Delhi News: आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने मंगलवार (11 मार्च) को संसद में सरकारी स्कूलों को लेकर मोदी सरकार पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि 2022-23 और 2023-24 में देश भर में करीब 54.77 लाख बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया. इसमें उत्तर प्रदेश, गुजरात व असम समेत अन्य भाजपा शासित राज्यों में सबसे अधिक बच्चों ने सरकारी स्कूल छोड़ा है.


संजय सिंह ने पेपर लीक की घटनाओं पर भी बीजेपी सरकारों पर हमला बोला. उन्होंने कहा, "पिछले पांच वर्षों में बीजेपी के राज्यों में 70 से अधिक पेपर लीक की घटनाएं हुई और इससे 1.70 करोड़ बेरोजगार युवा प्रभावित हुए हैं. शिक्षा का उद्देश्य बच्चों को सिर्फ किताबी ज्ञान देना नहीं है, बल्कि देश के असली इतिहास व सांस्कृतिक धरोहरों से भी परिचित कराना होना चाहिए."


शिक्षा की स्थिति पर उठाए सवाल
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने मंगलवार (11 मार्च) को संसद में सरकारी शिक्षा की स्थिति पर सवाल उठाए. उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर के प्रसिद्ध कथन का उल्लेख करते हुए कहा, "शिक्षा शेरनी का वह दूध है जो जितना पिएगा, उतना दहाड़ेगा." 


'जब शिक्षित होगा तब ही विकसित होगा भारत'
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत तभी विकसत होगा, जब भारत शिक्षित होगा और देश प्रगति की ओर अग्रसर हो सकेगा. संजय सिंह ने सरकार के झूठे दावों और बड़ी-बड़ी योजनाओं की वास्तविक स्थिति को आंकड़ों के माध्यम से उजागर करते हुए कहा कि 2022-23 और 2023-24 के दौरान लगभग 54,77,000 बच्चों ने सरकारी स्कूल छोड़ दिए. विशेष रूप से बीजेपी शासित राज्यों में ड्रॉपआउट की स्थिति काफी चिंताजनक है. 


पेश किए आंकड़े
उन्होंने बताया कि असम में 3,58,075, गुजरात में 1,38,813, मणिपुर में 17,000, मेघालय में 65,532 और उत्तर प्रदेश में 7,41,626 बच्चों ने स्कूल छोड़ा. जबकि आम आदमी पार्टी की सरकार के दौरान दिल्ली में 2022-23 और 2023-24 में 7,000 छात्रों ने स्कूल छोड़ा. उन्होंने कहा कि इन आंकड़ों से सरकार के दावों की पोल खुलती है और यह साबित होता है कि सरकारी शिक्षा व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है.


पेपर लीक पर भी उठाए सवाल
इसके अलावा, संजय सिंह ने पिछले 5 वर्षों में पेपर लीक की घटनाओं पर भी गंभीर सवाल उठाए. उन्होंने दावा किया, "पिछले 5 वर्षों में 70 से अधिक पेपर लीक की घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें नीट, कांस्टेबल और क्लर्क जैसी परीक्षाएं भी शामिल हैं. लगभग 1 करोड़ 70 लाख बेरोजगार छात्र और युवा इन पेपर लीक की घटनाओं से प्रभावित हुए हैं."


 



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