Valentine's Day 2023: अक्सर आपने सुना होगा कि वैलेंटाइन डे के मौके पर प्रेमी अपनी प्रेमिका को गिफ्ट के तौर पर कपड़े देते हैं, चॉकलेट देते हैं, और तरह-तरह के गिफ्ट देते हैं. अपने प्यार का इजहार करने के लिए युवक युवती को गुलाब का फूल देकर प्रपोज करता है ,लेकिन छत्तीसगढ़ के बस्तर में कई सालों से प्रेमी अपने प्यार का इजहार अपने प्रेमिका को बांस से बनी कंघी देकर करता है, इसका मतलब यह होता है कि प्रेमी ने उस युवती को अपने जीवनसाथी के तौर पर पसंद कर लिया है.

 

प्रेमिका हमेशा संभाल कर रखती है कंघी

 

उस कंघी को प्रेमिका हमेशा संभाल कर रखती है. दरअसल,आदिवासियों ने आज भी अपनी पुरानी परंपराओं को बरकरार रखा है. आदिवासी समाज में धुरवा जाति के युवक बांस से बनी खूबसूरत टोकरियां और बांस की कंघी गिफ्ट कर अपने प्रेम का इजहार करते हैं और बदले में युवती सुनहरे चांदी कलर की पट्टियों वाली लकड़ी की कुल्हाड़ी देकर हां में इसका जवाब देती है.

 

यदि दोनों पक्ष इन उपहारों को स्वीकार कर ले तो परिवार वाले गांव में जातीय रीति रिवाज के साथ उनका विवाह संपन्न कराते हैं, प्रकृति प्रेमी आदिवासी अपने जीवनसाथी को ऐसे उपहार देते हैं जो आजीवन उनके पास  मौजूद रहता है और इस तरह के उपहार से आदिवासी अपनी परंपरा को भी जीवित रखते हैं.

 

आदिवासी युवक ऐसे करता है प्रेम का इजहार

 

जानकार डॉक्टर सतीश जैन बताते हैं कि बस्तर में रहने वाले वनवासी युवक-युवती अपने प्यार का इजहार करने के लिए इस तरह की अनोखी परंपरा सदियों से निभा रहे हैं. खासकर ग्रामीण इलाकों में जब मंडई मेले होते हैं, उस दौरान युवक-युवती एक- दूसरे को पसंद करते हैं और अगर किसी युवक को युवती पसंद आती है तो उसे अपने प्यार के इजहार के लिए बकायदा बांस से बनी टोकरी और उसमें बांस से बने कंघी उसे उपहार के तौर पर देता है.

 

अगर दूसरे दिन उसी मेले में युवती उस कंघी को अपने सर पर और रिटर्न गिफ्ट के तौर पर हाथ में चांदी कलर के पट्टियों वाली लकड़ी की कुल्हाड़ी उसे देती है तो समझो युवक-युवती एक दूसरे को पसंद करने लगे हैं.

 

फरवरी में ग्रामीण क्षेत्रों में मंडई मेला का आयोजन

 

खासकर फरवरी में ग्रामीण क्षेत्रों में मंडई मेला का आयोजन होता है. ये मेले करीब 3 दिनों तक गांव में चलते हैं, सारी दुनिया के चकाचौंध से बिल्कुल दूर बस्तर के आदिवासी अंचलों में मढ़ई मेला युवक युवती को पसंद करने के लिए  मुख्य जगह होता हैं, और यहीं युवक युवतियां एक दूसरे को पसंद करती हैं, और फिर इस तरह से उपहार देकर प्यार का इजहार करते हैं. फिर जनजातीय रीति रिवाज से घर में रजामंदी के बाद उनकी शादी करवाई जाती है,.

 

अबूझमाड़ की युवतियां प्रेमी के गले में डाल देती हैं अपनी माला

 

इस मंडई मेले में आदिवासी युवती और आदिवासी युवक अधिकांश अपने पारंपरिक वेशभूषा में नजर आते हैं.अबूझमाड़ की युवतियां प्रेम को प्रदर्शित करने के लिए अपने बालों में सजे मूंगे और मोतियों से बनी माला को अपने प्रेमी के गले में डाल देती हैं ,अबूझमाड़ीयों के लिए नोरेम और बांस से बनी कंघी प्रेम की मौन भाषा को अभिव्यक्त करने का मुख्य जरिया है..खास बात यह है कि इस तरह की अनोखी परंपरा केवल बस्तर के आदिवासी अंचलों में ही देखने को मिलती है.





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