Surguja: तमोर पिंगला अभ्यारण्य में छोड़े गए 40 से अधिक जानवर, चीतलों की संख्या में इजाफा
Tamor Pingla Wildlife Sanctuary: छत्तीसगढ़ के तमोर पिंगला अभ्यारण्य में वन्य प्राणियों को शिफ्ट किया गया है, जिसमें नर और मादा चीतल, नील गाय और हिरण की प्रजाति कोटरी जैसे वन्य प्राणी शामिल हैं.
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग में आने वाले तमोर पिंगला अभ्यारण्य में 40 से अधिक जानवरों को संतुलित खाद्य के लिए छोड़ा गया है. इससे पहले ये सभी वन्य प्राणी धुई वन परिक्षेत्र के धुरिया में निर्मिति शाकाहारी वन्यप्राणी चीतल बाड़ा में रखे गए थे. तमोर पिंगला अभ्यारण्य में लाने से पहले इन वन्य प्राणियों का मेडिकल चेकअप भी कराया गया था.
छत्तीसगढ़ के सरगुजा वन वृत क्षेत्र में पिछले एक दशक में वन्य प्राणियों की संख्या में इजाफा हुआ है. यहां के घुई वन परिक्षेत्र के धुरिया में निर्मित शाकाहारी वन्य प्राणी चीतल बाड़ा में 44 चीतल, एक नील गाय, 2 कोटरी (हिरण प्रजाति) रखे गए थे. इन सभी वन्य प्राणियों को खाद्य श्रृंखला के संतुलन के उद्देश्य से तमोर पिंगला ट्रांसफर कर दिया गया है. इन सभी वन्य प्राणियों को तमोर पिंगला मे स्थित घास के मैदान में छोड़ा गया है. गौरतलब है कि इन वन्य प्राणियों को यहां छोड़ने के लिए छत्तीसगढ़ प्रधान मुख्य वन संरक्षक और वाइल्ड लाइफ के सह मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक से अनुमति मांगी गई थी.
वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, सरगुजा वाइल्ड लाइफ के वन संरक्षक (वन्य प्राणी) और हाथी रिजर्व के उप निदेशक के मार्गदर्शन में पहले 6 मई 2023 को 25 चीतल तमोर पिंगला अभ्यारण्य में छोड़े गए थे, जिसमें 15 नर और 10 मादा चीतल शामिल थे. उसके बाद आज 19 वन्य प्राणी तमोर पिंगला अभ्यारण्य में छोड़े गए हैं. जिनमें 5 नर चीतल, 14 मादा चीतल , 2 कोटरी और 1 नीलगाय को सफलता पूर्वक पिंगला के घास युक्त मैदान में छोड़ा गया है.
पहले हुआ मेडिकल चेकअप
छत्तीसगढ़ के प्रधान वन संरक्षक की अनुमति और हाथी रिजर्व के उपनिदेशक द्वारा स्वीकृत वन्य प्राणी को चयनित इलाके में छोड़ने से पहले 5 सदस्यीय दल का गठन किया गया था. इस 5 सदस्यीय दल के द्वारा कार्य योजना बनाकर 1 मार्च 2023 को पशु चिकित्सकों द्वारा 5 चीतल और 1 नील गाय का ब्लड सैंपल लेकर जांच के लिए प्रयोगशाला भेजा गया था, जिसके बाद प्रयोगशाला से मिली जांच रिपोर्ट में सभी वन्य प्राणी स्वस्थ पाए गए थे. इस जांच के बाद वन्य प्राणियों को छोड़ने के लिए बोमा का निर्माण किया गया. फिर सभी को तमोर पिंगला अभ्यारण्य में छोड़ने से पहले इसी बोमा के अंदर चारा पानी दिया गया था.
वन्य प्राणियों को तमोर पिंगला अभ्यारण्य में छोड़ने के काम में तमोर पिंगला के अधीक्षक जयजीत केरकेट्टा, समेरसोत अभ्यारण के अधीक्षक बी एस भगत, पशु चिकित्सक डॉ. अजीत पाण्डेय समेत कई आला अधिकारियों की भूमिका अहम रही.
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