Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट की एक बेंच ने कहा है कि प्यूबर्टी (यौवन आयु ) की उम्र में आने बाद एक लड़की, मुस्लिम कानूनों के तहत परिजनों की अनुमति के बिना शादी कर सकती है. अदालत ने यह भी कहा कि ऐसी परिस्थिति में युवती अगर नाबालिग है तब भी वह अपने पति के साथ रह सकती है. जस्टिस जसमीत सिंह ने मुस्लिम दंपति के मामले की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की.


इस मामले में दंपति ने परिजनों की इच्छा के खिलाफ 11 मार्च को शादी की थी. इस शादी में पुरुष जहां 25 साल की था तो वहीं परिवार और पुलिस के अनुसार शादी के वक्त युवती की उम्र 15 साल थी. हालांकि युवती के वकील द्वारा अदालत में पेश किए गए आधार कार्ड के अनुसार वह शादी के वक्त 19 साल की थी.


निजी जीवन ने सरकार नहीं दे सकती दखल- हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा- "यह स्पष्ट है कि मुस्लिम कानून के तहत जो लड़की प्यूबर्टी की उम्र में आ चुकी है, वह अपने परिजनों की मर्जी के बिना शादी कर सकती है. अगर वह 18 साल से कम उम्र की भी है तब भी अपने पति के साथ रह सकती है." जस्टिस सिंह ने कहा कि अगर लड़की ने अपनी मर्जी से शादी की और खुश है तो सरकार उसके निजी जीवन में दखल नहीं दे सकता और ना ही वह दंपति को अलग सकता है. 


दरअसल, दंपति ने इस साल अप्रैल में अदालत से पुलिस सुरक्षा मांगी थी. उन्होंने अदालत से कहा था कि वह ये सुनिश्चित करे कि कोई उन्हें अलग ना करे. लड़की ने आरोप लगाया था कि उसके परिजन उससे मारपीट करते हैं. लड़की के परिजन ने 5 मार्च को दिल्ली के द्वारका जिले में अपहरण काम मामला दर्ज कराया. बाद में पुलिस ने इस मामले में IPC की धारा 376 (रेप) और पॉक्सो की धारा 6 जोड़ दी. वहीं लड़की ने अदालत में कहा कि उसके परिजनों ने उससे मारपीट की और उसकी शादी किसी और से कराना चाहते थे. 


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