि आर्थिक तंगी के वजह से इससे पहले कई बार ऐसे हालात पैदा हुए, जब संतोष दृष्टि बाधित होने और काम नहीं मिलने की वजह से असंती को किसी और से शादी करने को कहा, लेकिन असंती ने एक नहीं मानी और हर मुसीबत में उनका साथ दिया. संतोष ने बताया कि  उनके जीवन में एक खुशी बढ़ गई है. असंती ने  खूबसूरत बेटी को भी जन्म दिया है. दंतेवाड़ा  के लोगों का कहना है कि सबसे बुरे वक्त पर भी इन जोड़ों ने एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ा. यही वजह है कि पूरे जिले में संतोष और असंती की प्रेम कहानी के लोग मिसाल देते हैं.


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