Hareli Amavasya 2024: छत्तीसगढ़ में 'हरेली अमावस्या' पर्व की धूम मची हुई है. हर जिले में नांगर, कृषि उपकरणों की पूजा और गेड़ी नृत्य का आयोजन किया जा रहा है. हरेली अमावस्या से 'बस्तर दशहरा पर्व' की शुरुआत हो गई. पर्व की सबसे खास और महत्वपूर्ण रस्म 'पाट जात्रा' आज धूमधाम से निभाया गया. जगदलपुर के दंतेश्वरी मंदिर परिसर में विधि विधान से तने की पूजा की गयी. पेड़ के तने को काटकर बिलोरी से लाया गया था. 8 चक्कों का विशालकाय रथ के लिए हथौड़े और अन्य औजार 'ठुरलू खोटला' यानी पेड़ का तना से तैयार किये जायेंगे.


दशहरा पर्व में 12 से अधिक अद्भुत रस्म निभाई जाती है. प्रशासन की तरफ से गठित समिति का अध्यक्ष बस्तर सांसद को बनाया जाता है. देश में सबसे ज्यादा लंबे दिनों तक चलने वाले दशहरा पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है. इस साल 76 दिनों तक बस्तर दशहरा पर्व चलेगा. दशहरा पर्व की शुरुआत 600 साल पहले हुई थी. आज भी पर्व के हर रस्म को धूमधाम से निभाया जाता है. बस्तर दशहरा पर्व की शुरुआत पाट जात्रा रस्म के साथ हुई.




बकरा और मोंगरी मछली की बलि देने की है प्रथा


अब दुमंजिले काष्ठ (लकडी से बनी रथ) निर्माण के लिए जंगल से लकडियां लाने का काम शुरू हो जाएगा. रथ निर्माण के दौरान ठुरलू खोटला का उपयोग किया जाता है. ठुरलू खोटला की पूजा के बाद बकरा और मोंगरी मछली की बलि देकर दंतेश्वरी मांई को प्रसाद स्वरूप चढ़ाया गया. मांई दंतेश्वरी के सेवादारों की उपस्थिति में विधान संपन्न हुआ. रथ निर्माण करने वाले कारीगर, खाता पुजारी, दशहरा पर्व से जुड़े मांझी-चालकी, बस्तर सांसद, कलेक्टर मौजूद रहे.


हरेली अमावस्या से बस्तर दशहरा का शुभारंभ


आने वाले दिनों में बस्तर दशहरा की दूसरी महत्वपूर्ण रस्म 'डेरी गढ़ई' अदा की जाएगी. बस्तर दशहरा पर्व के लिए राज्य सरकार फंड जारी करती है. विदेशों से भी बड़ी संख्या में पर्यटक बस्तर दशहरा पर्व को देखने पहुंचते हैं. हरेली अमावस्या पर सबसे पहली और अहम रस्म अदायगी के साथ दशहरा पर्व का शुभारंभ हो गया. अब दशहरा पर्व में चलाई जाने वाली विशालकाय रथ बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी.


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