Chhattisgarh News: देश में आने वाले विधानसभा चुनाव के पहले महिला आरक्षण बिल पर सुगबुगाहट तेज हो गई है. माना जा रहा है संसद के विशेष सत्र में महिला आरक्षण बिल को पास कर दिया जाएगा. इसके बाद लोकसभा चुनाव और राज्यों के विधानसभा चुनाव में महिला आरक्षण सीट हो जाएगी. इसकी संख्या कितनी होगी और क्या विधानसभा की सीटों में वृद्धि की जाएगी, इसपर अब तक स्पष्ट जानकारी नहीं आई है. लेकिन अब तक महिलाओं ने राजनीति में कितनी दमखम दिखाई है, ये आपको छत्तीसगढ़ के हिस्से से बताते हैं.


छत्तीसगढ़ की राजनीति में महिलाओं का दबदबा कितना?


दरअसल, छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद 4 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं. 2003 से छत्तीसगढ़ में विधानसभा हो रहे हैं. 90 विधानसभा सीट है और लगातार 3 बार बीजेपी ने छत्तीसगढ़ में सरकार बनाई लेकिन 2018 में कांग्रेस में निर्वाचित सरकार बनाई. इन विधानसभा चुनाव में महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी साल दर साल बढ़ती जा रही है. छत्तीसगढ़ इतिहास में पहली बार 2018 विधानसभा चुनाव के बाद 90 सीट में से 16 सीट पर महिलाओं का कब्जा हुआ. छत्तीसगढ़ में महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी देश के कई राज्यों की तुलना में ज्यादा है.


2008 विधानसभा चुनाव में कुल एक हजार 66 प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरे इसमें से 972 पुरुष और 94 महिला प्रत्याशी रहीं. चुनाव परिणाम में 11 महिलाएं विधायक बनी इसमें से 6 विधायक बीजेपी की थी और 5 विधायक कांग्रेस पार्टी से थीं. इसी तरह 2013 विधानसभा चुनाव में 986 लोगों ने विधानसभा चुनाव लड़ा. इसमें से 901 पुरुष प्रत्याशी थे और 83 महिला प्रत्याशी थी. इसमें से केवल 10 महिला विधानसभा तक पहुंची और इसमें से 6 बीजेपी और 4 कांग्रेस की प्रत्याशी विधायक बनी.


2018 के विधानसभा चुनाव में 13 महिला प्रत्याशी विधायक बनीं. इसमें से 10 विधायक केवल कांग्रेस पार्टी से बनी. बीजेपी ,जोगी कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी से 1-1 प्रत्याशी विधायक बनी. इसके अलावा इस 2018 से 2023 के बीच हुए उपचुनाओं में कांग्रेस ने 3 महिला प्रत्याशी को मैदान में उतारा और तीनों ही विधानसभा चुनाव जीत गई. इसके बाद अब राज्य में 90 में से 16 महिला विधायक है और इसमें से 13 विधायक कांग्रेस पार्टी की है. आपको बता दें कि 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 13 और बीजेपी ने 12 महिला प्रत्याशी को चुनाव में उतरा है.


महिला आरक्षण बिल को विपक्ष की तरफ से भी समर्थन मिल रहा है. क्योंकि कांग्रेस जब केंद्र की सत्ता में रही तब भी महिला आरक्षण बिल लाने की कोशिश की गई थी. लेकिन लोकसभा में बिल अटक गई. वहीं पॉलिटिकल एक्सपर्ट डॉ. अजय चंद्राकर का इस बिल को लेकर कहना है कि कैबिनेट में मंजूरी मिली है. लेकिन महिलाओं को कितना आरक्षण मिलेगा और क्या वर्गवार आरक्षण होगा इसपर कुछ साफ नहीं है. इसलिए इसपर कुछ भी बोलना जल्दबाजी होगा. क्योंकि अगर वर्गवार आरक्षण व्यवस्था नहीं बनाई जाएगी तो केंद्र सरकार को विरोध का सामना करना पड़ेगा. वहीं ये लंबी प्रक्रिया है आने वाले विधानसभा चुनाव में लागू होने की स्थिति नहीं है. यानी छत्तीसगढ़ में 2027-28 के विधानसभा चुनाव में लागू हो सकता है.


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