Delhi: DDA का डिमोलिशन ड्राइव रोकने आगे आई AAP सरकार, राजस्व विभाग की मार्किंग को बताया गलत
DDA Demolition: आदेश में कहा गया है कि डीडीए के पास संबंधित भूमि पर अतिक्रमण की पहचान के लिए दिल्ली के राजस्व विभाग की मार्किंग एकमात्र स्रोत है. राजस्व विभाग द्वारा की गयी मार्किंग अवैध और शून्य थी.
Mehrauli Demolition Drive: दिल्ली सरकार अब महरौली इलाक़े में चल रहे डीडीए (DDA) के डिमोलिशन अभियान के खिलाफ और दिल्लीवासियों के बचाव में उतर आई है. केजरीवाल सरकार ने डीडीए को महरौली में तोड़फोड़ अभियान रोकने का निर्देश दिया है. डीडीए ने तोड़फोड़ अभियान के लिए राजस्व विभाग (Revenue Department ) की मार्किंग का उपयोग किया था. लेकिन, दिल्ली सरकार ने अपनी प्रक्रिया में गड़बड़ी मिलने पर मार्किंग को रद्द कर दिया है.
नए सिरे से मार्किंग का निर्देश
राजस्व मंत्री कैलाश गहलोत ने विवादित क्षेत्र का नए सिरे से मार्किंग कराने का आदेश दिया है. राजस्व मंत्री ने कहा है कि कब्जाधारियों को बिना कोई नोटिस दिए अंधेरे में रखकर मार्किंग की गयी है. कैलाश गहलोत ने दक्षिण दिल्ली के डीएम को भूमि की नए सिरे से मार्किंग करने और डीडीए को तत्काल इस बारे में सूचित करने का निर्देश दिया है.
राजस्व विभाग की मार्किंग अवैध
आदेश में कहा गया है कि डीडीए के पास संबंधित भूमि पर अतिक्रमण की पहचान करने के लिए दिल्ली के राजस्व विभाग की मार्किंग एकमात्र स्रोत है. राजस्व विभाग द्वारा की गया मार्किंग अवैध और शून्य थी. यह न तो कानून के अनुसार की गयी और न ही इससे पहले प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किया गया.
लोगों के आवेदन पर निर्णय
मंत्री ने बताया कि आवेदनों में अनुरोध किया गया था कि इस मामले में तत्काल संज्ञान लिया जाए और राजस्व अधिकारियों को इस मार्किंग को निरस्त करने के निर्देश जारी किये जाएं. इस पर संज्ञान लेते हुए राजस्व मंत्री ने तत्काल मामले को लेकर संबंधित अधिकारियों की बैठक बुलायी. बैठक में सामने आया कि विभाग ने मार्किंग प्रक्रिया के दौरान इस जगह रह रहे व्यक्तियों को नोटिस जारी नहीं किया था. मार्किंग के तरीके को सही नहीं बताते हुए कैलाश गहलोत ने कहा कि लाडो सराय गांव घनी आबादी वाला क्षेत्र है. यहां के मकान काफी पुराने हैं.
नहीं दी गई थी नोटिस
इसके अलावा 10 फरवरी 2023 को हुई बैठक में राजस्व अधिकारियों ने स्वीकार किया कि खसरा संख्या की मार्किंग से पहले खसरा संख्या के कब्जाधारियों को कोई नोटिस नहीं दिया गया था. ऐसे में स्पष्ट रूप से मार्किंग प्रक्रिया के दौरान सभी कब्जाधारियों की कोई भागीदारी नहीं थी. इस प्रकार यह साफ है कि यहां रहने वालों को अंधेरे में रखकर मार्किंग की गयी है. इस दौरान पीड़ित व्यक्तियों को किसी भी प्रकार की कोई सुनवाई का मौक़ा नही दिया गया.