Delhi University News: दीपावली से ठीक पहले दिल्ली सरकार ने दिल्ली विश्वविद्यालय के 12 वित्तपोषित कॉलेजों के लिए लगभग 100 करोड़ रुपये जारी किए हैं. आम आदमी पार्टी (आप) ने रविवार को कहा कि ‘आप’ की सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए कॉलेजों के वास्ते लगभग 400 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान किया है. उसने कहा कि 100 करोड़ रुपये का कोष तीसरी तिमाही के लिए है.


आप की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि दिल्ली में ‘आप’ के सत्ता में आने के बाद से इन कॉलेजों को आवंटित बजट में तीन गुना से अधिक की वृद्धि हुई है, जो शिक्षा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.


मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा, “अरविंद केजरीवाल के मार्गदर्शन में शिक्षा हमेशा आप सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है. दिल्ली में केजरीवाल की सरकार बनने के बाद से हर साल बजट का सबसे बड़ा हिस्सा शिक्षा विभाग को आवंटित किया जाता है. 


दिल्ली सरकार ने तीन नए विश्वविद्यालय खोलकर और मौजूदा विश्वविद्यालयों का विस्तार करके उच्च शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया है. उन्होंने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के उनकी सरकार द्वारा पूर्ण वित्तपोषित 12 कॉलेज राष्ट्रीय राजधानी में उच्च शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.


आम आदमी पार्टी की ओर से जारी बयान के मुताबिक साल 2014-15 में इन कॉलेजों को 132 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, जो अब चालू वित्त वर्ष में बढ़ाकर लगभग 400 करोड़ रुपये कर दिए गए हैं.


डीयू के इन कॉलेजों के लिए जारी हुए पैसे


दिल्ली विश्वविद्यालय के जिन कॉलेजों के लिए 100 करोड़ रूपये दिल्ली सरकार ने जारी किए हैं उनमें आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज, भगिनी निवेदिता कॉलेज, अदिति कॉलेज, दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज, भास्कराचार्य कॉलेज, शहीद सुखदेव कॉलेज ऑफ बिजनेस स्टडीज, शहीद राजगुरु कॉलेज, महर्षि वाल्मीकि कॉलेज, महाराजा अग्रसेन कॉलेज, केशव महाविद्यालय, इंदिरा गांधी इंस्टिट्यूट आफ फिजिकल एजुकेशन एंड स्पोर्ट्स साइंसेज और डॉ. भीम राव अंबेडकर कॉलेज शामिल हैं. 


12 कॉलेज के प्रबंधकों पर लगे थे ये आरोप


बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय के अधीन आने वाले इन सभी कॉलेजों को दिल्ली सरकार हर साल फंड मुहैया कराती है. इन कॉलेजों में शैक्षिक और गैर शैक्षिक कर्मचारियों को नियुक्ति को लेकर कुछ महीने पहले विवाद भी हुआ था. उस समय दिल्ली सरकार में शिक्षा मंत्री ने वित्तपोषित कॉलेजों में जारी अनियमितताओं को आधर बनाते हुए फंड रोकने की धमकी दी थी. हालांकि, अब यह विवाद ठंडा पड़ गया है.


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