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Chhattisgarh: जानिए कैसे थे महात्मा गांधी और सावरकर के बीच रिश्ते? अंग्रेजों से माफी मांगने की क्या है सच्चाई?
Raipur News: रायपुर में विनायक दामोदर सावरकर की 140 वीं जयंती पर उनके जीवन की यात्रा पर एक नाटक रखा गया है. इसमें महात्मा गांधी और सावरकर के बीच रिश्ते की सच्चाई बताई जाएगी.
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Vinayak Damodar Savarkar Birth Anniversary: देश में विचारधाराओं की लड़ाई हमेशा से देखी जा रही है. इसी का एक सबसे बड़ा उदाहरण गांधी (Mahatma Gandhi) और विनायक दामोदर सावरकर (Vinayak Damodar savarkar) के रूप में देखा जाता है. दोनों के विचार अलग थे देश में दोनों के फॉलोअर भी बहुत हैं. आज की राजनीति में भी इन दोनों की चर्चा होती है.
एक सवाल हमेशा पूछा जाता है कि आखिर महत्मा गांधी और विनायक दामोदर सावरकर के बीच रिश्ते कैसे थे? ऐसे तमाम सवालों के जवाब देने के लिए रायपुर (Raipur) में आज सावरकर के जीवन पर एक नाटक की प्रस्तुति होने वाली है. इसमें सावरकर के जीवन से जुड़ी सच्चाई बताई जाएगी. दरअसल,आज सावरकर की 140वीं जयंती है. इसके लिए रविवार को रायपुर में गांधी चौक के पास रंग मंदिर में सवारकर के जीवन यात्रा पर एक नाटक रखा गया है.
रायपुर में नाटक की तैयारी
रायपुर के अभिनट फिल्म और नाट्य फाउण्डेशन की ओर से सावरकर के संपूर्ण जीवन पर आधारित एकल हिन्दी नाटक "मी तात्याराव बोलतो" की प्रस्तुति शाम 7 :30 बजे की जाएगी. इसको लेकर बड़े स्तर में तैयारी की जा रही है. नाट्य मंच के कलाकार अभ्यास कर रहे हैं. दर्शकों के लिए फ्री एंट्री रखी गई है. कोई भी जाकर इस नाटक को देख सकता है. विनायक दामोदर सावरकर की भूमिका में रायपुर के रंगकर्मी योग मिश्र निभा रहे हैं. वे लगभग 35 साल बाद मंच पर अभिनय करते दिखेंगे.
सावरकर के रोल के लिए कई कलाकारों ने किया माना
इस नाटक के लेखक निर्देशक और अभिनेता योग मिश्र ही हैं. उन्होंने बताया कि मैने बहुत से कलाकारों को अभिनय के करने के लिए बोला, लेकिन लोगों ने माना कर दिया. इसलिए मैं खुद का पैसा लगाकर नाटक कर रहा हूं. इसमें म्यूजिक देने के लिए भोपाल के म्यूजिक आर्टिस्ट को बुलाया गया है. ये नाटक करीब एक घंटा 15 तक चलेगा. योग मिश्रा ने एबीपी न्यूज को बताया कि मैनें सावरकर के जीवन के बारे में बहुत नेगेटिव सुना था. तब मैने एक पुस्तक मंगाई और विनायक दामोदर सावरकर के पूरी जीवन के बारे में पढ़ा.
सावरकर पर नाटक क्यों?
उन्होंने देश के लिए बलिदान दिया है. अंग्रेजों ने उन्हें काला पानी की सजा दी थी. सावरकर 11 साल तक जेल में बंद रहे. आज के समय में हम एक दिन लॉकडाउन में नहीं रह पा रहे थे. इसलिए मैंने सोचा उनके जीवन के बारे में लोग हंसी मजाक उड़ाते हैं, तो मैं सच्चाई बताऊं. उन्होंने कहा कि जब वो जेल की चार दिवारी में कैद थे. उस समय का किस्सा पता चला कि सजा के दौरान सावरकर के जिंदा रहने के पीछे एक कबूतर है. उन्होंने बताया कि जेल के दीवार के दरार में एक कबूतर ने घोंसला बनाया.
गांधी और सावरकर के बीच रिश्ते कैसे थे?
उन्होंने बताया कि, उसके बच्चे थे जो गुटर- गूं करते रहते थे. इसी को सुनते हुए सावरकर ने दिन बिताए थे. योग मिश्रा ने बताया कि राजनीतिक कारणों से किसी के योगदान को झुठला नहीं सकते. मुझे लगा सावरकार को जानने जरूरी है. जेल में सावरकर को महात्मा गांधी का पत्र मिला था. इसमें महात्मा गांधी ने सावरकर को अंग्रेजों को पत्र लिखने के लिए कहा था. तुम बेरिस्टर हो जब तक आप पत्र नहीं लिखोगे, तब तक काम कैसे बनेगा.
योग मिश्रा ने बताया कि महात्मा गांधी सावरकर के लिए सॉफ्ट कॉर्नर रखते थे. सावरकर और महात्मा गांधी की तीन से चार बार मुलाकात हुई. महात्मा गांधी भी सावरकर को देशभक्त मानते थे.
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