Delhi News: दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच जारी विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (5 अगस्त) को बड़ा फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) को MCD में पार्षद मनोनीत करने का अधिकार है. इसके लिए दिल्ली सरकार की सहमति जरूरी नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर आम आदमी पार्टी (आप) ने असहमति जताई है.


आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा, ''यह फैसला भारत के लोकतंत्र के लिए एक बहुत बड़ा झटका है. एक चुनी हुई सरकार को बायपास करके सारे अधिकार LG को दिए जा रहे हैं, ये भारत के संविधान और लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है.''


दुर्भाग्यपूर्ण है- संजय सिंह


सांसद ने कहा, ''इस मामले की सुनवाई के दौरान माननीय जजों की टिप्पणी इस फ़ैसले के विपरीत थी. ये फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है. माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से हम पूरे आदर के साथ असहमत हैं.''


आम आदमी पार्टी ने ने कहा कि फैसले की प्रति पढ़ने के बाद भविष्य के कदम पर फैसला लेंगे.


दिल्ली में  मनोनीत पार्षद यानी एल्डरमैन नियुक्ति पर लंबे समय से विवाद था. इसी के चलते MCD में स्टैंडिंग कमिटी का चुनाव भी रुका था, क्योंकि एल्डरमैन भी इस चुनाव में मतदान करते हैं.


सुप्रीम कोर्ट ने की थी अहम टिप्पणी


सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर करीब 15 महीने तक फैसला सुरक्षित रखा. न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, पिछले साल 17 मई को शीर्ष अदालत ने कहा था कि उपराज्यपाल को एमसीडी में ‘एल्डरमैन’ नामित करने का अधिकार देने का मतलब होगा कि वह निर्वाचित नगर निकाय को अस्थिर कर सकते हैं. 


 एमसीडी में 250 निर्वाचित और 10 नामित सदस्य हैं. दिसंबर 2022 में ‘आप’ ने नगर निगम चुनाव में 134 वार्ड में जीत के साथ एमसीडी पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के 15 साल के शासन को समाप्त कर दिया था. बीजेपी ने 104 सीट जीती थीं, जबकि कांग्रेस नौ सीट के साथ तीसरे स्थान पर रही थी.


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