Chhattisgarh News: मानसून में सांप के काटे जाने की शिकायत बढ़ जाती है. बीते 6 महीनों में बस्तर संभाग के 10 लोगों की सर्पदंश से मौत हुई है. जहरीले सांप बिल से निकलकर आबादी में लोगों को डसते हैं. अलग अलग जिलों में 450 सर्पदंश के मामले सामने आये हैं. 440 लोगों की जान समय पर इलाज मिलने की वजह से बच गयी. मात्र 10 लोगों की सर्पदंश से मौत हुई. बस्तर, दंतेवाड़ा और बिजापुर जिले में 3-3 सर्पदंश से मौत के मामले उजागर हुए. सांप के काटने से नारायणपुर में एक मौत हुई.


सबसे अधिक बस्तर और बीजापुर में सांप के काटे जाने की घटना सामने आयी. बस्तर संभाग के सुकमा, दंतेवाड़ा, नारायणपुर और बीजापुर जिले में एंटी स्नेक वेनम की कमी काफी लंबे समय से बनी हुई है. बस्तर संभाग के सबसे बड़े अस्पताल में मेडिसीन विभाग के HOD डॉ. जॉन मसीह ने बताया कि बारिश में सांप मौत बनकर घूमते हैं. सर्पदंश से पीड़ित मरीज समय पर अस्पताल पहुंचकर जिंदगी बचा सकते हैं. मरीजों को "एंटी स्नेक वेमन" इंजेक्शन देकर ठीक किया जाता है.


मानसून के दौरान मौत बनकर घूमते हैं जहरीले सांप


शरीर में जहर फैलने के बाद ठीक होने की संभावना घट जाती है. उन्होंने कहा कि मानसून में सावधानी बरतने की आवश्यकता है. बस्तर में सबसे ज्यादा कोबरा और करैत बाइट के मामले सामने आ रहे हैं. अगर सांप के काटे गए स्थान पर सूजन आ जाए या आंखों की पलकें बंद होना शुरू हो जाये, ये पोइजिनीश स्नैक बाइट के चिन्ह होते हैं, ऐसे में मरीजों को समय पर अस्पताल पहुंचने की आवश्यकता है.


डॉ.जॉन मसीह जगदलपुर के डिमरापाल अस्पताल में पर्याप्त एन्टी स्नेक वेनम इंजेक्शन होने की बात कह रहे हैं. लेकिन बस्तर संभाग के अन्य जिलों का मामला बिल्कुल विपरीत है. अस्पतालों में एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन की कमी बनी हुई है. इंजेक्शन की उपलब्धता नहीं होने से कई लोगों की जान भी चली गई है. वर्तमान में सर्पदंश के 7 मरीजों का डिमरापाल अस्पताल में इलाज जारी है.


झाड़ फूंक और अंधविश्वास के कारण जाती है जान 


डॉ. जॉन मसीह ने बताया कि सर्पदंश से मौत के और भी कई कारण हैं. ग्रामीण अंचलों में जागरूकता की कमी है. लोग सांप काटने के बाद जड़ी बूटी या झाड़ फूंक से इलाज करते हैं. देर होने से शरीह में जहर फैल जाता है. शरीर में जहर फैल जाने के बाद पीड़ित का बचना मुश्किल हो जाता है. इसलिए सांप के काटने पर जड़ी बूटी या झाड़ फूंक से बचने की आवश्यकता है. झाड फ़ूंक में समय बर्बाद नहीं करना चाहिए. मरीज को वेंटिलेटर की आवश्यकता भी पड़ती है. 


पुलिस ने ग्रामीण और शहरी इलाकों में रेस्क्यू के लिए एक टीम भी बनाई है. टीम को सूचना मिलने पर सांपों का रेस्क्यू किया जाता है. पकड़कर सांपों को सुरक्षित जगहों पर छोड़ा जाता है. सांप मित्र और डायल 112 के कर्मचारी मुकेश कश्यप ने बताया कि कोबरा सांप तक का सुरक्षित रेस्कयू किया जाता है. कई बार एक दिन में टीम ने 10 से ज्यादा सांपों का रेस्कयू किया है. 


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