Delhi New: दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को 1984 के सिख विरोधी दंगों (1984 Anti-Sikh Riots) के दौरान पुल बंगश (Pul Bangash) हत्याओं के आरोपी कांग्रेस (Congress) नेता जगदीश टाइटलर (Jagdish Tytler) के खिलाफ आरोपों पर बहस की सुनवाई स्थगित कर दी. कोर्ट ने टाइटलर के खिलाफ आरोप तय करने के बारे में बहस पर सुनवाई 21 नवंबर तक के लिए स्थगित की. स्पेशल जज विकास ढुल (Vikas Dhull) शुक्रवार से सुनवाई शुरू करने वाले थे, लेकिन टाइटलर की प्रार्थना पर मामले को 21 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया.


आरोपी की ओर से पेश वकील मनु शर्मा ने कहा कि उन्हें मामले से संबंधित कुछ दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतियां नहीं मिली हैं. इसके अलावा, उन्होंने अदालत से यह सत्यापित करने का आग्रह किया कि क्या दिल्ली पुलिस के साथ-साथ सीबीआई जांच का पूरा रिकॉर्ड अदालत तक पहुंच गया है. इस पर कोर्ट ने कहा कि वह इसका सत्यापन कराएगी. इससे पहले, अतिरिक्त सत्र मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट विधि गुप्ता आनंद ने कहा था कि टाइटलर के खिलाफ अपराध विशेष रूप से सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय हैं और फाइल राउज एवेन्यू कोर्ट के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश को सौंप दी गई है.


कोर्ट ने दिया था ये निर्देश


आनंद ने कहा था कि रिकॉर्ड से पता चलता है कि आरोप पत्र, अन्य बातों के अलावा, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 और 436 के तहत दायर किया गया है और ये अपराध विशेष रूप से सत्र अदालत की ओर से विचारणीय है. अदालत ने सीबीआई के लिए लोक अभियोजक अमित जिंदल को मामला सौंपने के संबंध में नोटिस जारी किया था और टाइटलर को अगली सुनवाई के लिए निर्धारित तिथि पर सत्र अदालत के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया था.


क्या है पूरा मामला?


यह मामला तब का है जब 1 नवंबर 1984 को आजाद मार्केट स्थित गुरुद्वारा पुल बंगश को एक भीड़ ने आग लगा दी थी और सरदार ठाकुर सिंह, बादल सिंह और गुरचरण सिंह नामक तीन लोगों की जलकर मौत हो गई थी. यह घटना तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के एक दिन बाद हुई थी. उन्हें उनके सिख अंगरक्षकों ने गोली मारी थी. अदालत के समक्ष दायर अपने आरोप पत्र में, सीबीआई ने कहा है कि टाइटलर ने गुरुद्वारे में इकट्ठा हुई भीड़ को उकसाया, भड़काया, जिसके परिणामस्वरूप गुरुद्वारे को जला दिया गया और तीन लोगों की हत्या कर दी गई. जांच एजेंसी की ओर से टाइटलर के खिलाफ आईपीसी की धारा 147 (दंगा), 109 (उकसाने) के साथ धारा 302 (हत्या) के तहत आरोप लगाए गए हैं.


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