Delhi-NCR Pollution Survey: दिवाली (Diwali) के खत्म होते ही दिल्ली (Delhi) में प्रदूषण (Pollution) का स्तर चरम पर पहुंच जाता है. दिल्ली और एनसीआर (Delhi-NCR) के इलाके विश्व के सबसे प्रदूषित क्षेत्रों में भी अपना नाम दर्ज करा चुके हैं. पड़ोसी राज्य जैसे पंजाब (Punjab), हरियाणा (Haryana) और उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में जल रही पराली का सिलसिला भी दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है और उसका असर दिल्ली के प्रदूषण के रूप में देखने को मिल रहा है. 


इन दिनों दिल्ली और एनसीआर के कई हिस्सों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 400 से 500 के बीच में बना हुआ है, जो बेहद खराब श्रेणी में आता है. वहीं, ज्यादातर इलाकों में एक्यूआई 300 के पार यानी गंभीर श्रेणी में बना हुआ है. राष्ट्रीय राजधानी में वाहनों की वजह से होने वाला प्रदूषण भी हवा को जहरीली बना रहा है.


क्या कहता है सर्वे?


हाल ही में लोकल सर्कल का एक सर्वे किया गया, जिसमें 9,000 से ज्यादा लोगों को शामिल किया गया था. उसमें यह पाया गया कि 70 फीसदी लोग अपने ऊपर वायु प्रदूषण का प्रभाव महसूस कर रहे हैं. वहीं, बचे 30 फीसदी लोगों ने यह संकेत दिया कि घर पर बुजुर्ग माता-पिता और दादा-दादी पहले से ही इससे प्रभावित हैं. यहां तक कि छोटे बच्चे, जो स्कूल जाते हैं, वे भी वायु प्रदूषण का शिकार हैं और अस्वस्थ महसूस करते हैं.


हालांकि, कुछ लोगों ने यह भी कहा कि दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण के कारण उन्हें और उनके परिवार को इस वक्त कोई स्वास्थ्य समस्या नहीं है. वहीं, दिल्ली में रहने वाले स्वस्थ लोगों ने भी वायु प्रदूषण का शिकार होने की शिकायत की है, उन्हें वक्त से पहले दमा, सांस लेने में तकलीफ और फेफड़े से जुड़े कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. 


प्रदूषण के कारण छूटेगी दिल्ली?


सर्वे में शामिल 27 फीसदी लोग दिल्ली छोड़कर जाने पर भी विचार कर रहे हैं ताकि वे बढ़ते प्रदूषण से खुद को और अपने परिवार को बचा सकें. दिल्ली-एनसीआर में कुल 72 फीसदी परिवार ऐसे भी हैं जो जहरीली हवा से खुद को बचाने के लिए कई तरह के उपाय अपनाने को भी तैयार हैं, यह जानते हुए कि 2022 में विषैली वायु गुणवत्ता सूचकांक में आने का आठवां वर्ष होने के बावजूद तीन में से केवल एक घर में ही एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल किया जाता है.


ज्यादातर लोग केवल मास्क और इम्यूनिटी बढ़ाने वाली चीजों का सेवन करने में विश्वास रखते हैं. मास्क का चलन कोरोना महामारी के बाद हुआ, जो कहीं न कहीं बढ़ते प्रदूषण से खुद को बचाने के लिए भी बहुत कारगर साबित हो रहा है.


ये भी पढ़ें-


मोरबी हादसा: एक रात में खोदी 40 कब्र... श्‍मशान से कब्रिस्‍तान तक की रूह कंपाने वाली कहानी