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VC Shukla: किशोर कुमार के गाने बजाने पर रोक लगाने वाले VC शुक्ल कौन थे, जानिए कांग्रेस के कद्दावर नेता की पूरी कहानी

कांग्रेस के कद्दावर नेता वीसी शुक्ल की आज जयंती है, इन्होंने इमरजेंसी के समय रेडियो पर किशोर कुमार के गाने बजाने पर रोक लगा दी थी. यहां जानें उनकी पूरी कहानी.

VC Shukla: छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश की राजनीति के एक दिग्गज नेता विद्याचरण शुक्ल की आज जयंती है. 2 अगस्त 1929 में विद्याचरण शुक्ल का रायपुर में जन्म हुआ था, जिन्हें छत्तीसगढ़ में विद्या भैया और भोपाल से लेकर दिल्ली तक VC के नाम से जाना जाता है. इंदिरा गांधी के करीबी नेताओं में से एक नेता विद्याचरण शुक्ल रहे हैं. इन्हें राजनीति का राजकुमार कहा जाना गलत नहीं होगा. क्योंकि अपने राजनीतिक कैरियर में हमेशा सत्ता के ईर्द गिर्द ही रहे हैं. इनकी राजनीतिक विरासत भी काफी बड़ी है. इनके पिता स्वतंत्रता सेनानी रविशंकर शुक्ल अविभाजित मध्यप्रदेश के पहले मुख्यमंत्री रहे हैं. इनके बड़े भाई श्यामाचरण शुक्ल मध्यप्रदेश के 3 बार के मुख्यमंत्री रहे हैं. 

27 साल की उम्र में पहली बार बने लोकसभा सांसद

दरअसल विद्याचरण शुक्ल 1957 में वर्तमान छत्तीसगढ़ के महासमुंद लोकसभा से चुनावी मैदान में उतरे और 27 साल की उम्र में लोकसभा पहुंच गए. सबसे युवा सांसदों में से एक थे विद्याचरण शुक्ल. उन्होंने लगातार 9 बार लोकसभा चुनाव जीता है. इसके अलावा केंद्रीय कैबिनेट में कई अलग अलग पदों में रहे हैं. संचार, गृह, रक्षा, वित्त, योजना, विदेश, संसदीय कार्य मंत्रालयों की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाली.

रेडियो में किशोर कुमार के गाने पर लगाई रोक

वीसी शुक्ल का राजनीतिक जीवन शानदार रहा है. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के करीबी नेताओं में शामिल थे. लेकिन इमरजेंसी के दौरान उनके नाम में दाग लगे. इमरजेंसी के ठीक पहले उन्हें सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनाया गया था. कड़े तेवर के विद्याचरण शुक्ल पर ये आरोप भी लगा कि मशहूर सिंगर किशोर कुमार के गाने को रेडियो पर रोक लगा दी. इसके पीछे वजह बताई जाती थी कि सरकार की प्रशंसा के गीत गाने के लिए उन्हें कहा जाता था लेकिन किशोर कुमार ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया. इस घटना के बारे में एक टीवी इंटरव्यू में वीसी शुक्ल ने बताया कि किशोर कुमार रेडियो को सहयोग नहीं करते थे इसलिए रेडियो चैनल ने उनके गाने बजाने से रोक दिया था. ये रेडियो का फैसला था मेरा नहीं.

हमेशा सत्ता में रहे वीसी शुक्ल

विद्याचरण शुक्ल की एक और बड़ी पहचान है. वे अपने लंबे राजनीतिक जीवन में कभी सत्ता से बाहर नहीं रहे. हमेशा सत्ता के ईर्द गिर्द ही रहे. इसलिए उन्होंने इमरजेंसी के बाद इंदिरा गांधी को करारी हार मिली तो 1977 में कांग्रेस पार्टी छोड़ दी. वे प्रताप सिंह के साथ जनमोर्चा में शामिल हो गए. इसके बाद वीपी सिंह के साथ मिलकर उन्होंने जनता दल बनाया और 1989-90 में उनकी नेशनल फ्रंट की सरकार में वे मंत्री बने.लेकिन सरकार ज्यादा दिन सत्ता में नहीं टिकी और वीसी शुक्ल भी पार्टी में नहीं टीके, वे समाजवादी जनता पार्टी में चले गए और कुछ समय इस पार्टी से मंत्री बने रहे. इसके बाद फिर जब पीवी नरसिंह राव की सरकार बनी तो कांग्रेस में वापस आ गए. 

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार

कांग्रेस में फिर उनके उम्मीदों पर पानी फिर गया जब 2000 में छत्तीसगढ़ का गठन हुआ. नए राज्य में सत्ता कांग्रेस की थी, मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार वीसी शुक्ल भी थे. लेकिन हाईकमान ने उनकी जगह कलेक्टर से नेता बने अजीत जोगी को मुख्यमंत्री बना दिया. इससे नाराज हुए और एनसीपी में शामिल हो गए और छत्तीसगढ़ में ठीक पहली विधानसभा निर्वाचन का समय आया तो 2004 में वे बीजेपी में चले गए. लेकिन बीजेपी उन्हें रास नहीं आई और 2007 से फिर कांग्रेस में वापस आ गए. इसके कांग्रेस के एक कार्यकर्ता के रूप में वे छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनाने में जुट गई.

नक्सली हमले में वीसी शुक्ल की मौत

2013 में ठीक विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा प्रदेशभर में चल रही थी. ये यात्रा घोर नक्सल प्रभावित इलाकों में भी गुजर रही थी. 25 मई 2013 के दिन झीरम घाटी में नक्सलियों का एक बड़ा हमला हुआ. इसमें कांग्रेस के शीर्ष नेताओं की मौत हुई. गंभीर रूप से घायल विद्याचरण शुक्ल को दिल्ली मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां वे 17 दिन जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ते रहे लेकिन 11 जून 2013 को उनका निधन हो गया.

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