Edasmeta Firing: एड़समेटा गोलीकांड की 10वीं बरसी पर ग्रामीणों ने निकाली रैली, फर्जी एनकाउंटर में गई थी 8 लोगों की जान
Edasmeta Firing Case: ग्रामीणों ने कहा कि न्यायिक जांच में भी इस मुठभेड़ को फर्जी पाया गया है, इसके बावजूद घटना में शामिल दोषी पुलिसकर्मियों को अब तक सजा नहीं दी गयी है.
Edasmeta Incident: 17 मई साल 2013, इस दिन को याद कर बीजापुर जिले के एड़समेंटा गांव के ग्रामीण सहम उठते हैं क्योंकि इस दिन एक साथ 8 निर्दोष ग्रामीणों को पुलिसकर्मियों ने गोलियों से भून दिया गया था. इस घटना में चार नाबालिगों की भी मौत हुई थी. एड़समेटा घटना को हुए 10 साल बीत चुके हैं लेकिन अब तक इस मामले में ना ही दोषियों पर कार्रवाई हुई और ना ही मारे गए निर्दोष ग्रामीणों के परिवार वालों को सरकार से कोई मुआवजा राशि मिली.
आज भी ग्रामीणों में इस घटना को लेकर काफी आक्रोश है और न्याय की मांग को लेकर घटना की 10वीं बरसी पर सैकड़ों ग्रामीणों ने इक्कठे होकर आंदोलन किया और विशाल रैली निकालकर सरकार से दोषियों पर कार्रवाई की मांग की. धरना प्रदर्शन में सुकमा ,बीजापुर, दंतेवाड़ा और नारायणपुर से भी सैकड़ों ग्रामीण इकट्ठा हुए और मारे गए ग्रामीणों को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. बीजापुर जिले के बुर्जी गांव में हुए एक दिवसीय धरना में ग्रामीण मूलनिवासी बचाओ मंच के बैनर तले पहुंचे और न्याय की गुहार लगाई.
4 जिलों के हजारों ग्रामीण हुए इक्कठे
बीजापुर जिले के बुर्जी गांव में एड़समेटा घटना की 10वीं बरसी पर सैकड़ों की संख्या में ग्रामीणों ने इकट्ठा होकर मारे गए ग्रामीणों को श्रद्धांजलि देते हुए एक बार फिर राज्य सरकार से न्याय की गुहार लगाई है. बुर्जी गांव में दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर के सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण इकट्ठा हुए और मूलनिवासी बचाओ मंच के तहत धरना प्रदर्शन किया और इलाके में रैली भी निकाली.
'रिपोर्ट के बाद अब तक नहीं हुई दोषी पुलिसक्रमियों पर कार्रवाई'
ग्रामीणों ने कहा कि घटना को लेकर न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट आ चुकी है और जांच में भी इस मुठभेड़ को फर्जी पाया गया है, इसके बावजूद घटना में शामिल दोषी पुलिसकर्मियों को अब तक सजा नहीं दी गयी है और ना ही परिवारवालों को मुआवजा राशि मिली है. ग्रामीणों ने कहा कि बस्तर संभाग के नक्सल प्रभावित जिलों में स्थानीय ग्रामीण पुलिस और नक्सली दोनों ही तरफ से मुसीबत झेल रहे हैं. कभी नक्सली पुलिस मुखबिर का आरोप लगाकर निर्दोष ग्रामीणों की हत्या कर रहे हैं तो कभी नक्सली बताकर जवान उन्हें मुठभेड़ में मार गिरा रहे हैं. ग्रामीणों ने कहा कि एड़समेटा जैसी और कई ऐसी घटनाएं हैं जिनमें फर्जी मुठभेड़ के प्रमाण मिले हैं लेकिन दोषियों पर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है.
यह है एड़समेटा घटना
प्रदर्शनकारी ग्रामीणों ने बताया कि 17 मई 2013 को बीजापुर जिले के एड़समेंटा गांव में पांरपरिक बीज पंडुम त्योहार मनाने ग्रामीण इक्कठे हुए थे, तभी जवानों ने उन्हें नक्सली समझकर ग्रामीणों पर अंधाधुंध गोली चलाई थीं, जिससे मौके पर ही 8 ग्रामीणों की मौत हो गई थी. मृतकों में 4 नाबालिग भी शामिल थे, इस घटना के बाद लगातार सप्ताह भर तक ग्रामीणों ने दोषियों पर कार्यवाही करने की मांग को लेकर आंदोलन किया और इस घटना की जांच की मांग की. बकायदा न्यायिक जांच आयोग बनाकर इस घटना की जांच हुई और जांच में इस घटना को फर्जी मुठभेड़ पाया गया, लेकिन घटना के 10 साल बीत जाने के बाद भी आज तक दोषी पुलिस जवानों को सजा नहीं दी गई है.
मारे गए ग्रामीणों के परिवार वाले और पूरे गांववाले न्याय की उम्मीद लेकर बैठे हैं लेकिन अब तक उन्हें न्याय नहीं मिल पाया है, जिसके चलते इस एड़समेटा घटना की 10वीं बरसी पर सैकड़ों ग्रामीणों ने जिले के बुर्जी गांव में इकट्ठा होकर पुलिस की फर्जी मुठभेड़ में मारे गए ग्रामीणों को श्रद्धांजलि देते हुए न्याय की मांग की, वहीं उन्होंने एड़समेटा के साथ बस्तर में हुई तमाम फर्जी मुठभेड़ों पर दोषियों पर कार्यवाही करने की मांग के साथ मारे गए ग्रामीणों के परिजनों को 40- 40 लाख रुपए मुआवजा दिए जाने की मांग की है.
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