Delhi MCD: लोकसभा के बाद अब राज्यसभा में भी निगमों के एकीकरण को लेकर लाए गए विधेयक को पास कर दिया गया है. इसी बीच विधेयक को लेकर आम आदमी पार्टी लगातार केंद्र सरकार पर हमलावर है, आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेता और विधायक आतिशी ने कहा है कि केंद्र सरकार दिल्ली में एमसीडी के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है. विधायक आतिशी ने कहा कि केंद्र सरकार देश की सभी निगमों को 488 रुपए प्रति व्यक्ति देती है लेकिन दिल्ली निगम को एक पैसा नहीं देती है.
दिल्ली की आबादी के अनुसार दिल्ली निगम को केंद्र सरकार द्वारा प्रति वर्ष 730 करोड़ मिलने चाहिए. केंद्र और एमसीडी दोनों में बीजेपी की सरकार है फिर भी दिल्ली निगम को फंड नहीं मिल रहा है, दिल्ली सरकार ने तीनों एमसीडी को कई बार लोन दिया, बीजेपी पर ब्याज समेत कुल 6,862 करोड़ रुपए बकाया है.
केंद्र सरकार कर रही है सौतेला व्यवहार
आतिशी ने कहा कि आज राज्यसभा में हमारे देश के गृह मंत्री अमित शाह जी ने दिल्ली की तीनों एमसीडी के एकीकरण का बिल पेश किया, कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि जब तीनों एमसीडी एक हो जाएंगी तो उनके फंड ठीक से चल पाएंगे.लेकिन फंड ठीक से क्यों नहीं चल रहे हैं? गृहमंत्री ने इसका कारण यह दिया है कि दिल्ली सरकार तीनों एमसीडी के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है, मैं गृह मंत्री अमित शाह जी से पूछना चाहूंगी कि निगमों के साथ सौतेला व्यवहार दिल्ली सरकार कर रही है या केंद्र सरकार?
शहरी स्थानीय निकाय को भी दिया जाए फंड
आतिशी ने कहा 14 वित्त आयोग हैं, जिनके साथ शर्तें रखीं गईं कि जो शहरी और ग्रामीण स्थानीय निकाय हैं, उनको केंद्र सरकार 488 रुपए प्रति व्यक्ति के आधार पर फंड देती है, गाजियाबाद हो, फरीदाबाद हो, चेन्नई हो या बेंगलुरु हो, सभी को यह फंड जाता है. पूरे देश में सिर्फ एक निगम है जिसको केंद्र सरकार एक भी पैसा नहीं देती है, 488 रुपए प्रति व्यक्ति तो बहुत दूर की बात है, और वह दिल्ली की निगम है. जब 2015 में वित्त आयोग बना तो कई वित्त मंत्रियों ने केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री को पत्र लिखा कि दिल्ली के शहरी स्थानीय निकाय को भी फंड दिया जाए.
दिल्ली को मिलना चाहिए 730 करोड़ रुपये फंड
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 2015 से लेकर आजतक कई पत्र प्रधानमंत्री को लिखे, जब अरुण जेटली वित्त मंत्री थे तो उनको पत्र लिखा था, निर्मला सितारमण जी को भी पत्र लिखा, अरविंद केजरीवाल जी और मनीष सिसोदिया जी ने ऐसी कई चिट्ठियां केंद्र सरकार को बार-बार लिखीं कि दिल्ली की निगम के साथ सौतेला व्यवहार छोड़ दीजिए, जिस तरह से आप देश की हर निगम को 488 रुपए प्रति व्यक्ति देते हैं, उसी प्रकार दिल्ली को भी दिए जाएं. दिल्ली में लगभग 1.5 करोड़ की आबादी है. अगर हम 488 रुपए प्रति व्यक्ति का हिसाब लगाएं तो प्रति वर्ष 730 करोड़ रुपए का फंड बनता है, जो दिल्ली को आजतक नहीं मिला.
दिल्ली सरकार ने एमसीडी को कितना लोन दिया है, इसका ज़िक्र करते हुए आतिशी ने कहा कि दिल्ली सरकार ने 2015 से बार-बार तीनों निगमों को लोन दिया है, क्योंकि एमसीडी में इतना भ्रष्टाचार है कि राजस्व के आधार पर वह चल नहीं पा रही है. आज कुल बकाया लोन नॉर्थ एमसीडी पर 2000 करोड़, ईस्ट एमसीडी पर 1400 करोड़ और साउथ एमसीडी पर 300 करोड़ है. अगर इस लोग ने साथ हम ब्याज भी जोड़ दें तो नॉर्थ एमसीडी पर 3600 करोड़ रुपए, ईस्ट एमसीडी पर 1940 करोड़ रुपए और साउथ एमसीडी पर 1322 करोड़ बकाया है, केंद्र सरकार एमसीडी को पैसा नहीं दे रही है, शायद भाजपा के नेताओं को, अमित शाह जी को और प्रधानमंत्री को पता है कि एमसीडी को जितना भी पैसा दे दीजिए, उनके पार्षद सारा पैसा खा जाएंगे. सारे पैसे भ्रष्टचार की भेंट चढ़ जाएंगे, इसलिए दिल्ली की तीनों निगमों को पैसा देने का कोई फायदा नहीं है.
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