Delhi News: दिल्ली के उपराज्यपाल (Vinai Saxena) और केजरीवाल सरकार के बीच खींचतान का सिलसिला अभी जारी है. दोनों के बीच आए दिन कुछ न कुछ तकरार होती रहती है. गुरुवार को एलजी की तरफ से लिया एक फैसला ने आप (AAP) की चिंता और बढ़ा दी है. एलजी द्वारा आप सरकार के विभिन्न विभागों, बोर्डों और आयोगों में कार्यरत सलाहकारों को हटाने को कहा गया है, जिसके बाद आप के तमाम नेता, कार्यकर्ता और प्रवक्ता हमला बोल रहे हैं.


प्रियंका कक्कड़ का एलजी पर हमला
आम आदमी पार्टी की प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ (Priyanka Kakkar) ने LG पर जमकर निशाना साधा है. प्रियंका ने ट्वीट करते हुए अपनी नाराजगी दिखाई है उन्होंने कहा कि, अगर इन एक्सपर्ट की स्पेशियलिटी रेप मर्डर या करप्शन होता तो इस अनपढ़ सरकार को दिक्कत ना होती. ऊपर से धूर्त सरकार ने एक्सपर्ट को बर्खास्त करने के लिए 2014 की हाई कोर्ट जजमेंट का हवाला दिया. सुप्रीम कोर्ट की 11 मई की संवैधानिक पीठ की एकमत जजमेंट तो छोड़िये अपने अध्यादेश का हवाला भी नहीं दे पा रहे क्योंकि उस अध्यादेश की कोई मान्यता नहीं, इनकी खुद की नजर में भी. यही इनकी रणनीति रही है, कब्जा करो, फिर बर्बाद कर दो और फिर बदनाम करो.


अरविंद केजरीवाल ने भी जताया एतराज
इससे पहले सीएम अरविंद केजरीवाल ने भी एलजी के फैसले पर ऐतराज जताते हुए अपने एक ट्वीट में कहा था कि उनका यह आदेश दिल्ली सरकार और उसकी सेवाओं का पूरी तरह से गला घोंट देगा. मुझे नहीं पता कि यह सब करके एलजी को क्या हासिल होगा? मुझे आशश है कि सुप्रीम कोर्ट इस निर्णय को तत्काल रद्द कर देगी. बता दें कि दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने चार जून को दिल्ली सरकार में बतौर सलाहकार व अन्य भूमिकाओं में कार्यरत 437 लोगों की सेवा को समाप्त घोषित कर दिया था. ये लोग दिल्ली के अलग-अलग विभागों में सलाहकार, रिसर्चर्स और फेलो के रूप में काम कर रहे थे.


क्या है LG का फैसला ?
दरअसल, दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ने अलग-अलग विभागों से जुड़े बोर्ड, आयोग और कमेटियों में 437 लोगों को फेलो, एसोसिएट फेलो, एडवाइजर, डिप्टी एडवाइजर्स, स्पेशलिस्ट, सीनियर रिसर्च ऑफिसर्स और कंसल्टेंट के पदों पर नियुक्त किया था. पद के हिसाब ने इस लोगों को 60 हजार से 2 लाख 65 रुपए प्रतिमाह के हिसाब से भुगतान किया जा रहा था. एलजी के आदेश के बाद इन लोगों की सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त हो गई है. इन लोगों की सेवा समाप्त होने का सीधा असर दिल्ली सरकार के कामकाज पर होगा