Valentine's Day Special: बस्तर में प्रेमी कंघी देकर करते हैं प्यार का इजहार, प्रेमिका हां में जवाब के बदले देती है ये उपहार
Happy Valentine's Day: बस्तर में प्रकृति प्रेमी आदिवासी अपने जीवनसाथी को ऐसे उपहार देते हैं, जो जीवन भर उनके पास मौजूद रहता है और इस तरह के उपहार से वह अपनी आदिवासी परंपरा को भी जीवित रखते हैं.
Valentine's Day 2024: अक्सर आपने सुना होगा कि वैलेंटाइन डे के मौके पर प्रेमी अपनी प्रेमिका को गिफ्ट के तौर पर कपड़ा, चॉकलेट और तरह-तरह के गिफ्ट देते हैं. इसके अलावा अपने प्यार का इजहार करने के लिए प्रेमी अपनी प्रेमिका को गुलाब का फूल देकर प्रपोज करते हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ के बस्तर (Bastar) में कई सालों से प्रेमी अपने प्यार का इजहार अपने प्रेमिका को बांस की कंघी देकर करते हैं. इसका मतलब यह होता है कि प्रेमी ने उस लड़की को अपना जीवनसाथी चुन लिया है. वहीं प्रेमिका उस कंघी को हमेशा संभाल कर रखती है.
दरअसल आदिवासी लोगों ने आज भी अपनी पुरानी परंपराओं को बरकरार रखा है. आदिवासी समाज में धुरवा जाति के युवक बांस से बनी खूबसूरत टोकरियां और बांस की कंघी गिफ्ट कर अपने प्रेम का इजहार करते हैं और बदले में युवती सुनहरे चांदी के कलर की पट्टियों वाली लकड़ी की कुल्हाड़ी देकर हां में इसका जवाब देती हैं. यदि दोनों पक्ष इन उपहारों को स्वीकार कर लें तो परिवार वाले गांव में जातीय रीति रिवाज के साथ उनका विवाह कराते हैं. प्रकृति प्रेमी आदिवासी अपने जीवनसाथी को ऐसे उपहार देते हैं, जो जीवन भर उनके पास मौजूद रहता है और इस तरह के उपहार से वह अपनी आदिवासी परंपरा को भी जीवित रखते हैं.
जानकारों ने क्या कहा?
बस्तर के जानकार हेमंत कश्यप बताते हैं कि बस्तर में रहने वाले वनवासी युवक-युवती अपने प्यार का इजहार करने के लिए इस तरह की अनोखी परंपरा सदियों से निभा रहे हैं. खासकर ग्रामीण इलाकों में जब मंडई मेला होता है, तो इस दौरान युवक-युवती एक दूसरे को पसंद करते हैं. अगर किसी युवक को कोई युवती पसंद आती है, तो उसे अपने प्यार के इजहार के लिए बकायदा बांस से बनी टोकरी और उसमें बांस से बनी कंघी उसे उपहार के तौर पर देना होता है. अगर दूसरे दिन उसी मेले में युवती उस कंघी को अपने सर पर और रिटर्न गिफ्ट के तौर पर हाथ में चांदी के कलर की पट्टियों वाली लकड़ी की कुल्हाड़ी उसे देती है, तो समझो युवक-युवती एक दूसरे को पसंद करने लगे हैं.
फरवरी में लगता है मेला
खासकर फरवरी महीने में ग्रामीण क्षेत्रों में मंडई मेला का आयोजन होता है और यह मेला करीब तीन दिनों तक गांव में चलता है. सारी दुनिया के चकाचौंध से बिल्कुल दूर बस्तर के आदिवासी अंचलों में मढ़ई मेला युवक-युवती को पसंद करने की मुख्य जगह होती है. यहां पर युवक-युवतियां एक दूसरे को पसंद करते हैं और फिर इस तरह के उपहार देकर अपने प्यार का इजहार करते हैं. फिर जनजातीय रीति रिवाज से घर में रजामंदी के बाद उनकी शादी करवाई जाती है.
पारंपरिक वेशभूषा में नजर आते हैं युवक-युवती
इस मंडई मेले में अधिकांश आदिवासी युवती और युवक अपने पारंपरिक वेशभूषा में नजर आते हैं. अबूझमाड़ की युवतियां प्रेम को प्रदर्शित करने के लिए अपने बालों में सजे मुंगे और मोतियों से बनी माला को अपने प्रेमी के गले में डाल देती हैं. अबूझमाड़ के रहवासियों के लिए नोरेम और बांस से बनी कंघी प्रेम की मौन भाषा को अभिव्यक्त करने का मुख्य जरिया है. खास बात यह है कि इस तरह की अनोखी परंपरा केवल बस्तर के आदिवासी अंचलों में ही देखने को मिलती है.