Death Penalty in Qatar: कतर में AAP का बीजेपी पर हमला, नौसेना के पूर्व अफसरों को मौत की सजा पर पूछा- PM मौन क्यों?
Death Penalty in Qatar Indian Navy: केंद्र सरकार ने कतर के फैसले पर सख्त नाराजगी जाहिर करते हुए इसे अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में उठाने का फैसला लिया.
Delhi News: भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अफसरों को कतर सरकार द्वारा मौत की सजा के एलान के बाद से भारत में राजनीति चरम पर है. विपक्षी दलों ने नेता इस मसले को लेकर केंद्र सरकार पर दबाव बनाने में जुटे हैं. इसी क्रम में आम आदमी पार्टी ने 8 पूर्व सैन्य अफसरों को मौत की सजा देने के एलान को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला है. आप ने बीजेपी से पूछा है कि आखिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मसले पर मौन क्यों हैं? आम आदमी पार्टी की पोस्ट एक्स में बताया गया है कि कतर द्वारा भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अफसरों को मौत की सजा सुनाने पर प्रधानमंत्री मोदी मौन क्यों हैं? कतर में भारतीय नागरिकों की जान जोखिम में है. प्रधानमंत्री Modi इस स्थिति को गंभीरता से लें. यहां मौन नहीं चलेगा.
केंद्र ने ICJ में उठाने का लिया फैसला
कतर सरकार ने 26 अक्टूबर 2023 को भारतीय नौसेना के आठ पूर्व सैन्य अफसरों को अपने देश के खिलाफ साजिश रचने के आरोप में मौत की सजा का एलान किया था. उसे बाद से भारत सहित दुनिया भर में कूटनयिक स्तर पर हलचल तेज है. कतर सरकार के इस फैसले को भारत सरकार द्वारा इजरायल को हमास के खिलाफ समर्थन देने की घोषणा से जोड़कर देख रहे है. भारत सरकार ने कतर के इस फैसले पर सख्त नाराजगी जाहिर की और इसे अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में उठाने का फैसला लिया है.
केंद्र करे कूटनयिक प्रभाव का इस्तेमाल
दूसरी तरफ देश के अंदर सियासी दलों का रुख इस मसले को लेकर केंद्र सरकार और हमलावर है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा है कि कतर में भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अधिकारियों से संबंधित घटनाक्रम अत्यंत दुखद है. कांग्रेस ने बेहद दुख, पीड़ा और अफसोसजनक बताया है. उन्होंने अपने टवीट में लिखा था कि हम आशा और अपेक्षा करते हैं कि भारत सरकार कतर सरकार के साथ अपने राजनयिक और राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल कर पूर्व सैन्य अफसरों को इस संकट से बाहर निकालने का काम करेगी. उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की है कि जल्द से जल्द पूर्व सैन्य अधिकारियों को वहां की कैद से रिहा कराने के लिए भी प्रयास किए जाएं. इसके जवाब में भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि ये मामला उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता में है.