(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Delhi Politics: केन्द्र के अध्यादेश के खिलाफ विपक्षियों को एक मंच पर लाने की तैयारी में केजरीवाल, CPI नेता डी राजा से की मुलाकात
AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने तमिलनाडु के मंत्री के ख़िलाफ़ कार्रवाई को लेकर कहा कि सीबीआई और ईडी का नाम बदलकर अब बीजेपी सेना रख लेना चाहिए.
Delhi News: दिल्ली के मुख्यमंत्री और AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल केन्द्र के अध्यादेश के खिलाफ विपक्षियों को एकजुट करने में जुटे हुए हैं. इसी कड़ी में बुधवार को केजरीवाल ने सीपीआई के दफ्तर पहुंचकर सीपीआई नेता डी राजा (D. Raja) से समर्थन मांगा. AAP के राज्यसभा सांसद संजय सिंह और राघव चड्ढा भी उनके साथ मौजूद रहे. आपको बता दें कि 23 जून को विपक्षी दलों की एक बड़ी बैठक होने वाली है. बैठक में केन्द्र का अध्यादेश भी एक बड़ा मुद्दा रहने वाला है.
तमिलनाडु के मंत्री के खिलाफ कार्रवाई पर AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि बीजेपी को अगर लगता है कि तमिलनाडु में डर फैलाकर मंत्रियों को गिरफ्तार करके उनकी सीटें आ जाएगी तो वे गलत हैं. अब सीबीआई-ईडी की रेड होती है तो लगता है कि उस आदमी ने कुछ ठीक ही किया होगा. केजरीवाल ने कहा कि सीबीआई और ईडी का नाम बदलकर अब बीजेपी सेना रख लेना चाहिए.
दिल्ली में आज CPI महासचिव श्री डी. राजा एवं सभी CPI नेताओं से मुलाक़ात की। CPI नेताओं का भी मानना है कि दिल्ली में केंद्र सरकार का तानाशाही अध्यादेश लोकतंत्र और संविधान पर हमला है और वो इस अध्यादेश के ख़िलाफ़ संसद में दिल्ली की जनता का साथ देंगे।
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) June 14, 2023 [/tw]
सभी दिल्लीवासियों की तरफ़ से मैं… pic.twitter.com/raJZunkBQ1
विपक्षी दलों को एकजुट करने में जुटे केजरीवाल
आपको बता दें कि केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ केजरीवाल विपक्षी दलों को एकजुट करने में जुटे हुए हैं. इसके लिए केजरीवाल कई विपक्षी पार्टी के दिग्गज नेताओं से मुलाकात कर चुके है. बड़ा सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्या 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले क्या केजरीवाल केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ विपक्षी एकता मजबूत हो पाएगी. क्या केजरीवाल विपक्षी नेताओं को एक मंच पर लाने में कामयाब हो जाएंगे. अगर केजरीवाल का तीर निशाने पर लगता है तो निश्चित तौर पर बीजेपी के लिए यह अध्यादेश सिरदर्द बन जाएगा. वैसे भी कर्नाटक में बीजेपी की हार ने विपक्षी दलों में जान फूंक दी है. इसकी एक झलक सिद्धरमैया के शपथ समारोह में देखने को भी मिल चुकी है. सारे विपक्षी दल एकजुट होकर उस मंच पर खड़े दिखाई दिए थे.
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