दिल्ली में बीते साल 88628 मौतें, ये बीमारियां बनी जान की दुश्मन, बच्चों के लिए खतरनाक
Delhi News: दिल्ली सरकार की नई रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में सबसे ज्यादा मौतें 45 से 64 साल के आयु वर्ग में हुईं. साल 2023 में कुल मौतों में 32.28 फीसदी मौतें इसी आयु वर्ग के लोग शामिल हैं.
Delhi Latest News: दिल्ली में अलग-अलग बीमारियों की वजह से होने वाली मौतों को लेकर एक नई रिपोर्ट सामने आई है. रिपोर्ट में शमिल तथ्य न केवल चौंकाने वाले हैं बल्कि दिल्ली की चिंताजनक तस्वीर भी पेश करते हैं. दरअसल, रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हैजा, दस्त, तपेदिक और हेपेटाइटिस'बी की वजह से सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं.
दिल्ली में पिछले साल विभिन्न अस्पतालों और स्वास्थ्य संस्थानों में कुल 88,628 मौतों में से लगभग 24 फीसदी हैजा, दस्त, तपेदिक (टीबी) और हेपेटाइटिस-बी सहित अन्य संक्रामक एवं परजीवी रोगों की वजह से हुईं.
21 हजार मौतों की वजह संक्रामक और परजीवी रोग
अर्थशास्त्र एवं सांख्यिकी निदेशालय की ओर से जारी ‘द मेडिकल सर्टिफिकेशन ऑफ कॉज ऑफ डेथ्स’ (एमसीसीडी) रिपोर्ट-2023 में कहा गया है कि दिल्ली में पिछले साल कुल 88,628 मौतें अस्पतालों या स्वास्थ्य संस्थानों में हुईं, जिनमें से लगभग 21,000 लोगों की जान संक्रामक एवं परजीवी रोगों की वजह से गई.
कैंसर से मरने वालों में 12 फीसदी की बढोतरी
‘द मेडिकल सर्टिफिकेशन ऑफ कॉज ऑफ डेथ्स’ (एमसीसीडी) की रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में कैंसर और अन्य संबंधित बीमारियों के कारण उन स्थानों पर 6,054 मौतें हुईं, जो 2022 में इस श्रेणी में रिकॉर्ड की गई 5,409 मौतों से लगभग 12 फीसदी ज्यादा हैं.
रिपोर्ट के अनुसार 2023 में शिशुओं के मामले में सबसे ज्यादा मौतें (1,517) भ्रूण के धीमे विकास और कुपोषण के कारण हुईं. इसमें कहा गया है कि निमोनिया ने 1,373, सेप्टीसीमिया ने 1,109 और हाइपोक्सिया, जन्म के समय श्वास अवरोध व श्वास संबंधी अन्य विकारों ने 704 शिशुओं की जान ली.
रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में सबसे ज्यादा मौतें 45 से 64 साल के आयु वर्ग में हुईं. इसमें बताया गया है कि पिछले साल हुई कुल मौतों में 32.28 फीसदी यानी 28,611 मृतक इस आयु वर्ग के जबकि 29.44 प्रतिशत यानी 26,096 मृतक 65 साल और उससे अधिक उम्र के थे.
हर रोज होने वाली मौतों की संख्या 363
दिल्ली में प्रतिदिन होने वाली मौतों की औसत संख्या वर्ष 2023 में 363 हो गई, जबकि वर्ष 2022 में यह 351 थी. इसमें 5.94 प्रतिशत मौतें पाचन तंत्र की बीमारी के कारण हुईं. करीब 10 प्रतिशत मौतें श्वसन संबंधी समस्याओं के कारण हुईं. इसके अलावा 5-14 वर्ष की आयु के बच्चों में 29.56 प्रतिशत मृत्यु का कारण संक्रामक और परजीवी रोग है और 11.60 प्रतिशत मृत्यु का कारण सांस की समस्या (श्वसन तंत्र) के रोग हैं.
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